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नारी शक्ति: राष्ट्रपति की मुहर के बाद भी लागू होने में लग सकते हैं 4 साल, ये हैं परिसीमन-जनगणना से जुड़े पहलू

Rahul Sampal राहुल संपाल
Updated Sat, 30 Sep 2023 05:13 PM IST
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सार

Nari Shakti: जनगणना और परिसीमन के बाद ही यह कानून लागू हो पाएगा। जनगणना में करीब दो साल लगेंगे। इसके बाद ही परिसीमन संभव है, लेकिन मौजूदा कानून के तहत अगला परिसीमन 2026 से पहले नहीं किया जा सकता हैं ऐसे में 2027 के 8 राज्यों के विधानसभा चुनाव व 2029 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही यह लागू हो पाएगा...

Nari Shakti: women reservation bill may take 4 years to be implemented even after the President approval
Women reservation Bill - फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar
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महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार (29 सितंबर) को मंजूरी दे दी। यह विधेयक 20 सितंबर को लोकसभा और 21 सितंबर को राज्यसभा में पारित हुआ था। किसी भी विधेयक के संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद उसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाता है, ताकि वो कानून बन सके। इस कानून के लागू होने पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा। लेकिन 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनावों में महिला आरक्षण लागू होना संभव नहीं है। क्योंकि सरकार ने संसद में कहा कि कानून बनने के बाद पहली जनगणना और फिर परिसीमन में महिला आरक्षित सीटें तय होगी। इसके बाद ही इसे लागू किया जा सकेगा। 2021 में होने वाली जनगणना अब तक नहीं हो सकी है। ऐसे में महिला आरक्षण 2026 से पहले लागू होने की संभावना कम है।

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संसद के विशेष सत्र में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पर चर्चा के दौरान 20 सितंबर को अमित शाह ने लोकसभा में महिला आरक्षण पर बहस के दौरान कहा था कि 2024 लोकसभा चुनाव के बाद बनने वाली नई सरकार सरकार जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर देगी। जनगणना को पूरे होने में एक साल का समय लग सकता है। इसके बाद परिसीमन की कार्रवाई शुरू हो सकेगी। सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश, चुनाव आयोग का एक प्रतिनिधि और प्रत्येक राजनीतिक दल का एक प्रतिनिधि परिसीमन आयोग का हिस्सा होगा, जैसा कि कानून कहता है।

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शाह के बयान से ये संकेत तो गया है कि जनगणना और परिसीमन का काम अगले लोकसभा चुनाव के बाद शुरू हो जागा। लेकिन ये काम खत्म कब होगा और उसके कितने समय बाद महिला आरक्षण लागू कर दिया जाएगा, इसे लेकर अभी भी कोई साफ तस्वीर नहीं है।

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी के अनुसार, जनगणना के आधार पर ही परिसीमन की कवायद शुरू हो सकेगी। इस प्रक्रिया के बाद ही सीटें नई लोकसभा में की क्षमता को देखते हुए बढ़ाई जाएगी और उनका एक तिहाई हिस्सा महिलाओं के हक में जाएंगा।

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में कहा था कि उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023 को लागू किया जाएगा। कर्मचारियों के लिए जनगणना का काम आसान नहीं है। इसमें विभिन्न सामाजिक और आर्थिक मापदंडों से संबंधित डाटा एकत्रित करना होता है। हमारी सरकार महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी आशंका को दूर करेगी।

संसद में बहस करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि कोरोना महामारी के कारण 2021 में जनगणना नहीं हो सकी। 2024 के आम चुनावों के तुरंत बाद जनगणना की जाएगी। विधेयक के अधिनियमित होने के बाद जब भी पहली जनगणना होती है और उसके प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित किए जाते हैं। इसके बाद ही फिर नए सिरे से परिसीमन की कवायद की जाती है।

इस गणित से 2029 में बढ़ जाएगी सीटें

संविधान का अनुच्छेद 81 कहता है कि देश में लोकसभा सांसदों की संख्या 550 से ज्यादा नहीं हो सकती। हालांकि, संविधान ये भी कहता है कि हर 10 लाख आबादी पर एक सांसद होना चाहिए। आखिरी बार 1971 की जनगणना के आधार पर परिसीमन हुआ था। इसके बाद ही सीटों की संख्या 543 तय हुई थीं। अगर हर 550 सीटों की शर्त को खत्म कर दें और हर 10 लाख आबादी पर एक सांसद वाले नियम को लागू करें तो इस स्थिति में इस समय कुल 1425 सांसद होंगे।

इसे ऐसे समझिए कि इस समय देश की आबादी 142.57 करोड़ से ज्यादा है। अगर हर 10 लाख आबादी पर एक सांसद के हिसाब से बंटवारा हो तो 142.57/10,00,000= 1,425 होता है। हालांकि, ये सिर्फ अनुमान है। ये संख्या कम ज्यादा भी हो सकती है। क्योंकि नए संसद भवन में भी लोकसभा सदस्य में 888 और राज्यसभा में 384 सांसद ही बैठ सकते हैं।

आइए जानते हैं कि महिला आरक्षण बिल कैसे और कब लागू किया जाएगा

  • जनगणना और परिसीमन के बाद ही यह कानून लागू हो पाएगा। जनगणना में करीब दो साल लगेंगे। इसके बाद ही परिसीमन संभव है, लेकिन मौजूदा कानून के तहत अगला परिसीमन 2026 से पहले नहीं किया जा सकता हैं ऐसे में 2027 के 8 राज्यों के विधानसभा चुनाव व 2029 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही यह लागू हो पाएगा।
  • 2026 के परिसीमन में तय होगा कि कौन सी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इसके बाद जब जब परिसीमन होगा। उस हिसाब से सीटें बदलती रहेंगी।

परिसीमन-जनगणना से जुड़ी बारीकी को इस तरह से समझें...

