Maharashtra: 'शिंदे गुट को शिवसेना का नाम-निशान देने का EC का आदेश पूर्व प्रभावी नहीं', नार्वेकर का बड़ा बयान
विधानसभा अध्यक्ष ने सोमवार को कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई के फैसले में कहा कि भरत गोगावाले की शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्ति अवैध है। इस बात का कोई सत्यापन नहीं किया गया था कि उन्हें किसी राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त किया गया था या नहीं।'
विस्तार
महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने मंगलवार को शिंदे गुट को शिवसेना का नाम-निशान आवंटित के चुनाव आयोग के फैसले पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को ‘शिवसेना’ का नाम और चुनाव चिह्न देने का निर्वाचन आयोग (ईसी) का फैसला पूर्व प्रभावी नहीं है। इसकी जगह यह भविष्य पर आधारित फैसला है। विधान भवन में अधिकारियों के साथ बैठक के बाद नार्वेकर ने कहा कि मुख्यमंत्री शिंदे सहित 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला इस बात से शुरू होगा कि जुलाई 2022 में कौन सा गुट वास्तविक शिवसेना का प्रतिनिधित्व कर रहा था।
विधानसभा अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दिया हवाला
विधानसभा अध्यक्ष ने सोमवार को कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई के फैसले में कहा कि भरत गोगावाले की शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्ति अवैध है। इस बात का कोई सत्यापन नहीं किया गया था कि उन्हें किसी राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त किया गया था या नहीं।'
मुख्य सचेतक पर कही यह बात
विधानसभाध्यक्ष ने कहा कि गोगावाले को पार्टी का मुख्य सचेतक फिर नियुक्त किया जा सकता है यदि सर्वोच्च अदालत के निर्देश के मुताबिक उचित प्रक्रिया का पालन किया जाता है और राजनीतिक दल उन्हें फिर से नामित करता है। अदालत ने विधानसभाध्यक्ष को मुख्य सचेतक के रूप में फिर से नियुक्त करने से प्रतिबंधित नहीं किया है।
क्या है मामला?
पिछले साल महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के नेतृत्व वाली सरकार के गिरने के कारण शिवसेना-केंद्रित टकराव पर अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बहाल नहीं किया जा सकता, क्योंकि उन्होंने विश्वास मत का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था। शिंदे इससे पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। जून 2022 में शिंदे और 39 अन्य विधायकों ने अपनी पार्टी के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी, जिससे शिवसेना दो फाड़ हो गई। शिंदे बाद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से मुख्यमंत्री बने।