मध्यप्रदेश : महाराष्ट्र और कर्नाटक मामले में कठोर रुख अपना चुके कोर्ट से भाजपा को भी उम्मीद
मध्यप्रदेश में जारी सियासी उठापटक के बीच भाजपा की रणनीति सुप्रीम कोर्ट के भावी रुख पर टिक गई है। पार्टी रणनीतिकारों को लगता है कि लोकतंत्र से जुड़े इस महत्वपूर्ण मामले में शीर्ष अदालत कोरोना के बहाने बहुमत परीक्षण टालने की कमलनाथ सरकार की रणनीति पर पानी फेर देगा।
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हाल ही में महाराष्ट्र और कर्नाटक में ऐसे में मामलों में शीर्ष अदालत ने देवेंद्र फडणवीस और एचडी कुमारस्वामी को 24 घंटे में बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था। इससे पहले कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा को भी एक दिन में बहुमत साबित करने को कहा था। सोमवार को बहुमत साबित करने के बदले कोरोना के बहाने विधानसभा स्थगित करने के कमलनाथ सरकार के फैसले के बाद भाजपा ने अपने विधायकों को एकजुट रखने और कानूनी विकल्प आजमाने की रणनीति बनाई।
सोमवार को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, धर्मेंद्र प्रधान और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चर्चा की। इसके बाद विधायकों को दोबारा मानेसर लाने की योजना बनी। मध्यप्रदेश भाजपा की रणनीति से जुड़े वरिष्ठ नेता के मुताबिक कमलनाथ सरकार को दो तरफ से घेरा जा रहा है। न्यायिक घेरे में लाने के साथ ही राज्यपाल का रुख भी सख्त है। खुद सुप्रीम कोर्ट ने हालिया दो फैसले में तत्काल बहुमत साबित करने को कहा है ऐसे में कोरोना के बहाने शक्ति परीक्षण टालने की कांग्रेस की योजना पूरी होती नहीं दिख रही। वह भी तब जब कोरोना के बावजूद संसद सत्र चल रहा है और सुप्रीम कोर्ट ने अदालत पूरी तरह से बंद नहीं करने का निर्णय लिया है।
पहले सुप्रीम कोर्ट फिर राज्यपाल
भाजपा की रणनीति पहले कोर्ट के जरिए बहुमत साबित करने के लिए सीमा निर्धारित कराने की है। पार्टी को भरोसा है कि अदालत कमलनाथ सरकार को एक-दो दिन में बहुमत साबित करने का निर्देश देगा। अगर सरकार ने बहुमत साबित करने में आनाकानी की तो बर्खास्तगी की राह आसान हो जाएगी।
मप्र ने केंद्र सरकार को उलझाया
मध्यप्रदेश के घटनाक्रम ने केंद्र सरकार को भी उलझा दिया है। सरकार की योजना सोमवार को लोकसभा में गिलोटिन के बाद इसी हफ्ते कोरोना के खतरे के मद्देनजर संसद सत्र समय से पहले खत्म करने की थी। अब कोरोना के बहाने ही कमलनाथ सरकार ने विधानसभा सत्र टाला है, लिहाजा केंद्र सरकार इसी आधार पर संसद सत्र समय पूर्व खत्म करने के मामले में उलझ गई है।
भाजपा की याचिका : सरकार को 12 घंटे में बहुमत परीक्षण का निर्देश दे सुप्रीम कोर्ट
मध्यप्रदेश के सियासी संकट के बीच पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान तथा नौ भाजपा विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर विधानसभा अध्यक्ष को जल्द फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश देने की गुहार लगाई। याचिका में 12 घंटे के अंदर फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश देने की अपील की गई है। याचिका में कहा गया कि कांग्रेस सरकार को बहुमत नहीं है, लिहाजा जल्द फ्लोर टेस्ट जरूरी है। कोर्ट इस पर मंगलवार को सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है।
छह का इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया है। लिहाजा 2018 में 122 सीटें जीतने वाली कांग्रेस बहुमत खो चुकी है। याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल के निर्देश के बावजूद सोमवार को बहुमत परीक्षण नहीं हुआ। जानबूझ कर राज्यपाल के निर्देशों को पालन नहीं किया गया। याचिका में एसआर बोम्मई मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया कि मुख्यमंत्री द्वारा फ्लोर टेस्ट से इनकार करना प्रथम दृष्टया दर्शाता है कि उनके पास बहुमत नहीं है।
सरकार के नीतिगत फैसलों पर उठाए सवाल
पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा, कांग्रेस के पास 92 विधायक हैं और बहुमत भाजपा के पास है। कांग्रेस केवल समय पास करने की कोशिश में है। अल्पमत सरकार नीतिगत निर्णय कैसे ले सकती है, कैसे तबादले कर सकती है। अल्पमत सरकार को कोरोना भी नहीं बचा सकता।
भाजपा उम्मीदवारों के नामांकन पर आपत्ति
राज्यसभा चुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह के नामांकन पर कांग्रेस ने आपत्ति दर्ज कराते हुए फॉर्म रद्द करने की मांग की है। कांग्रेस ने कहा, सिंधिया के नामांकन पत्र में उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे का उल्लेख नहीं है। वहीं, सुमेर सिंह ने जिस दिन फॉर्म भरा, उस दिन शासकीय नौकरी में थे। कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह और फूलसिंह बरैया तथा भाजपा की डमी प्रत्याशी रंजना बघेल का नामांकन स्वीकार हो गया।