महिला आरक्षण बिल को परिसीमन और जनगणना से जोड़ा गया है। यही बातें कानून बनने के बाद भी इसे लागू करने में आड़े आएगी। दरअसल, दोनों ही प्रक्रिया बेहद जटिल और धीमी गति से चलने वाली है। 2021 की जनगणना की प्रक्रिया डिजिटल तरीके से होनी है। लेकिन हर एंट्री के सत्यापन के लिए मौके पर जाना पड़ेगा। इसी तरह परिसीमन में डेढ़ से दो साल का वक्त लगने की संभावना है। क्योंकि आयोग हर निर्वाचन क्षेत्र में जनसुनवाई आयोजित करेगा।

दक्षिण के मुकाबले उत्तर भारत में बढ़ सकती है दोगुनी सीटें 

महिला आरक्षण जनगणना और परिसीमन के बाद लागू होगा। दक्षिण के राज्यों में आबादी उत्तर के मुकाबले कम है। इसलिए दक्षिण के मुकाबले उत्तर में दोगुनी सीटें बढ़ सकती हैं। नीचे दिया गया अनुमान लोकसभा की अधिकतम 888 सीटों पर आधारित है।

उत्तर भारत के राज्यों में 84 फीसदी बढ़ सकती हैं सीटें
 

राज्य                    मौजूदा सीटें              परिसीमन के बाद            बढ़ोतरी
उत्तर प्रदेश                               80            147  (+67)         84%
राजस्थान                                 25           50  (+25)           100%
मध्यप्रदेश 29         53 (+24)  83%
बिहार 40                            76  (+36)          90 %
झारखंड   14 24  (+10)   71%
हरियाणा   10 18   (+8) 80%
छत्तीसगढ़  11   18    (+7)    64%
दिल्ली    7 12    (+5) 42%
कुल    216 398     (+182) 84.2%

दक्षिण राज्यों में यह हो सकती है स्थिति

राज्य        मौजूदा सीट परिसीमन के बाद बढ़ोतरी
आंध्र प्रदेश   25  37  (+12)  48
कर्नाटक  28   45  (+17) 60
केरल 20  24  (+4)  20
तमिलनाडु   39  53  (+14) 36
तेलगांना   17 25   (+8)   47
कुल  129  184   (+55)  42.6%

परिसीमन क्यों होता है

परिसीमन वह प्रक्रिया है जिसमें लोकसभा, विधानसभा व स्थानीय निकाय की सीटों की सीमाएं तय की जाती हैं। चूंकि लोकसभा—विधानसभा में एक निश्चित आबादी के लिए प्रतिनिधित्व होता है। आबादी में बदलाव से यह स्थिति बदल जाती है इसलिए हर जनगणना के बाद ये प्रक्रिया होती है।

कैसे होती है परिसीमन प्रक्रिया

इसकी कवायद सुप्रीम कोर्ट के रिटा.जज की अध्यक्षता में की जाती है। इसके लिए एक परिसीमन आयोग का गठन किया जाता है। इसे संसद में कानून पारित कर गठित किया जाता है। इस आयोग के आदेश को मानना कानूनी रूप से बाध्यकारी होता है। इसे किसी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जाती है। संसद भी इसके आदेश में संशोधन का सुझाव नहीं दे सकती है।
जनगणना कब होगी शुरू: 2021 में होने वाली दशकीय जनगणना कोविड के कारण टल गई थी। जून 2023 में भारत के जनगणना रजिस्ट्रार जनरल ने जनगणना के लिए जिला, तहसील, कस्बे व गांवों की प्रशासनिक सीमाएं तय करने की तिथि 1 जनवरी 2024 तक बढ़ा दी। इस सीमाओं के तय होने के तीन माह बाद जनगणना शुरू होती है लेकिन उसी दौरान देश में लोकसभा चुनाव की घोषणा होगी। इसलिए उस वक्त ये संभव नहीं होगी।

कब होगा फिर परिसीमन

जनगणना के बाद परिसीमन प्रक्रिया होगी। सुप्रीम कोर्ट में जब नए संसद भवन को बड़ा बनाने को लेकर चुनौती का मामला आया तो केंद्र ने हलफनामे देकर यह संभावना जताई कि अगले परिसीमन में लोकसभा की सीटें 543 से 888 और राज्यसभा की 245 से बढ़कर 384 हो सकती है।

फिर कब लागू होगा नया परिसीमन

परिसीमन आयोग अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट गजट में प्रकाशित करता है। आम आदमी से मिले फीडबैक से जुड़ी जरूरी बदलाव के बाद फाइनल रिपोर्ट तैयार होती है। परिसीमन आयोग की सिफारिशें राष्ट्रपति द्वारा तय तिथि पर लागू होती है। रिपोर्ट की प्रतियां लोकसभा और विधानसभाओं में रखी जाती हैं। लेकिन इसमें किसी प्रकार के कोई संशोधन की अनुमति नहीं होती है।

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