Politics: 'मतुआ समुदाय की समस्याओं पर कोई बात नहीं की', PM मोदी के वर्चुअल भाषण पर TMC का वार; लगाए गंभीर आरोप
टीएमसी ने पीएम मोदी के नादिया में रैली के दौरान दिए गए वर्चुअल भाषण पर पलटवार किया है। पार्टी ने कहा कि पीएम मोदी ने मतुआ समुदाय और बंगाली भाषियों की समस्याओं पर कोई चर्चा नहीं हुई।
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पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की सियासत में गर्माहट तेज हो गई है। ऐसे में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति अपने चरम पर तब पहुंच गई जब शनिवार को सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पीएम मोदी के नादिया जिले में रैली के दौरान दिए गए वर्चुअल भाषण पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। पार्टी ने कहा कि पीएम मोदी ने मतुआ समुदाय की समस्याओं पर कोई बात नहीं की, जिससे उनके 'लापरवाह रवैये' का पता चलता है।
टीएमसी के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने कहा कि पीएम मोदी ने बंगाली भाषी लोगों के कथित उत्पीड़न के बारे में भी एक शब्द नहीं कहा। उन्होंने बताया कि पीएम मोदी का भाषण दृष्टि और जिम्मेदारी से खाली था। उन्होंने मतुआ समुदाय की चिंताओं को संबोधित नहीं किया।
मतुआ समुदाय और एसआईआर का मुद्दा
बता दें कि मतुआ समुदाय, जो दलित हिंदू शरणार्थी हैं और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न के चलते भारत आए थे, इस साल राज्यभर में हुए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद अपनी पहचान और नागरिकता को लेकर चिंतित हैं। एसआईआर के कारण पश्चिम बंगाल के ड्राफ्ट मतदाता सूची से 58,20,898 नाम हटा दिए गए, जिससे राज्य के कुल मतदाताओं की संख्या 7.66 करोड़ से घटकर 7.08 करोड़ हो गई।
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इसके अलावा लगभग 1.36 करोड़ प्रविष्टियों में गलतियां पाई गई और करीब 30 लाख मतदाता अनमैप्ड माने गए। ऐसे में मतुआ नेताओं का कहना है कि इन हटाए गए या समस्या वाले मतदाताओं में मतुआ समुदाय का बड़ा हिस्सा शामिल है।
मतुआ नेता बाला ठाकुर ने भी पीएम पर लगाए आरोप
इसके साथ ही टीएमसी सांसद और मतुआ नेता ममता बाला ठाकुर ने कहा कि समुदाय के लोग उम्मीद कर रहे थे कि पीएम एसआईआर और इसके प्रभाव के बारे में बताएंगे, लेकिन उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि मतुआ इलाकों में एसआईआर से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ और भाजपा की ओर से नागरिकता देने के वादे अब तक पूरे नहीं हुए। उन्होंने यह भी कहा कि मतुआ नागरिकता सहायता केंद्र बंद कर दिए गए, जिससे समुदाय के लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
कुनाल घोष ने पीएम मोदी पर लगाए गंभीर आरोप
कुणाल घोष ने यह भी आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने उन भारतीय नागरिकों के भारत से निष्कासन के बारे में कुछ नहीं कहा, जिन्हें भाजपा शासित राज्यों के पुलिस बल ने बांग्लादेश भेज दिया था। उन्होंने उदाहरण के तौर पर सुनाली खातून का नाम लिया, जो जून में बांग्लादेश भेजी गई थी और 6 दिसंबर को न्यायपालिका के हस्तक्षेप से भारत लौट आई।
टीएमसी ने यह भी कहा कि पीएम मोदी ने यह नहीं बताया कि केंद्र ने पश्चिम बंगाल में गरीबों के लिए कई केंद्रीय परियोजनाओं के लिए फंड रोक दिया है। इस दौरान घोष ने पूछा कि ग्रामीण रोजगार योजना के तहत हजारों करोड़ क्यों रोके गए? ग्रामीण इलाकों में गरीबों के लिए घर बनाने की मदद क्यों रोकी गई? पेयजल परियोजनाओं को क्यों रोका गया?
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टीएमसी नेताओं की प्रतिक्रिया
इतना ही नहीं टीएमसी नेताओं ने यह भी कहा कि पीएम मोदी की रैली में कुछ भाजपा कार्यकर्ता ट्रेन दुर्घटना में मारे गए, जो भीड़ प्रबंधन की कमी के कारण हुई। रेलवे अधिकारियों ने पुष्टि की कि तीन लोग मारे गए और तीन घायल हुए। वहीं, वरिष्ठ टीएमसी नेता चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल को मिलने वाले केंद्रीय फंड्स पर एक भी शब्द नहीं कहा। उन्होंने पीएम मोदी के बंगाली बोलने के प्रयास पर भी तंज कसा और कहा कि कई जगह उनके उच्चारण सही नहीं थे।
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