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ShivSena: दशहरा रैली का क्या है इतिहास, कितना पुराना है शिवाजी पार्क से शिवसेना का कनेक्शन, इस बार क्या अलग?

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: जयदेव सिंह Updated Wed, 05 Oct 2022 05:50 PM IST
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सार

आखिर इस रैली का शिवसेना और शिवसैनिकों के लिए क्या महत्व है? शिवाजी पार्क और दशहरा रैली का इतिहास क्या है? इस साल की रैली में क्या अलग होगा? शिंदे गुट सत्ता में है फिर कैसे उद्धव गुट को शिवाजी पार्क में रैली की इजाजत मिल गई? आइये जानते हैं…
 

Shiv Sena Dussehra rally: Why Shivaji Park is important for Shiv Sena
उद्धव ठाकरे - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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शिवसेना की ऐतिहासिक दशहरा रैली आज हो रही है। इस बार ये रैली दो जगह हो रही है। एक उद्धव गुट की तरफ से दूसरी एकनाथ शिंदे गुट की तरफ से। उद्धव गुट की रैली शिवाजी पार्क में हो रही है। वहीं, शिंदे गुट की रैली बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स के मैदान में हो रही है। दोनों गुट इस रैली को अपनी ताकत दिखाने के अवसर के रूप में ले रहे हैं।  

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सवाल ये है कि आखिर इस रैली का शिवसेना और शिवसैनिकों के लिए क्या महत्व है? शिवाजी पार्क और दशहरा रैली का इतिहास क्या है? इस साल की रैली में क्या अलग होगा? शिंदे गुट सत्ता में है फिर कैसे उद्धव गुट को शिवाजी पार्क में रैली की इजाजत मिल गई? आइये जानते हैं…
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Shiv Sena Dussehra rally: Why Shivaji Park is important for Shiv Sena
उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे के साथ एकनाथ शिंदे - फोटो : ANI
शिवाजी पार्क पर ही क्यों होती रही है शिवसेना की वार्षिक दशहरा रैली? 
19 जून 1966 को बाला साहेब ठाकरे ने शिवसेना का गठन किया। पार्टी के गठन के वक्त ठाकरे ने एलान किया कि शिवसेना की पहली रैली दशहरे के दिन होगी। बाला साहेब ठाकरे के एलान के मुताबिक उस साल दशहरे के दिन 30 अक्तूबर को दादर के शिवाजी पार्क में ये रैली हुई। 

बाला साहब ने ये एलान अपनी साप्ताहिक पत्रिका में मार्मिक में किया था। दरअसल, दशहरे के दिन सार्वजनिक अवकाश रहता है। इसलिए उस वक्त इस दिन को रैली के लिए सबसे उपयुक्त माना गया था। 1966 में हुई पहली रैली के बाद यह आयोजन हर साल होने लगा। 

शिवसैनिक इस रैली का बेसब्री से इंतजार करते रहे हैं। जब उनके नेता शिवाजी पार्क से अपनी बात रखते हैं। 1966 से शुरू ये चलन अनवरत जारी है। 2012 तक लगातार इस रैली को बाला साहब ठाकरे संबोधित करते रहे। उनके निधन के बाद 2013 से इस रैली को उद्धव ठाकरे संबोधित करते रहे हैं। ऐसा पहली बार होगा जब शिवसेना की दो दशहरा रैलियां होंगी। शिवाजी पार्क में उद्धव ठाकरे शिवसेना की रैली को संबोधित करेंगे। वहीं, दूसरी ओर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट की भी रैली बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में एक मैदान में होगी।  

 

Shiv Sena Dussehra rally: Why Shivaji Park is important for Shiv Sena
शिवाजी पार्क में रैली की तैयारियां आखिरी चरण में हैं। - फोटो : ANI
 शिवसेना और उसके सैनिकों के लिए दशहरा रैली का क्या महत्व है?

शिवाजी पार्क में होने वाली हर दशहरा रैली पर बाला साहेब ठाकरे के भाषण बेहद आक्रामक होते थे। बाला साहेब अपने भाषण में किसी विरोधी को नहीं छोड़ते थे। दशहरा रैली के दौरान शिवसेना के अगले एक साल के उद्देश्यों और राजनीतिक पहलों की भी घोषणा भी पार्टी प्रमुख करते रहे हैं। दशहरा रैली के दौरान शिवसेना प्रमुख के संदेश को शिवसैनिक आदेश के तौर पर लेते रहे हैं।  

इस साल की रैली में क्या अलग होगा?
इस साल की रैली में सबसे अहम है शिवसेना का दो धड़ों में बंटना। उद्धव ठाकरे गुट की रैली हर साल के अयोजन स्थल शिवाजी पार्क में हो रही है। वहीं, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट वाली शिवसेना भी दशहरा रैली का आयोजन कर रही है। शिंदे गुट की रैली का आयोजन बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में एक मैदान में होगा। 

दोनों गुटों की ओर से रैली की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। दोनों गुट पांच अक्तूबर को होने वाले आयोजन में ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने का इंतजाम करने में जुटे हुए हैं। दोनों ने दशहरा रैली का टीजर वीडियो भी जारी किया है जिसमें दोनों गुट एक-दूसरे पर तंज कसते नजर आ रहे हैं। 

Shiv Sena Dussehra rally: Why Shivaji Park is important for Shiv Sena
बाला साहेब ठाकरे के निधन के बाद से उद्धव ठाकरे दशहरा रैली को संबोधित करते रहे हैं। - फोटो : PTI
दोनों गुट के टीजर वीडियों में क्या है?

