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इस्कॉन: 58 साल पहले न्यूयॉर्क से शुरू हुआ केंद्र बना दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर संगठन, विवादों से भी पुराना नाता
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवेंद्र तिवारी
Updated Wed, 27 Sep 2023 02:24 PM IST
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इस्कॉन
- फोटो :
AMAR UJALA
विस्तार
दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर संगठन कहे जाने वाला इस्कॉन इस वक्त सुर्खियों में है। इसकी वजह भाजपा सांसद और पशु अधिकारकर्ता मेनका गांधी का एक बयान है। दरअसल, मेनका ने इस्कॉन यानी इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्ण कॉन्शसनेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने इसे देश का 'सबसे बड़ा धोखेबाज' संगठन बताते हुए कहा कि इस्कॉन अपनी गोशालाओं की गायों को कसाइयों को बेचता है। हालांकि, इस्कॉन ने आरोपों को निराधार और झूठा करार दिया है।आइये जानते हैं कि मेनका गांधी ने इस्कॉन पर क्या आरोप लगाए हैं? इस पर संगठन ने क्या जवाब दिया? आखिर क्या है इसका इतिहास? कहां-कहां फैला है मंदिर संगठन? यह काम क्या करता है? समझते हैं...

मेनका गांधी
- फोटो :
SOCIAL MEDIA
मेनका गांधी ने इस्कॉन पर क्या आरोप लगाए हैं?
पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी का इस्कॉन को लेकर एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल है। वीडियो में मेनका को कहते हुए सुना जा सकता है, 'भारत में इस समय सबसे बड़ा धोखेबाज इस्कॉन है। उन्होंने गोशालाएं स्थापित कीं, जिन्हें चलाने के लिए उन्हें सरकार की तरफ से अनगिनत फायदे मिलते हैं। उन्हें बड़ी जमीनें मिलती हैं।'
उन्होंने आंध्र प्रदेश में इस्कॉन की एक गौशाला की अपनी यात्रा को याद किया। मेनका ने कहा कि हाल ही में अनंतपुर गौशाला का दौरा किया था। वहां एक भी सूखी गाय नहीं मिली। सभी डेयरी हैं। वहां एक भी बछड़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि सभी को बेच दिया गया था। मेनका ने कहा कि इस्कॉन अपनी सभी गायों को कसाइयों को बेच रहा है। कोई और ऐसा नहीं करता है जितना वे करते हैं। वे सड़कों पर 'हरे राम हरे कृष्ण' गाते हैं। फिर वे कहते हैं कि उनका पूरा जीवन दूध पर निर्भर है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी का इस्कॉन को लेकर एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल है। वीडियो में मेनका को कहते हुए सुना जा सकता है, 'भारत में इस समय सबसे बड़ा धोखेबाज इस्कॉन है। उन्होंने गोशालाएं स्थापित कीं, जिन्हें चलाने के लिए उन्हें सरकार की तरफ से अनगिनत फायदे मिलते हैं। उन्हें बड़ी जमीनें मिलती हैं।'
उन्होंने आंध्र प्रदेश में इस्कॉन की एक गौशाला की अपनी यात्रा को याद किया। मेनका ने कहा कि हाल ही में अनंतपुर गौशाला का दौरा किया था। वहां एक भी सूखी गाय नहीं मिली। सभी डेयरी हैं। वहां एक भी बछड़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि सभी को बेच दिया गया था। मेनका ने कहा कि इस्कॉन अपनी सभी गायों को कसाइयों को बेच रहा है। कोई और ऐसा नहीं करता है जितना वे करते हैं। वे सड़कों पर 'हरे राम हरे कृष्ण' गाते हैं। फिर वे कहते हैं कि उनका पूरा जीवन दूध पर निर्भर है।
इस्कॉन ने आरोपों पर क्या जवाब दिया?
