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सुप्रीम कोर्ट: तीसरे पक्ष के कहने पर एफआईआर रद्द नहीं कर सकते, पीएम की आलोचना वाले पोस्टर का मामला

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: गौरव पाण्डेय Updated Fri, 30 Jul 2021 09:35 PM IST
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सार

कोरोना टीकाकरण अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाले पोस्टर चिपकाने के मामले में शीर्ष अदालत ने कहा है कि किसी तीसरे पक्ष के कहने पर एफआईआर रद्द नहीं की जा सकती हैं।

Supreme court says can not quash FIRs in bedest of third party for pasting posters of PM Modi over coronavirus vaccination drive
सर्वोच्च न्यायालय - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह किसी तीसरे पक्ष के इशारे पर कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण अभियान के संबंध में कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाले पोस्टर लगाने के लिए दर्ज प्राथमिकी को रद्द नहीं कर सकता। शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसा करना आपराधिक कानून में एक बहुत ही गलत मिसाल कायम करेगा। 

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न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता प्रदीप कुमार यादव को याचिका वापस लेने की अनुमति दी। लेकिन, इसके साथ ही पीठ ने स्पष्ट किया कि याचिका का खारिज होना वास्तव में पीड़ित व्यक्ति की ओर से प्राथमिकी को रद्द करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाए जाने के आड़े नहीं आएगा।
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पीठ ने कहा, आपने जो मामले हम दिए हैं उनके विवरण के बारे में हम कैसे पता लगा सकते हैं। हम तीसरे पक्ष के कहने पर एफआईआर रद्द नहीं कर सकते। यह केवल कुछ विशेष मामलों में ही किया जा सकता है जैसे याचिकाकर्ता अदालत नहीं जा सकता है या उसके माता-पिता यहां हैं लेकिन किसी तीसरे पक्ष के कहने पर नहीं। यह आपराधिक कानून में एक बहुत ही गलत मिसाल कायम करेगा।

यादव ने कहा कि मैंने अदालत के निर्देशानुसार मामले का विवरण दाखिल किया था। इसके बाद उन्होंने याचिका वापस लेने की मांग की, जिसकी अदालत ने अनुमति दे दी। उल्लेखनीय है कि 19 जुलाई को शीर्ष अदालत ने यादव से कथित तौर पर पोस्टर चिपकाने के आरोप में दर्ज मामलों और गिरफ्तार लोगों की जानकारी संज्ञान में लाने के लिए कहा था।

वेदांता की याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करेगी शीर्ष अदालत

सुप्रीम कोर्ट ने वेदांता की उस याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करने को राजी हुआ जिसमें कंपनी ने तूतीकोरिन में स्थित ऑक्सीजन प्लांट में कार्य जारी रखने की अनुमति देने की मांग की गई है। इस ऑक्सीन प्लांट के लिए शीर्ष अदालत ने 31 जुलाई की अंतिम तिथि तय की है। वेदांता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे द्वारा यह उल्लेख करने पर कि अदालत ने 27 अप्रैल को कोविड महामारी को देखते हुए ऑक्सीजन प्लांट को 31 जुलाई तक संचालित करने की अनुमति दी थी, न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने मामले पर अगले सप्ताह सुनवाई करने पर सहमति जताई। वहीं, तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि इस याचिका का विरोध इसलिए किया जा रहा है क्योंकि राज्य में अब ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।

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