शिवसेना के आधिकारिक ट्विटर हैंडल द्वारा शेयर किए गए वीडियो में उद्धव ठाकरे को बड़ी सभा को संबोधित करते हुए दिखाया गया है। इससे संकेत दिया गया है कि वो एक और विशाल दशहरा रैली के लिए तैयार हैं। शिवसेना ने समर्थकों को आमंत्रित करते हुए ट्वीट के कैप्शन में लिखा, 'एक नेता, एक झंडा, एक मैदान... भक्तिपूर्ण शिवसैनिक... पारंपरिक ऐतिहासिक दशहरा सभा! स्थान:- छत्रपति शिवाजी महाराज पार्क (शिवतीर्थ), दादर पांच अक्तूबर 2022, शाम 6.30 बजे।'   

शिंदे के नेतृत्व वाले गुट के वीडियो टीजर में बाल ठाकरे का वीडियो दिखाया गया था। वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, 'हम न केवल कांग्रेस पार्टी के इस रावण को जलाएंगे, हम इसे दफना भी देंगे। 20 सेकंड के वीडियो में बैकग्राउंड में दिवंगत बाल ठाकरे की आवाज है। वीडियो जारी करते हुए शिंदे गुट ने बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति का आह्वान किया है।
 

शिंदे गुट सत्ता में है फिर कैसे उद्धव गुट को शिवाजी पार्क में रैली की इजाजत मिल गई?

उद्धव ठाकरे गुट को शिवाजी पार्क में दशहरा रैली करने की अनुमति बॉम्बे हाईकोर्ट ने दी है। शिंदे गुट ने अदालत में याचिका लगाई थी। इसमें शिंदे गुट की तरफ से शिवाजी पार्क में रैली करने की अनुमति मांगी गई थी। जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था। अदालत में जाने से पहले दोनों गुटों ने बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) से शिवाजी पार्क में रैली की अनुमति मांगी थी। जिसे BMC ने कानून व्यवस्था का हवाला देकर ठुकरा दिया था।

इसके बाद दोनों गुट कोर्ट पहुंचे थे। ठाकरे के नेतृत्व वाली सेना ने 22 अगस्त को BMC में अपना आवेदन दिया था, जबकि शिंदे गुट ने 30 अगस्त को आवेदन किया था। 23 सितंबर को बंबई हाईकोर्ट ने ठाकरे गुट को दादर मैदान में अपना कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दी। वहीं, एक हफ्ते पहले मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने शिंदे समूह को अपने आयोजन के लिए बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में एक मैदान का उपयोग करने की अनुमति दी थी।

 

 क्या हर साल शिवाजी पार्क में ही होती है शिवसेना की दशहरा रैली?

1966 से हर साल दशहरा रैली हो रही है। अब तक केवल दो मौके ऐसे रहे हैं जब यह रैली नहीं हुई। पहली बार 2006 में मुंबई में हुई भारी बारिश की वजह से रैली नहीं हो सकी थी। वहीं, 2009 में विधानसभा चुनाव की वजह से रैली का आयोजन नहीं हुआ। 2014 में शिवसेना ने शिवाजी पार्क में पारंपरिक दशहरा पूजा की थी। उस वर्ष भी विधानसभा चुनाव हुए थे। तब दशहरा रैली का आयोजन बोरीवली में हुआ था। 

 

Shiv Sena Dussehra rally: Why Shivaji Park is important for Shiv Sena
2010 की दशहरा रैली में बाला साहेब ठाकरे ने अपने पोते आदित्य को लॉन्च किया था। - फोटो : PTI
अब तक हुई दशहरा रैलियों में सबसे अहम भाषण कौन से रहे हैं? 

1991 की दशहरा रैली के दौरान बाला साहेब ने अपने भाषण के दौरान एलान किया कि मुंबई में होने वाला भारत-पाकिस्तान मैच नहीं होगा। इसके बाद शिवसैनिक वानखेड़े स्टेडियम पहुंच गए। शिवसैनिकों ने पिच खोद दी। इसके चलते मैच को रद्द करना पड़ा था। 

1989 तक माना जाता था कि शिवसेना को मुंबई में कांग्रेस का मौन समर्थन मिला हुआ है। 1989 की दशहरा रैली में पहली बार बाला साहेब ठाकरे ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोला था। इसी रैली में ठाकरे ने हिंदुत्व के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का भी एलान किया था।  

2010 की दशहरा रैली के दौरान बाला साहेब ने अपने पोते आदित्य ठाकरे की राजनीति में एंट्री का एलान किया था। इसी तरह 2018 की दशहरा रैली में उद्धव ठाकरे ने 25 नवंबर को अयोध्या दौरे पर जाने का एलान करते हुए भाजपा सरकार से मंदिर निर्माण की तारीख बताने को कहा था। 
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