वहीं, इस्कॉन ने आरोपों को निराधार और झूठा बताया। संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता युधिष्ठिर गोविंद दास ने कहा कि इस्कॉन न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर गाय और बैल की रक्षा और देखभाल में सबसे आगे रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां गायों और बैलों की जीवनभर सेवा की जाती है, न कि उन्हें कसाइयों को बेचा जाता है, जैसा कि आरोप लगाया गया है।
मंदिर प्रशासन ने कहा कि इस्कॉन दुनिया के कई हिस्सों में गायों का संरक्षण कर रहा है, जहां पर गोमांस एक मुख्य भोजन है। इस्कॉन ने कहा, ‘हम मेनका गांधी के बयान से हैरान हैं क्योंकि वे हमेशा ही इस्कॉन की शुभचिंतक रही हैं।’ मंदिर प्रशासन ने कहा कि भारत में इस्कॉन 60 से ज्यादा गौशालाएं चला रहा है। यहां पर सैकड़ों की संख्या में गायों और बैलों की रक्षा की जाती है। उनकी पूरी जिंदगी देखभाल भी होती है। इस्कॉन की गौशालाओं में आने वाली गाय वह होती हैं, जो कटने से बचाई गई होती हैं।
वहीं, इस्कॉन ने आरोपों को निराधार और झूठा बताया। संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता युधिष्ठिर गोविंद दास ने कहा कि इस्कॉन न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर गाय और बैल की रक्षा और देखभाल में सबसे आगे रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां गायों और बैलों की जीवनभर सेवा की जाती है, न कि उन्हें कसाइयों को बेचा जाता है, जैसा कि आरोप लगाया गया है।
मंदिर प्रशासन ने कहा कि इस्कॉन दुनिया के कई हिस्सों में गायों का संरक्षण कर रहा है, जहां पर गोमांस एक मुख्य भोजन है। इस्कॉन ने कहा, ‘हम मेनका गांधी के बयान से हैरान हैं क्योंकि वे हमेशा ही इस्कॉन की शुभचिंतक रही हैं।’ मंदिर प्रशासन ने कहा कि भारत में इस्कॉन 60 से ज्यादा गौशालाएं चला रहा है। यहां पर सैकड़ों की संख्या में गायों और बैलों की रक्षा की जाती है। उनकी पूरी जिंदगी देखभाल भी होती है। इस्कॉन की गौशालाओं में आने वाली गाय वह होती हैं, जो कटने से बचाई गई होती हैं।

इस्कॉन
- फोटो :
AMAR UJALA
इस्कॉन का इतिहास क्या है?
1965 में न्यूयॉर्क में इस्कॉन की स्थापना हुई। इसकी शुरुआत भारत में आध्यात्मिक शिक्षा के प्रबल समर्थक भक्तिवेदांत स्वामी श्रीला प्रभुपाद ने की थी। कृष्ण भक्ति के आंदोलन की यात्रा भी दिलचस्प रही है। इस्कॉन की मानें तो, शुरुआत में प्रभुपाद ने पश्चिमी देशों में भगवान कृष्ण का संदेश फैलाने के लिए वृन्दावन छोड़ दिया। वह भगवान कृष्ण की पुस्तकों से भरे ट्रंक के साथ बोस्टन आए।
शुरुआत में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा, लेकिन कुछ ही दिनों में लोगों की नजर उन पर पड़ने लगी। कुछ लोग उनके व्याख्यान में शामिल हो गए। प्रभुपाद 1966 तक न्यूयॉर्क में रहे। उन्होंने हर हफ्ते भगवद गीता पर व्याख्यान देना शुरू कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने अमेरिकी शहर न्यूयॉर्क में इस्कॉन की सफलतापूर्वक स्थापना की।
1965 में न्यूयॉर्क में इस्कॉन की स्थापना हुई। इसकी शुरुआत भारत में आध्यात्मिक शिक्षा के प्रबल समर्थक भक्तिवेदांत स्वामी श्रीला प्रभुपाद ने की थी। कृष्ण भक्ति के आंदोलन की यात्रा भी दिलचस्प रही है। इस्कॉन की मानें तो, शुरुआत में प्रभुपाद ने पश्चिमी देशों में भगवान कृष्ण का संदेश फैलाने के लिए वृन्दावन छोड़ दिया। वह भगवान कृष्ण की पुस्तकों से भरे ट्रंक के साथ बोस्टन आए।
शुरुआत में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा, लेकिन कुछ ही दिनों में लोगों की नजर उन पर पड़ने लगी। कुछ लोग उनके व्याख्यान में शामिल हो गए। प्रभुपाद 1966 तक न्यूयॉर्क में रहे। उन्होंने हर हफ्ते भगवद गीता पर व्याख्यान देना शुरू कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने अमेरिकी शहर न्यूयॉर्क में इस्कॉन की सफलतापूर्वक स्थापना की।

इस्कॉन
- फोटो :
SOCIAL MEDIA
कैसे आगे बढ़ा इस्कॉन?
