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सुष्मिता देव: ममता दीदी का मिशन तोड़ो नहीं जोड़ो है, मैं राज्यसभा में विपक्ष की आवाज बनूंगी
प्रतिभा ज्योति, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: प्रतिभा ज्योति
Updated Tue, 21 Sep 2021 07:27 PM IST
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Sushmita Dev
विस्तार
असम के सिलचर से कांग्रेस सांसद रहीं सुष्मिता देव पार्टी का एक प्रमुख चेहरा थीं। बताया गया कि जमीनी मुद्दों की समझ रखने वाली देव ने पार्टी में सुनवाई नहीं होने की वजह से कांग्रेस छोड़ दी। बहरहाल तृणमूल कांग्रेस में उनकी नई पारी की शुरूआत हो चुकी है। पार्टी उन्हें राज्यसभा में भेज रही है. उन्होंने कल अपना नामांकन दाखिल कर लिया है। सुष्मिता देव असम और त्रिपुरा में तृणमूल कांग्रेस को मजबूत देने के लिए जुटी हुई हैं। उनसे तमाम मुद्दों पर बातचीत हुई।पेश है बातचीत के प्रमुख अंश.....
सवाल-भारतीय जनता पार्टी ने अपने खिलाफ किसी उम्मीदवार को नहीं उतारने की घोषणा की है। क्या वजह है कि भाजपा ने आपके खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा।
जवाब-देखिए, भाजपा को ‘एक्सपोज’ होने का डर था। राज्यसभा चुनाव में विधायकों के वोट की काफी अहमियत होती है। लेकिन यदि आपका विधायकों पर भरोसा नहीं हो तो आप क्या करेंगे। भाजपा के कई विधायक तृणमूल में आना चाहते हैं, इसलिए भाजपा को इस बात का डर है तो कि क्रॉस वोटिंग हो सकती है। वैसे भाजपा ने घोषणा तो की है लेकिन देखना है क्या होता है?
यदि आप राज्यसभा के लिए चुन ली जाती हैं तो आपकी क्या प्राथमिकता होगी?
तृणमूल कांग्रेस की पहली और प्रमुख प्राथमिकता है विपक्षी पार्टी को मजबूती देना। विपक्षी पार्टी के रूप में मुझे देश हित में बोलना है। मैं देश से जुड़े उन मुद्दों को राज्यसभा में उठाऊंगी जिससे जनता त्रस्त है और इस देश की सरकार उस पर आंख मूंदे है। यदि विपक्षी पार्टियां सरकार के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगी तो यह देश की जनता के साथ नाइंसाफी होगी। मैं राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस की ताकत मजबूत करूंगी।
सवाल-पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के विजय के बाद तृणमूल कांग्रेस को खुद को मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर देख रही है?
जवाब-इसमें संदेह कैसा है? विकल्प कौन है पूरा देश देख रहा है।
सवाल-कहा जा रहा है कि आपने तृणमूल कांग्रेस के सामने राज्यसभा में आने की शर्त रखी थी?
जवाब- ‘कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना’। मैंने ऐसी कोई शर्त नहीं रखी थी। ममता दीदी के नेतृत्व और उनके शासन से प्रेरित होकर मैंने पार्टी में शामिल होने का फैसला किया।
सवाल-भाजपा नेताओं का तृणमूल कांग्रेस में आने का सिलसिला रूक नहीं रहा। आज तो कांग्रेस के एक नेता मैनुल हक ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। कहा जा रहा है कि वे आपकी पार्टी में शामिल होगें। क्या तृणमूल कांग्रेस का पार्टी तोड़ो मिशन चल रहा है?
जवाब-किसी भी राजनीतिक दल का मिशन होता है अपनी पार्टी को ताकतवर बनाना। ममता दीदी किसी को तोड़ना नहीं जानतीं वे जोड़ना जानती हैं। सभी पार्टियों को ममता दीदी में अपना भविष्य दिख रहा है। उन्होंने देश की राजनीति को एक नया मोड़ दिया है। किसी पार्टी को तोड़ना या मरोड़ना हमारा लक्ष्य नहीं है। भाजपा ने पश्चिम बंगाल में जिस तरह की राजनीति करने की कोशिश की थी उसीका नतीजा है कि भाजपा के कई विधायक हमारी पार्टी में आने को तैयार हैं, लेकिन ममता दीदी ने उन्हें इंतजार करने को कहा है। किसी पार्टी से कोई नेता यदि तृणमूल का दामन थामते हैं तो वह पार्टी चिंता करे जिसके नेता यहां आ रहे हैं। हम अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं। मेरे गृह राज्य असम में भी अलग-अलग पार्टियों के कई नेता तृणमूल कांग्रेस से जुड़ने की इच्छा रखते हैं।
सवाल-भाजपा के पूर्व सांसद बाबुल सुप्रियो भी टीएमसी में शामिल हो गए हैं। क्या वजह रही है भाजपा से संन्यास लेने के फैसले के बाद वे टीएमसी में आ गए?
जवाब-इसका बेहतर जवाब तो बाबुल सुप्रियो ही दे सकते हैं। मुझे लगता है कि भारतीय राजनीति में ममता बनर्जी जिस तरह अपनी एक अलग जगह और पहचान बनाई है वे सियासत में आने वाले लोगों के लिए प्रेरणादायक हैं।
सवाल-आप त्रिपुरा में इन दिनों पूरी ताकत लगा रही हैं, क्या आप वहां तृणमूल कांग्रेस का चेहरा बना सकती हैं?
अभी ऐसी कोई बात नहीं है। मैं त्रिपुरा में जरूर पूरी मेहनत कर रही हूं। हम यहां पार्टी को मजबूत बनाने में लगे हैं। मैं आज भी त्रिपुरा में ही हूं। यहां विधानसभा चुनाव 2023 में होना है, और पार्टी की कोशिश है कि हम पूरे दमखम से यहां चुनाव लड़ें।