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Bihar Result: राजग की तूफानी जीत ने बदला विधानसभा का जातीय समीकरण, दशकों बाद सदन में दिखेंगे एक तिहाई अगड़े
हिमांशु मिश्र, अमर उजाला
Published by: लव गौर
Updated Sun, 16 Nov 2025 04:05 AM IST
सार
बिहार चुनाव में राजग की तूफानी जीत ने विधानसभा का जातीय समीकरण बदल दिया है। दशकों बाद सदन में एक तिहाई अगड़े विधायक दिखेंगे। वहीं अब यादव और मुस्लिम विधायकों की संख्या 72 से घटकर सिर्फ 39 रह गई है।
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एनडीए की जीत पर मिठाई बांटते भाजपा कार्यकर्ता
- फोटो : स्वयं
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विस्तार
बिहार चुनाव में राजग की ऐतिहासिक जीत ने विधानसभा का जातीय समीकरण भी पूरी तरह बदल दिया है। दशकों बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का लवकुश समीकरण राजद के माई(यादव-मुस्लिम) समीकरण पर भारी पड़ा है। अगड़ी जाति के विधायकों की संख्या 50 से बढ़कर 70 हो गई है। इसके अलावा पहली बार राजग के खेमे में विपक्षी महागठबंधन की तुलना में यादवों की संख्या अधिक है।
इसके अलावा, सबसे अधिक राजपूत जाति के 32 उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई है। इस विधानसभा में अगड़ी जातियों का दबदबा होगा। राजपूत बिरादरी ने विधानसभा में यादवों के दशकों पुराने वर्चस्व को तोड़ दिया है। पिछले चुनाव के मुकाबले यादव विधायकों की संख्या जहां 55 से घट कर 28 रह गई है, वहीं राजपूत विधायकों की संख्या 18 से बढ़कर 32 हो गई है। इसके अलावा, बीते चुनाव में यादव और मुस्लिम विधायकों की कुल संख्या 72 थी, जो अब घट कर 39 रह गई है।
वहीं, लवकुश मतलब कुर्मी-कुशवाहा विधायकों की संख्या 26 से बढ़ कर 45 हो गई है। नतीजे ने सबसे अधिक धक्का राजद के यादव-मुस्लिम के मजबूत गठजोड़ को पहुंचाया है। दशकों तक इन दो बिरादरी के सबसे अधिक विधायक राजद से चुन कर आते थे। इस बार तस्वीर दूसरी है। यादव बिरादरी के निर्वाचित 28 विधायकों में इस बार राजग के 15 विधायक हैं। विपक्षी महागठबंधन से राजद के 11 समेत 12 और बसपा के एक विधायक इस बिरादरी से हैं। चुने गए 11 मुस्लिम उम्मीदवारों में से सर्वाधिक 5 एआईएमआईएम से हैं। राजद से महज तीन और कांग्रेस से महज दो मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीत पाए हैं।
50 से बढ़कर 70 हुए अगड़े विधायक
राजग की बंपर जीत ने बीते तीन दशक में अगड़ी जाति के विधायकों का नया रिकॉर्ड बनाया है। इस बार करीब एक तिहाई अगड़े उम्मीदवार जीते हैं। बीते चुनाव में 50 अगड़े चुने गए थे, इस चुनाव में यह संख्या 70 हो गई है। इनमें ब्राह्म्ण बिरादरी के 14, भूमिहार 23, राजपूत 32 और कायस्थ के एक विधायक हैं। वैश्य बिरादरी के विधायकों की संख्या भी 22 से बढ़ कर 25 हो गई है। एससी—एसटी से इस बार भी 40 विधायक चुन कर आए हैं।
महिलाओं की संख्या 25 से 28 हुई
इस बार महिला विधायकों की संख्या 25 से बढ़ कर 28 हुई है। इनमें भी राजग का दबदबा है। भाजपा से 10, जदयू से 9, लोजपाआर से 3, हम से 2 और आरएलएम से एक हैं। विपक्षी महागठबंधन की तीन महिला विधायक राजद से हैं।
ये भी पढ़ें: बिहार चुनाव परिणाम: फर्श पर प्रशांत, नई राजनीति की अलख जगाने में नाकाम, नहीं खुला पार्टी का खाता
पंद्रह जिलों में खाता तक नहीं खोल पाया महागठबंधन
चुनाव में विपक्षी महागठबंधन की करारी हार का कारण अपने सबसे मजबूत मुस्लिम-यादव बेल्ट में लचर प्रदर्शन के साथ 15 जिलों में खाता तक नहीं खोल पाना रहा है। मोदी-नीतीश की आंधी में विपक्षी महागठबंधन इन जिलों की 102 सीटों पर शून्य पर आउट हो गई। इसके अलावा विपक्षी महागठबंधन ने करीब-करीब सभी जिलों में बेहद बुरा प्रदर्शन किया। विपक्षी महागठबंधन भोजपुर, शेखपुरा, खगड़िया, शिवहर, दरभंगा, भागलपुर, बांका, अरवल, गोपालगंज, मुंगेर, सुपौल, लखीसराय, नालंदा, पूर्णिया समेत 15 जिलों में खाता नहीं खोल पाया। इन जिलों में विधानसभा की 102 सीटें हैं। इसके अलावा महागठबंधन को 11 जिलों में महज 1-1 सीट ही हासिल हो पाई। जबकि गया और पश्चिम चंपारण में 2-2 सीटें ही हाथ लगीं।
ये भी पढ़ें: Bihar Election Owaisi's AIMIM Result: मुस्लिम सियासत ने ली करवट, ओवैसी नया चेहरा; राजद का MY समीकरण कैसे टूटा?
