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विजय दिवस: 1971 युद्ध के नायकों को श्रद्धांजलि, युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि समारोह में शामिल हुए रक्षा मंत्री

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: संध्या Updated Tue, 16 Dec 2025 12:41 PM IST
सार

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह विजय दिवस के मौके पर दिल्ली स्थित युद्ध स्मारक पहुंचे। यहां उन्होंने 1971 का युद्ध में वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी। 

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Vijay Diwas Defence Minister pays tribute to the heroes of the 1971 war, participates in wreath-laying
राजनाथ सिंह ने 1971 युद्ध के नायकों को श्रद्धांजलि दी। - फोटो : PTI
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विस्तार
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1971 के भारत पाक युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों की जीत की याद में आयोजित 54वें विजय दिवस का आयोजन किया गया। इस मौके पर मंगलवार को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि समारोह का कार्यक्रम हुआ। इस आयोजन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह , सीडीएस प्रमुख जनरल अनिल चौहान, सीओएएस जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायु सेना प्रमुख अमर प्रीत सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी मौजूद थे। इस मौके पर तेलंगाना के सिकंदराबाद में एसपी रोड पर आर्मी परेड ग्राउंड में स्थित वीरूला सैनिक स्मारक पर भी पुष्पांजलि समारोह आयोजित किया गया। 

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1971 के युद्ध में भारत के वीरजवानों ने पाकिस्तान को हराकर बांग्लादेश को आजाद कराया था। इसे देश विजय दिवस के रूप में मनाता है। राजनाथ सिंह ने सीडीएस प्रमुख, सीओएएस जनरल, वायु सेना प्रमुख और नौसेना प्रमुख के साथ मिलकर युद्ध में लड़ने वाले उन साहसी सशस्त्र बलों को श्रद्धांजलि दी। 

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सिकंदराबाद के विजय दिवस समारोह में तेलंगाना के राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। 

भारतीय सेना की पूर्वी कमान ने कहा कि 1971 का युद्ध उस समय खत्म हुआ जब पूरी तरह से पराजित लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी, पाकिस्तानी सेना की पूर्वी कमान के कमांडर, ने 16 दिसंबर को आत्मसमर्पण कर दिया और आत्मसमर्पण पत्र पर हस्ताक्षर किए और एक नए राष्ट्र "बांग्लादेश" का जन्म हुआ।

प्रधानमंत्री ने भी दी श्रद्धांजलि 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1971 के युद्ध में भाग लेने वाले सशस्त्र बलों के जवानों को याद किया और उनकी राष्ट्रवाद की भावना और बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित की।

उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा "विजय दिवस पर, हम उन वीर सैनिकों को याद करते हैं जिनके साहस और बलिदान ने 1971 में भारत को ऐतिहासिक विजय दिलाई। उनके दृढ़ संकल्प और निस्वार्थ सेवा ने हमारे राष्ट्र की रक्षा की और हमारे इतिहास में गौरव का एक क्षण अंकित किया। यह दिन उनकी वीरता को सलाम और उनकी अद्वितीय भावना की याद दिलाता है। उनकी वीरता भारतीय पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी,"

कैसे हुआ बांगलादेश का निर्माण

हार के बाद पाकिस्तान पूर्वी कमान ने बांग्लादेश में तैनात सभी पाकिस्तानी सशस्त्र बलों को पूर्वी मोर्चे पर भारत और बांग्लादेश बलों के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट-जनरल जगजीत सिंह अरोरा के सामने आत्मसमर्पण करने पर सहमति व्यक्त की। पाकिस्तानी थल, वायु और नौसेना बलों के साथ-साथ सभी अर्धसैनिक और नागरिक सशस्त्र बलों को हथियार डालने के कहा गया।  

आत्मसमर्पण का अर्थ यह भी था कि हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद पाकिस्तान पूर्वी कमान लेफ्टिनेंट-जनरल अरोरा के आदेशों के अधीन आ जाएगी। आदेशों की अवहेलना को आत्मसमर्पण की शर्तों का उल्लंघन माना जाएगा और युद्ध के नियमों और प्रथाओं के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

आत्मसमर्पण पत्र के अनुसार, लेफ्टिनेंट-जनरल अरोरा का निर्णय अंतिम था। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि आत्मसमर्पण करने वाले सैनिकों के साथ जेनेवा कन्वेंशन के प्रावधानों के अनुसार गरिमा और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाएगा और आत्मसमर्पण करने वाले सभी पाकिस्तानी सैन्य और अर्धसैनिक बलों की सुरक्षा की गारंटी दी।

तब से, विजय दिवस हर साल 16 दिसंबर को मनाया जाता है, जो 1971 के युद्ध में भारत की निर्णायक जीत की याद दिलाता है , जिसके कारण बांग्लादेश को स्वतंत्रता मिली।

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