संस्था के अनुसार, 1966 से 1968 के बीच काफी संख्या में अनुयायी मिशन में शामिल हुए। इसके चलते श्रीला प्रभुपाद ने लॉस एंजिल्स, सिएटल, सैन फ्रांसिस्को, सांता फे, मॉन्ट्रियल और न्यू मैक्सिको जैसे शहरों में मंदिरों की स्थापना की।
1969 और 1973 के बीच कनाडा, यूरोप, मैक्सिको, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और भारत में कई मंदिरों का उद्घाटन किया गया। इस्कॉन के विकास की देखरेख के लिए 1970 में एक संस्था भी स्थापित की गई थी।
संस्था के अनुसार, 1966 से 1968 के बीच काफी संख्या में अनुयायी मिशन में शामिल हुए। इसके चलते श्रीला प्रभुपाद ने लॉस एंजिल्स, सिएटल, सैन फ्रांसिस्को, सांता फे, मॉन्ट्रियल और न्यू मैक्सिको जैसे शहरों में मंदिरों की स्थापना की।
1969 और 1973 के बीच कनाडा, यूरोप, मैक्सिको, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और भारत में कई मंदिरों का उद्घाटन किया गया। इस्कॉन के विकास की देखरेख के लिए 1970 में एक संस्था भी स्थापित की गई थी।

इस्कॉन की पदयात्रा, उज्जैन
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अमर उजाला
भारत में कैसे इसका विस्तार हुआ?
दुनिया के साथ-साथ भारत में भी धीरे-धीरे इस्कॉन ने अपने पैर पसारे। 1970 से 1977 तक इस्कॉन ने भारत में वृन्दावन और मायापुर में कई प्रमुख तीर्थस्थल बनाए जिसमें मुंबई का सबसे बड़ा मंदिर भी शामिल था।
श्रीला प्रभुपाद ने 1972 में भक्तिवेदांत बुक ट्रस्ट की स्थापना की। इस्कॉन की मानें तो, यह भगवान कृष्ण की पुस्तकों के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक हैं। श्रीला प्रभुपाद ने 1966 से 1977 के बीच कृष्ण साहित्य के 40 से अधिक खंडों को संस्कृत से अंग्रेजी में अनुवाद किया। इनमें श्रीमद्भागवत या भागवत पुराण, भगवान कृष्ण के अवतार के इतिहास के 18 खंड, लीलाएं और भक्त जैसी पुस्तकें शामिल हैं।
बाद में 'हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे' नामक मंत्र को दुनियाभर में लोकप्रिय बनाया। इस्कॉन खुद को भगवान कृष्ण की शिक्षा में विश्वास करने वाला संगठन बताता है।
दुनिया के साथ-साथ भारत में भी धीरे-धीरे इस्कॉन ने अपने पैर पसारे। 1970 से 1977 तक इस्कॉन ने भारत में वृन्दावन और मायापुर में कई प्रमुख तीर्थस्थल बनाए जिसमें मुंबई का सबसे बड़ा मंदिर भी शामिल था।
श्रीला प्रभुपाद ने 1972 में भक्तिवेदांत बुक ट्रस्ट की स्थापना की। इस्कॉन की मानें तो, यह भगवान कृष्ण की पुस्तकों के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक हैं। श्रीला प्रभुपाद ने 1966 से 1977 के बीच कृष्ण साहित्य के 40 से अधिक खंडों को संस्कृत से अंग्रेजी में अनुवाद किया। इनमें श्रीमद्भागवत या भागवत पुराण, भगवान कृष्ण के अवतार के इतिहास के 18 खंड, लीलाएं और भक्त जैसी पुस्तकें शामिल हैं।
बाद में 'हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे' नामक मंत्र को दुनियाभर में लोकप्रिय बनाया। इस्कॉन खुद को भगवान कृष्ण की शिक्षा में विश्वास करने वाला संगठन बताता है।

इस्कॉन
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SOCIAL MEDIA
संस्था ने काम क्या किए हैं?
