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Porsche Case: किशोर के पिता-दादा समेत पांच पर FIR, व्यवसायी के बेटे को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पुणे
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Fri, 07 Jun 2024 01:37 AM IST
सार
पुणे पुलिस के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि पोर्श कार दुर्घटना मामले के आरोपी किशोर के दादा और पिता समेत पांच लोगों पर आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में केस दर्ज किया गया है। व्यापारी के बेटे को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में पांचों की भूमिका मिली है।
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पुणे में दुर्घटना के बाद क्षतिग्रस्त पोर्श कार (फाइल)
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
पुणे में पोर्श कार दुर्घटना मामले में फंसे किशोर और उसके दादा-पिता की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। पुलिस ने अब किशोर के दादा-पिता और तीन अन्य पर एक और केस दर्ज किया है। एक व्यवसायी के बेटे को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में इन पांचों की भूमिका सामने आई है।
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पुलिस के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि पुणे के वडगांव शेरी इलाके में निर्माण व्यवसाय चलाने वाले डीएस कतुरे ने चंदननगर पुलिस स्टेशन में विनय काले नामक व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के अनुसार, कतुरे के बेटे शशिकांत कतुरे ने काले से निर्माण कार्य के लिए ऋण लिया था। समय पर ऋण नहीं चुका पाने के बाद काले ने मूल राशि में चक्रवृद्धि ब्याज जोड़ने के साथ ही शशिकांत को परेशान करना शुरू कर दिया। लगातार उत्पीड़न से तंग आकर शशिकांत ने जनवरी 2024 में आत्महत्या कर ली। इस मामले में पुलिस ने काले के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया था।
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पुलिस अधिकारी के अनुसार, जब आत्महत्या मामले की जांच की गई तो 17 वर्षीय किशोर के पिता रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल, दादा सुरेंद्र अग्रवाल और तीन अन्य की भूमिका सामने आई। जांच के बाद पुलिस ने मामले में आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 34 (सामान्य इरादा) जोड़ दी है।
कल्याणी नगर इलाके में हुआ था कार हादसा
बता दें कि कल्याणी नगर इलाके में पोर्श कार ने दोपहिया वाहन सवार दो आईटी इंजीनियरों को टक्कर मार दी थी। हादसे में दोनों इंजीनियरों की मौत हो गई थी। इस मामले में कार चालक किशोर के दादा सुरेंद्र पोर्श कार दुर्घटना मामले में अपने परिवार के ड्राइवर के कथित अपहरण और गलत तरीके से कैद करने के आरोप में फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं, जिस पर पुलिस को यह बताने के लिए दबाव डाला गया था कि जब दुर्घटना हुई तो वह गाड़ी चला रहा था। वहीं, पिता विशाल और मां खून के नमूनों की अदला-बदली से संबंधित मामले में पुलिस हिरासत में हैं।
थाने से रिहा होने के बाद ड्राइवर को किया था रिसीव
वहीं, गुरुवार को किशोर के दादा ने अपने वकील आशुतोष श्रीवास्तव के माध्यम से बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि परिवार के ड्राइवर के अपहरण और बंधक बनाने के मामले में उन्हें झूठा फंसाया गया था। उन्हें हिरासत में भी गलत तरीके से लिया गया था। याचिका में कहा गया है कि जांच अधिकारियों ने केवल आरोपों पर और पांच दिनों की अत्यधिक देरी के बाद प्रस्तुत शिकायत के आधार पर 77 वर्षीय किशोर के दादा के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 42 ए के तहत अनिवार्य प्रक्रिया का पालन किए बिना मामला दर्ज किया था। जांच के बाद यरवदा पुलिस स्टेशन से 20 मई की रात करीब 11 बजे रिहा होने के बाद ड्राइवर को याचिकाकर्ता (किशोर के दादा) ने रिसीव किया था। चूंकि वह डरा हुआ था। उसकी जान को खतरा था, इसलिए ड्राइवर और याचिकाकर्ता दोनों ने आपसी सहमति से याचिकाकर्ता के घर जाने का फैसला किया। याचिकाकर्ता ने ड्राइवर और उसके परिवार की सुरक्षा का आश्वासन दिया था।
ड्राइवर ने हाईकोर्ट से किशोर के दादा को रिहा करने का किया अनुरोध
वहीं, याचिका में कहा गया है कि ड्राइवर ने उसके कथित अपहरण और गलत तरीके से कैद करने के संबंध में की गई शिकायत को मनगढ़ंत और फर्जी बताया है। उसने हाईकोर्ट से अनुरोध किया है कि वह पुलिस को याचिकाकर्ता को तुरंत रिहा करने का निर्देश दे। वहीं, ड्राइवर ने पुलिस के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी मांग की है।