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Himachal Pradesh: राधा स्वामी सत्संग ब्यास पहुंचे PM नरेंद्र मोदी, जानें इस डेरे का हिमाचल चुनाव पर कितना असर
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Sat, 05 Nov 2022 01:30 PM IST
सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शनिवार को हिमाचल में प्रचार करने पहुंचे। हिमाचल प्रदेश में चुनावी रैली करने से पहले प्रधानमंत्री पंजाब के अमृतसर पहुंचे। यहां उन्होंने राधा स्वामी सत्संग ब्यास के डेरा में अनुयायियों से मुलाकात की। डेरे के प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों से करीब आधे घंटे तक चर्चा की।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को अमृतसर पहुंचे। यहां उन्होंने राधा स्वामी सत्संग ब्यास के प्रमुख
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
हिमाचल प्रदेश चुनाव में प्रचार का आखिरी दौर चल रहा है। पार्टियों के पास प्रचार-प्रसार के लिए आखिरी पांच दिन बचे हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियों ने पूरा दम लगा दिया है। भारतीय जनता पार्टी भी हर तरह से समीकरण बनाने में जुटी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शनिवार को हिमाचल में प्रचार करने पहुंचे। हिमाचल प्रदेश में चुनावी रैली करने से पहले प्रधानमंत्री पंजाब के अमृतसर पहुंचे। यहां उन्होंने राधा स्वामी सत्संग ब्यास के डेरा में अनुयायियों से मुलाकात की। डेरे के प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों से करीब आधे घंटे तक चर्चा की।
सवाल ये है कि आखिर हिमाचल प्रदेश चुनाव से इस डेरे का क्या ताल्लुक है? इस डेरे के जरिए भाजपा को हिमाचल प्रदेश चुनाव में क्या फायदा मिलने की उम्मीद है? डेरे का हिमाचल में कितना असर है? आइए जानते हैं...
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शनिवार को हिमाचल में प्रचार करने पहुंचे। हिमाचल प्रदेश में चुनावी रैली करने से पहले प्रधानमंत्री पंजाब के अमृतसर पहुंचे। यहां उन्होंने राधा स्वामी सत्संग ब्यास के डेरा में अनुयायियों से मुलाकात की। डेरे के प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों से करीब आधे घंटे तक चर्चा की।
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सवाल ये है कि आखिर हिमाचल प्रदेश चुनाव से इस डेरे का क्या ताल्लुक है? इस डेरे के जरिए भाजपा को हिमाचल प्रदेश चुनाव में क्या फायदा मिलने की उम्मीद है? डेरे का हिमाचल में कितना असर है? आइए जानते हैं...
राधा स्वामी सत्संग ब्यास का हिमाचल में कितना प्रभाव?
साल 1891 में बाबा जैमल जी ने राधा स्वामी डेरे की स्थापना की थी। पंजाब के अमृतसर में राधा स्वामी सत्संग ब्यास बड़ा आध्यात्मिक केंद्र है। देश और दुनिया में इसके करोड़ों अनुयायी हैं। खासतौर पर पंजाब, हरियाणा और हिमाचल में इस डेरे का खासा प्रभाव है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अकेले हिमाचल प्रदेश में इस डेरे के पांच लाख से ज्यादा अनुयायी हैं। ये अनुयायी हिमाचल के लगभग सभी जिलों में हैं।
ब्यास डेरा प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने हमीरपुर जिले के भोटा में चैरिटी अस्पताल बनवाया है। इसके अलावा शिमला समेत हर कोने में डेरे के सत्संग भवन हैं। आजादी से पहले से यहां तब के डेरा प्रमुख बाबा सावन सिंह प्रचार के लिए पैदल आते थे। आजादी के बाद बाबा जगत सिंह, बाबा चरण सिंह व फिर गुरिंदर सिंह ढिल्लों यहां आ रहे हैं।
साल 1891 में बाबा जैमल जी ने राधा स्वामी डेरे की स्थापना की थी। पंजाब के अमृतसर में राधा स्वामी सत्संग ब्यास बड़ा आध्यात्मिक केंद्र है। देश और दुनिया में इसके करोड़ों अनुयायी हैं। खासतौर पर पंजाब, हरियाणा और हिमाचल में इस डेरे का खासा प्रभाव है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अकेले हिमाचल प्रदेश में इस डेरे के पांच लाख से ज्यादा अनुयायी हैं। ये अनुयायी हिमाचल के लगभग सभी जिलों में हैं।
ब्यास डेरा प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने हमीरपुर जिले के भोटा में चैरिटी अस्पताल बनवाया है। इसके अलावा शिमला समेत हर कोने में डेरे के सत्संग भवन हैं। आजादी से पहले से यहां तब के डेरा प्रमुख बाबा सावन सिंह प्रचार के लिए पैदल आते थे। आजादी के बाद बाबा जगत सिंह, बाबा चरण सिंह व फिर गुरिंदर सिंह ढिल्लों यहां आ रहे हैं।
पीएम मोदी के डेरे पर जाने के सियासी मायने क्या हैं?
इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, 'डेरा प्रमुख से मुलाकात के जरिए प्रधानमंत्री मोदी वह एक बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। डेरे के अनुयायी अगर साथ आ गए इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। हालांकि, सार्वजनिक तौर पर कभी भी डेरे ने किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं किया है।'
इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, 'डेरा प्रमुख से मुलाकात के जरिए प्रधानमंत्री मोदी वह एक बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। डेरे के अनुयायी अगर साथ आ गए इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। हालांकि, सार्वजनिक तौर पर कभी भी डेरे ने किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं किया है।'
सिख मतदाताओं का हिमाचल से नाता
प्रमोद कहते हैं, 'हिमाचल प्रदेश से सिखों का गहरा नाता रहा है। सिख सिरमौर के शासकों के निमंत्रण पर, 1695 में हिमाचल प्रदेश में शिवालिक पहाड़ियों पर मुगलों से लड़ने में मदद के लिए आये थे। गुरु गोविंद सिंह जी अपनी सेना के साथ पौंटा साहिब के तलहटी में रुके थे। महाराजा रंजीत सिंह के शासनकाल के दौरान 18वीं सदी के अंत में, पश्चिमी पहाड़ी राज्यों के कई लोग भी सिख संप्रभुता के अधीन आ गये। सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविन्द सिंह जी ने सिरमौर जिले की यमुना नदी के किनारे पर पौंटा साहिब बसाया गया था।'
प्रमोद के अनुसार, 'हिमाचल प्रदेश में मणिकर्ण भी सिखों का एक तीर्थस्थान है। यहां से रहस्यमयी तौर पर गर्म पानी आता है। मान्यता है कि सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी ने इस स्थान का भ्रमण किया था। यहां पर स्थित गुरुद्वारा उनकी यात्रा के यादगार के रूप में बनाया गया था जो कि आज के समय में सिखों का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बन गया है।'
प्रमोद कहते हैं, 'हिमाचल प्रदेश से सिखों का गहरा नाता रहा है। सिख सिरमौर के शासकों के निमंत्रण पर, 1695 में हिमाचल प्रदेश में शिवालिक पहाड़ियों पर मुगलों से लड़ने में मदद के लिए आये थे। गुरु गोविंद सिंह जी अपनी सेना के साथ पौंटा साहिब के तलहटी में रुके थे। महाराजा रंजीत सिंह के शासनकाल के दौरान 18वीं सदी के अंत में, पश्चिमी पहाड़ी राज्यों के कई लोग भी सिख संप्रभुता के अधीन आ गये। सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविन्द सिंह जी ने सिरमौर जिले की यमुना नदी के किनारे पर पौंटा साहिब बसाया गया था।'
प्रमोद के अनुसार, 'हिमाचल प्रदेश में मणिकर्ण भी सिखों का एक तीर्थस्थान है। यहां से रहस्यमयी तौर पर गर्म पानी आता है। मान्यता है कि सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी ने इस स्थान का भ्रमण किया था। यहां पर स्थित गुरुद्वारा उनकी यात्रा के यादगार के रूप में बनाया गया था जो कि आज के समय में सिखों का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बन गया है।'