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Maharashtra Crisis: क्या पवार की पार्टी भी टूटेगी? रविवार को स्पीकर के चुनाव में पांच विधायकों ने नहीं किया था मतदान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Mon, 04 Jul 2022 09:15 AM IST
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सार
महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले लगभग एक महीने से चल रहे सियासी घमासान का अंत आज फ्लोर टेस्ट के परिणाम से होने की उम्मीद है।

शरद पवार(फाइल)
- फोटो : पीटीआई
विस्तार
महाराष्ट्र में सियासी घमासान के बीच शिवसेना ही नहीं शरद पवार की पार्टी एनसीपी के लिए भी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। दरअसल, रविवार को स्पीकर के चुनाव के लिए हुए मतदान में एनसीपी के पांच विधायकों ने भाग नहीं लिया था। जिसके बाद से आशंका जताई जा रही है कि क्या शरद पवार की पार्टी में भी टूट होगी?
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एनसीपी के 53 में से 46 विधायक ही चुनाव में लिया था भाग, दो जेल में बंद
बता दें कि एनसीपी के 53 में से 46 विधायक ही विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए हुए मतदान में हिस्सा लेने के लिए विधान भवन पहुंच पाए। इनमें से नवाब मलिक और अनिल देशमुख जेल में बंद हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आरएल नरवेकर 164 मतों के साथ अध्यक्ष चुने गए। महा विकास अघाड़ी गठबंधन की पार्टियां राकांपा, कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने स्पीकर पद के लिए शिवसेना के विधायक राजन साल्वी को अपने उम्मीदवार के रूप में नामित किया था। लेकिन साल्वी को केवल 107 मत मिले जिसके कारण उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
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ये हैं पांच विधायक जिन्होंने मतदान नहीं किया
रविवार को चुनाव में भाग नहीं लेने वाले एनसीपी के पांच विधायक दत्तात्रेय भराने, बबन शिंदे, नीलेश लंके, दिलीप मोहिते और अन्ना बंसोडे थे। इसके अलावा, एनसीपी के वरिष्ठ विधायक अनिल देशमुख और नवाब मलिक, जो वर्तमान में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जेल में हैं, ने मतदान नहीं किया। एनसीपी नेताओं ने कहा कि भराने ने एक जुलाई को अपनी मां गिरिजाबाई को खो दिया था। देर से विधान भवन पहुंचने के कारण मोहिते और बंसोडे को मतदान प्रक्रिया में शामिल नहीं होने दिया गया। लांके से संपर्क नहीं हो सका।
एनसीपी के कुछ विधायक पहले से भाजपा से जुड़ना चाहते थे: मीडिया रिपोर्ट
मतदान प्रक्रिया के दौरान अनुपस्थित रहने वाले इन विधायकों में से अधिकांश एनसीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के करीबी माने जाते हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एकनाथ शिंदे के भाजपा से हाथ मिलाने से पहले एनसीपी का एक वर्ग भी भाजपा के साथ फिर से जुड़ना चाहता था।