पांच दशकों से भी ज्यादा अपने लंबे सफर में इस्कॉन ने कई धार्मिक काम किए हैं। 1973 में वेदों की शिक्षाओं के लिए भक्तिवेदांत संस्थान की स्थापना की गई। अगले साल 1974 में इस्कॉन के लिए एक अहम साल रहा जब इसने वैश्विक स्तर पर आपदा क्षेत्रों में भोजन जैसे राहत कार्यक्रम शुरू किये।
1977 में श्रीला प्रभुपाद ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। इससे पहले इस्कॉन ने लगभग 108 मंदिरों और शैक्षणिक केंद्रों की स्थापना के साथ 10,000 से अधिक अनुयायी बना लिए। आज इस्कॉन के दुनियाभर में 500 से अधिक केंद्र हैं।
पांच दशकों से भी ज्यादा अपने लंबे सफर में इस्कॉन ने कई धार्मिक काम किए हैं। 1973 में वेदों की शिक्षाओं के लिए भक्तिवेदांत संस्थान की स्थापना की गई। अगले साल 1974 में इस्कॉन के लिए एक अहम साल रहा जब इसने वैश्विक स्तर पर आपदा क्षेत्रों में भोजन जैसे राहत कार्यक्रम शुरू किये।
1977 में श्रीला प्रभुपाद ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। इससे पहले इस्कॉन ने लगभग 108 मंदिरों और शैक्षणिक केंद्रों की स्थापना के साथ 10,000 से अधिक अनुयायी बना लिए। आज इस्कॉन के दुनियाभर में 500 से अधिक केंद्र हैं।
क्या इस्कॉन पहले भी विवाद में आया है?
2023: इस्कॉन ने अपने पुजारी पर प्रतिबंध लगाया
इस्कॉन पहले भी कई विवादों को लेकर सुर्खियों में रहा है। इसी साल जुलाई में अपने पुजारी अमोघ लीला दास पर प्रतिबंध लगाया था। इस्कॉन ने स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस के बारे में की गईं टिप्पणियों के बाद यह फैसला लिया था।
2018: धर्म के नाम पर ब्रेन वॉश करने का लगा आरोप
अहमदाबाद में हरे कृष्ण मंदिर पर धर्म और आध्यात्मिकता के नाम पर युवाओं का ब्रेन वॉश करने का आरोप लगा था। झारखंड के एक परिवार ने आरोप लगाया था कि उनके बेटे प्रशांत का ब्रेन वॉश कर उसे लोगों से दूर किया गया है। हालांकि, संस्था ने आरोपों को नकार दिया।
2016: शंकराचार्य ने इस्कॉन को धर्मांतरण करवाने वाली संस्था बताया
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने इस्कॉन पर धर्मांतरण का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि इस्कॉन कृष्ण भक्ति के नाम पर हिन्दुओं को बरगलाकर उनका धर्मांतरण कराने में जुटा है।
इस्कॉन के अंतरराष्ट्रीय संपर्क प्रमुख ब्रजेंद्र नंदन दास ने शंकराचार्य के बयान पर हैरानगी जताते हुए इस आरोप का पूरी तरह से खंडन किया था। उन्होंने कहा था, 'धर्मांतरण जैसी बात कहना बेमानी है। इस्कॉन तो कृष्ण भक्ति का संदेश और गीता के प्रचार-प्रसार में जुटा है।'
2023: इस्कॉन ने अपने पुजारी पर प्रतिबंध लगाया
इस्कॉन पहले भी कई विवादों को लेकर सुर्खियों में रहा है। इसी साल जुलाई में अपने पुजारी अमोघ लीला दास पर प्रतिबंध लगाया था। इस्कॉन ने स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस के बारे में की गईं टिप्पणियों के बाद यह फैसला लिया था।
2018: धर्म के नाम पर ब्रेन वॉश करने का लगा आरोप
अहमदाबाद में हरे कृष्ण मंदिर पर धर्म और आध्यात्मिकता के नाम पर युवाओं का ब्रेन वॉश करने का आरोप लगा था। झारखंड के एक परिवार ने आरोप लगाया था कि उनके बेटे प्रशांत का ब्रेन वॉश कर उसे लोगों से दूर किया गया है। हालांकि, संस्था ने आरोपों को नकार दिया।
2016: शंकराचार्य ने इस्कॉन को धर्मांतरण करवाने वाली संस्था बताया
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने इस्कॉन पर धर्मांतरण का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि इस्कॉन कृष्ण भक्ति के नाम पर हिन्दुओं को बरगलाकर उनका धर्मांतरण कराने में जुटा है।
इस्कॉन के अंतरराष्ट्रीय संपर्क प्रमुख ब्रजेंद्र नंदन दास ने शंकराचार्य के बयान पर हैरानगी जताते हुए इस आरोप का पूरी तरह से खंडन किया था। उन्होंने कहा था, 'धर्मांतरण जैसी बात कहना बेमानी है। इस्कॉन तो कृष्ण भक्ति का संदेश और गीता के प्रचार-प्रसार में जुटा है।'