80 में से 11 सीटें
विपक्षी महागठबंधन जहां 15 जिलों की सौ सीटों में से एक भी नहीं जीत पाया, वहीं 11 जिलों की 80 सीटों में से उसके हाथ महज 11 सीटें ही हाथ लगी। मसलन पार्टी को पूर्वी चंपारण की 12 में से 1, बक्सर, जमुई और कैमूर की 4-4 सीटों में से 1-1, रोहतास और पूर्णिया की 7-7 सीटों में 1-1, मुजफ्फरपुर की 11 में 1, मधुबनी की 10 में 1, सीवान और वैशाली की 8-8 सीटों में 1-1, नवादा की 5 में 1 सीट ही हासिल हुई।
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इसके अलावा, सबसे अधिक राजपूत जाति के 32 उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई है। इस विधानसभा में अगड़ी जातियों का दबदबा होगा। राजपूत बिरादरी ने विधानसभा में यादवों के दशकों पुराने वर्चस्व को तोड़ दिया है। पिछले चुनाव के मुकाबले यादव विधायकों की संख्या जहां 55 से घट कर 28 रह गई है, वहीं राजपूत विधायकों की संख्या 18 से बढ़कर 32 हो गई है। इसके अलावा, बीते चुनाव में यादव और मुस्लिम विधायकों की कुल संख्या 72 थी, जो अब घट कर 39 रह गई है।
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वहीं, लवकुश मतलब कुर्मी-कुशवाहा विधायकों की संख्या 26 से बढ़ कर 45 हो गई है। नतीजे ने सबसे अधिक धक्का राजद के यादव-मुस्लिम के मजबूत गठजोड़ को पहुंचाया है। दशकों तक इन दो बिरादरी के सबसे अधिक विधायक राजद से चुन कर आते थे। इस बार तस्वीर दूसरी है। यादव बिरादरी के निर्वाचित 28 विधायकों में इस बार राजग के 15 विधायक हैं। विपक्षी महागठबंधन से राजद के 11 समेत 12 और बसपा के एक विधायक इस बिरादरी से हैं। चुने गए 11 मुस्लिम उम्मीदवारों में से सर्वाधिक 5 एआईएमआईएम से हैं। राजद से महज तीन और कांग्रेस से महज दो मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीत पाए हैं।
50 से बढ़कर 70 हुए अगड़े विधायक
राजग की बंपर जीत ने बीते तीन दशक में अगड़ी जाति के विधायकों का नया रिकॉर्ड बनाया है। इस बार करीब एक तिहाई अगड़े उम्मीदवार जीते हैं। बीते चुनाव में 50 अगड़े चुने गए थे, इस चुनाव में यह संख्या 70 हो गई है। इनमें ब्राह्म्ण बिरादरी के 14, भूमिहार 23, राजपूत 32 और कायस्थ के एक विधायक हैं। वैश्य बिरादरी के विधायकों की संख्या भी 22 से बढ़ कर 25 हो गई है। एससी—एसटी से इस बार भी 40 विधायक चुन कर आए हैं।
महिलाओं की संख्या 25 से 28 हुई
इस बार महिला विधायकों की संख्या 25 से बढ़ कर 28 हुई है। इनमें भी राजग का दबदबा है। भाजपा से 10, जदयू से 9, लोजपाआर से 3, हम से 2 और आरएलएम से एक हैं। विपक्षी महागठबंधन की तीन महिला विधायक राजद से हैं।
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पंद्रह जिलों में खाता तक नहीं खोल पाया महागठबंधन
चुनाव में विपक्षी महागठबंधन की करारी हार का कारण अपने सबसे मजबूत मुस्लिम-यादव बेल्ट में लचर प्रदर्शन के साथ 15 जिलों में खाता तक नहीं खोल पाना रहा है। मोदी-नीतीश की आंधी में विपक्षी महागठबंधन इन जिलों की 102 सीटों पर शून्य पर आउट हो गई। इसके अलावा विपक्षी महागठबंधन ने करीब-करीब सभी जिलों में बेहद बुरा प्रदर्शन किया। विपक्षी महागठबंधन भोजपुर, शेखपुरा, खगड़िया, शिवहर, दरभंगा, भागलपुर, बांका, अरवल, गोपालगंज, मुंगेर, सुपौल, लखीसराय, नालंदा, पूर्णिया समेत 15 जिलों में खाता नहीं खोल पाया। इन जिलों में विधानसभा की 102 सीटें हैं। इसके अलावा महागठबंधन को 11 जिलों में महज 1-1 सीट ही हासिल हो पाई। जबकि गया और पश्चिम चंपारण में 2-2 सीटें ही हाथ लगीं।
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80 में से 11 सीटें
विपक्षी महागठबंधन जहां 15 जिलों की सौ सीटों में से एक भी नहीं जीत पाया, वहीं 11 जिलों की 80 सीटों में से उसके हाथ महज 11 सीटें ही हाथ लगी। मसलन पार्टी को पूर्वी चंपारण की 12 में से 1, बक्सर, जमुई और कैमूर की 4-4 सीटों में से 1-1, रोहतास और पूर्णिया की 7-7 सीटों में 1-1, मुजफ्फरपुर की 11 में 1, मधुबनी की 10 में 1, सीवान और वैशाली की 8-8 सीटों में 1-1, नवादा की 5 में 1 सीट ही हासिल हुई।