Rajasthan: आठ माह में 100 सीटें कवर चुके हैं पीएम मोदी, कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश
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विस्तार
कर्नाटक की हार के बाद भारतीय जनता पार्टी का पूरा फोकस हिंदी पट्टी के तीन अहम राज्य एमपी-राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर हो गया है। पीएम ने अजमेर की रैली के जरिए कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार पर जमकर निशाना साधा। प्रधानमंत्री की इसी रैली के साथ ही भाजपा ने देशभर में चलाए जाने वाले महाजनसंपर्क अभियान के साथ ही राजस्थान विधानसभा चुनाव अभियान की शुरुआत की दी है। पीएम की अजमेर में सभा का असर प्रदेश की आठ लोकसभा क्षेत्रों की 64 में से 45 विधानसभा सीटों पर देखने को मिलेगा। इन 45 सीटों में से भाजपा के पास सिर्फ 20 सीटें हैं। बाकी की 25 सीटों में से 20 कांग्रेस, 2 राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) और 3 सीटें निर्दलीयों के कब्जे में हैं। राजस्थान भाजपा के नेताओं का कहना है कि भाजपा इस अभियान के जरिए मोदी सरकार के कामों को जनता के बीच पहुंचा कर गहलोत सरकार की 'फ्री बिजली' और 'चिरंजीवी' जैसी योजनाओं से बने माहौल का असर को कम करने की कोशिश करेगी।
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पीएम मोदी का आठ माह में यह छठा राजस्थान दौरा है। मई की 10 तारीख को उन्होंने सिरोही के आबूरोड में सभा की थी। इस सभा के जरिए मोदी ने दक्षिणी राजस्थान के सिरोही, जालौर और पाली सहित आसपास के जिलों की 26 सीटों को साधा था। दक्षिण राजस्थान का यह इलाका भाजपा के लिए मजबूत माना जाता है। यहां की 26 में से पिछली बार भाजपा ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसके पहले 12 फरवरी को मोदी ने पूर्वी राजस्थान के आठ जिलों दौसा, करौली, भरतपुर, टोंक, जयपुर, अलवर, सवाई माधोपुर, धौलपुर की 58 विधानसभा सीटों को साधने के लिए गुर्जर-मीणा बहुल दौसा में सभा की थी। पूर्वी राजस्थान में भाजपा की स्थिति कमजोर है। पिछले चुनाव में 58 में से उसे मात्र 11 सीटों पर ही जीत मिल सकी थी।
पीएम ने 28 जनवरी को भीलवाड़ा के आसींद में सभा की थी। यहां से उन्होंने गुर्जर समाज को साधने के लिए मालासेरी में स्थित देवनारायण भगवान के मंदिर में पूजा-अर्चना की थी। जबकि पिछले साल एक नवंबर को मोदी ने बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में सभा करके आसपास की 19 सीटों को साधा था। इससे पहले 30 नवंबर को मोदी सिरोही के आबूरोड आए थे। उस समय प्रदेश भाजपा में चरम पर चल रही खींचतान को दूर करने के लिए उन्होंने सभी नेताओं को एक साथ मंच पर खड़ा करके एकजुटता का संदेश दिया था। पीएम मोदी के अब तक हुए दौरों पर गौर किया जाए, तो वे लगभग 100 विधानसभा सीटों को कवर कर चुके हैं।
अभी तक के सभी दौरे जाति-समाजों को साधने के मकसद से ही हुए हैं। उनका फोकस आदिवासी, ओबीसी, गुर्जर-मीणा और एससी समुदाय रहा है। अब अजमेर में हो रही सभा में जिन 45 सीटों से भाजपा भीड़ जुटाने की तैयारी कर रही है, उनमें भी ज्यादातर सीटें ओबीसी और एससी बहुल सीटें हैं। पिछले चुनाव में भी पीएम ने चुनाव अभियान का आगाज अजमेर से ही किया था। वे तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की प्रदेशभर में निकाली गई गौरव यात्रा के समापन पर अजमेर आए थे। यहीं से उन्होंने प्रदेश में चुनावी शंखनाद किया था। इस बार भी उनकी सभा को राजस्थान में भाजपा का चुनावी बिगुल बताया जा रहा है।
इसलिए भाजपा ने चुना अजमेर को
भाजपा पीएम की इस रैली के जरिए इस क्षेत्र में अपनी दावेदारी मजबूत करने में जुटी हुई है। अजमेर में कांग्रेस नेता सचिन पायलट की स्थिति मजबूत है। इसके अलावा गहलोत के करीबी माने जाने वाले रघु शर्मा की अजमेर में मजबूत पकड़ बताई जाती है। अजमेर में भाजपा कांग्रेस पर सीधा हमला कर पाए, लिहाजा पीएम की सभा अजमेर में करवाई जा रही है। अजमेर में सभी जातियों का अपना वर्चस्व है। लेकिन जाट और मुस्लिम यहां बड़ी संख्या में हैं। मुस्लिम वोटर्स कांग्रेस को अपना वोट बैंक मानते हैं। ऐसे में इन वोटों में सेंध लगाने के लिए अजमेर में भाजपा की ओर से पीएम की सभा करवाई जा रही है।