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Maharashtra: सरकार ने 1971 के कानून में किए बदलाव, अब बिल्डरों-डेवलपर्स से ट्रांजिट किराया वसूलेगा SRA; जानिए

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Thu, 10 Jul 2025 12:11 AM IST
सार

महाराष्ट्र विधानसभा ने स्लम क्षेत्र अधिनिमय, 1971 संशोधन करने वाला विधेयक पारित किया है। इससे अब स्लम पुनर्विकास प्राधिकरण (एसआरए) को बिल्डरों या डेवलपर्स से बकाया ट्रांजिट किराया वसूलने की अनुमति मिल गई है। 

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Maharashtra Assembly passes bill allowing SRA to charge transit fare from developers
महाराष्ट्र विधानसभा (फाइल) - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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महाराष्ट्र विधानसभा ने बुधवार को स्लम क्षेत्र (सुधार, निकाली और पुनर्विकास) अधिनियम, 1971 में संशोधन करने वाला विधेयक पारित किया है। इस कानून के पारित होने से अब स्लम पुनर्विकास प्राधिकरण (एसआरए) बिल्डरों या डेवलपर्स से बकाया ट्रांजिट किराया वसूल सकेगा। 

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संशोधन विधेयक में कहा गया है कि झुग्गीवासियों को न चुकाए गए किराए को भू-राजस्व के बकाया के रूप में माना जाएगा। इसका मतलब है कि एसआरए अब महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता (MLRC) के तहत वसूली की कार्यवाही शुरू कर सकेगा। 
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प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, यदि किसी चूककर्ता बिल्डर के पास बकाया चुकाने के लिए पर्याप्त कंपनी संपत्ति नहीं है, तो देयता उसके निदेशकों या साझेदारों की निजी संपत्ति तक बढ़ सकती है। वर्तमान में, एसआरए किसी चूककर्ता डेवलपर को काम रोकने का नोटिस जारी कर सकता है या नई अनुमति देने से इनकार कर सकता है।

कानून में किया गया एक और बदलाव
इसके अलावा, कानून में एक और बदलाव किया गया है। पहले किसी झुग्गी पुनर्विकास योजना में शामिल होने के लिए लोगों को 120 दिन का समय मिलता था, लेकिन अब ये समय घटाकर सिर्फ 60 दिन कर दिया गया है। अगर किसी पुनर्विकास योजना को 50 फीसदी से ज्यादा लोग मंजूरी दे देते हैं, तो बाकी लोगों को सिर्फ 60 दिन में फैसला करना होगा कि वे शामिल होंगे या नहीं।

60 दिनों में योजना में शामिल न होने पर खो सकते हैं घर का हक
60 दिनों के बाद, जो लोग योजना में शामिल नहीं होते हैं, तो वे अपनी पुरानी जगह पर नए घर का हक खो सकते हैं और उन्हें किसी दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सकता है, वो भी तब, जब वहां जगह उपलब्ध हो। 

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30 दिनों के अंदर सरकारी संस्था को दी जाएगी जमीन
इसके अलावा, कानून में यह भी जोड़ा गया है कि जब कोई सरकारी संस्था (जैसे MMRDA, म्हाडा, MSRDC और सिडको) झुग्गी वाली जमीन के लिए प्रोजेक्ट शुरू करती है, तो उन्हें 30 दिनों के अंदर वह जमीन दी जा सकेगी। इससे सरकारी प्रोजेक्ट तेजी से पूरे हो सकेंगे।

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