दिव्यांगों के लिए पहल: परिवहन प्रणालियों में बदलाव का प्रस्ताव; बस-ट्रेन में अनिवार्य होगी व्हीलचेयर की जगह
दिव्यांगो के लिए किए जाने वाले बदलावों में बसों और मेट्रो ट्रेनों में व्हीलचेयर के लिए अनिवार्य जगह, स्टेशनों पर सीढ़ी रहित शौचालय, समतल बोर्डिंग रैंप के साथ हवाई, रेल और सड़क परिवहन नेटवर्क में प्रशिक्षित कर्मचारियों की तैनाती शामिल हैं।
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देश के दिव्यांगों के लिए अब कहीं भी सफर करना बेहद आसान हो जाएगा। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत आने वाले दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) ने परिवहन प्रणालियों में बदलाव के लिए एक मसौदा तैयार किया है, जो दिव्यांगों के लिए परिवहन प्रणालियों को अधिक सुलभ बनाता है।
इन बदलावों में बसों और मेट्रो ट्रेनों में व्हीलचेयर के लिए अनिवार्य जगह, स्टेशनों पर सीढ़ी रहित शौचालय, समतल बोर्डिंग रैंप के साथ हवाई, रेल और सड़क परिवहन नेटवर्क में प्रशिक्षित कर्मचारियों की तैनाती शामिल हैं। डीईपीडब्ल्यूडी ने परिवहन और गतिशीलता क्षेत्र के लिए तैयार किए मसौदा सुगम्यता मानकों पर आम जनता और संबंधित हितधारकों से सुझाव और टिप्पणियां मांगी हैं।
ये होंगे बदलाव...हर बस में दिव्यांगों के लिए चार सीट और बेल्ट जरूरी
मसौदे के अनुसार, बसों में लो-फ्लोर एंट्री, रैंप, सेफ्टी बेल्ट और व्हीलचेयर के लिए खास जगह होना अनिवार्य होगा। पीएम ई-बस सेवा और टाइप-3 इंटरसिटी बसों को भी परीक्षण किए गए लिफ्टों या ब्रिज रैंप के साथ फिर से तैयार किया जाएगा। इसके साथ ही हर बस में सीमित गतिशीलता वाले लोगों के लिए कम से कम चार प्राथमिकता सीटें और सीट बेल्ट होना जरूरी होगा। मेट्रो और रेलवे प्लेटफॉर्म्स पर रबर गैप फिलर और बोर्डिंग रैंप लगाए जाएंगे।
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हवाईअड्डों पर पार्किंग से चेक-इन तक बिना किसी सीढ़ी के पहुंचने की सुविधा, एयरोब्रिज में रैंप, विमानों में व्हीलचेयर के अनुकूल सीटें और विमान के अंदर चलने के लिए आइल चेयर उपलब्ध होनी चाहिए। मसौदे के दिशानिर्देश टैक्सी एग्रीगेटर और ई-रिक्शा पर भी लागू होंगे। इनमें से कुछ वाहनों को व्हीलचेयर-फ्रेंडली बनाना होगा और चालकों को प्रशिक्षित करना शामिल है।
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