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बेलगाम बोल पर बवाल: रमेश बिधूड़ी का मामला विशेषाधिकार समिति को भेजने की मांग क्यों, इससे उनका क्या होगा?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवेंद्र तिवारी
Updated Sat, 23 Sep 2023 02:47 PM IST
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रमेश बिधूड़ी vs दानिश अली
- फोटो :
AMAR UJALA
विस्तार
संसद का विशेष सत्र गुरुवार को समाप्त हो गया। हालांकि, सत्र के दौरान भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के एक बयान ने देश की सियासत में भूचाल ला दिया है। भाजपा सांसद ने सदन के अंदर अमर्यादित टिप्पणियां कीं। इसके बाद जहां एक ओर भाजपा ने असंसदीय बयान के लिए बिधूड़ी को कारण बताओ नोटिस भेजा है, तो वहीं विपक्षी दलों ने भाजपा नेता को संसद से निष्कासित करने की मांग की है।आइये जानते हैं कि आखिर भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने क्या बयान दे दिया है? नियम के अनुसार क्या होता है असंसदीय बयान? क्या इस टिप्पणी के लिए रमेश बिधूड़ी संसद से निष्कासित होंगे? विपक्ष क्या मांग कर रहा है?

भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी
- फोटो :
अमर उजाला
आखिर भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने क्या बयान दे दिया?
लोकसभा में चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर चर्चा के दौरान भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने अमर्यादित टिप्पणी की थी। रमेश बिधूड़ी ने असंसदीय भाषा का प्रयोग किया। बिधूड़ी संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन लोकसभा में चंद्रयान-3 की सफलता पर बोल रहे थे। इस दौरान बसपा सांसद दानिश अली ने कुछ सवाल उठाए। जिस पर भाजपा सांसद ने अभद्र भाषा का प्रयोग किया। दानिश अली ने कहा है कि बिधूड़ी ने ये अमर्यादित बातें उन्हें बोली हैं। इसे लेकर उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र भी लिखा है।
लोकसभा में चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर चर्चा के दौरान भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने अमर्यादित टिप्पणी की थी। रमेश बिधूड़ी ने असंसदीय भाषा का प्रयोग किया। बिधूड़ी संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन लोकसभा में चंद्रयान-3 की सफलता पर बोल रहे थे। इस दौरान बसपा सांसद दानिश अली ने कुछ सवाल उठाए। जिस पर भाजपा सांसद ने अभद्र भाषा का प्रयोग किया। दानिश अली ने कहा है कि बिधूड़ी ने ये अमर्यादित बातें उन्हें बोली हैं। इसे लेकर उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र भी लिखा है।

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला
- फोटो :
संसद टीवी
बयान के बाद क्या हुआ?
बिधूड़ी के विवादित बयान के बाद लोकसभा के रिकॉर्ड से विवादित हिस्से को हटा दिया गया। वहीं, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने बिधूड़ी से बात की। उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए नाराजगी जताई और रमेश बिधूड़ी को भाषा का ध्यान रखने की चेतावनी दी। वहीं, भाजपा ने बिधूड़ी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
बिधूड़ी के विवादित बयान के बाद लोकसभा के रिकॉर्ड से विवादित हिस्से को हटा दिया गया। वहीं, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने बिधूड़ी से बात की। उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए नाराजगी जताई और रमेश बिधूड़ी को भाषा का ध्यान रखने की चेतावनी दी। वहीं, भाजपा ने बिधूड़ी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

बसपा सांसद दानिश अली
- फोटो :
Agency (File Photo)
खुद दानिश अली और विपक्ष ने क्या प्रतिक्रिया दी है?
बिधूड़ी के आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर अमरोहा सांसद दानिश अली ने अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखा है। इसमें बसपा सांसद ने लोकसभा अध्यक्ष से मामले को जांच के लिए लोकसभा प्रक्रिया के नियम 222, 226 और 227 के तहत विशेषाधिकार समिति के पास भेजने का अनुराेध किया है।
दानिश ने कहा कि चंद्रयान पर चर्चा के दौरान भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने उनके खिलाफ जो शब्द कहे इससे उन्हें गहरी पीड़ा पहुंची है। उनके खिलाफ बेहद गंदे और अपमानजनक अपशब्द कह गए। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
इसके साथ ही दानिश अली ने लोकसभा अध्यक्ष से भाजपा सांसद के खिलाफ नोटिस जारी करने का अनुरोध किया है। कहा कि देश का माहौल खराब न हो इसलिए इस मामले की जांच का आदेश दिया जाए।
बिधूड़ी के आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर अमरोहा सांसद दानिश अली ने अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखा है। इसमें बसपा सांसद ने लोकसभा अध्यक्ष से मामले को जांच के लिए लोकसभा प्रक्रिया के नियम 222, 226 और 227 के तहत विशेषाधिकार समिति के पास भेजने का अनुराेध किया है।
दानिश ने कहा कि चंद्रयान पर चर्चा के दौरान भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने उनके खिलाफ जो शब्द कहे इससे उन्हें गहरी पीड़ा पहुंची है। उनके खिलाफ बेहद गंदे और अपमानजनक अपशब्द कह गए। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
इसके साथ ही दानिश अली ने लोकसभा अध्यक्ष से भाजपा सांसद के खिलाफ नोटिस जारी करने का अनुरोध किया है। कहा कि देश का माहौल खराब न हो इसलिए इस मामले की जांच का आदेश दिया जाए।

दानिश अली से मिलने पहुंचे राहुल गांधी।
- फोटो :
सोशल मीडिया।
विपक्ष ने की निलंबन की मांग
बसपा सुप्रीमो मायावती ने दानिश अली को अपशब्द कहने पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि पार्टी द्वारा बिधूड़ी के विरुद्ध अभी तक समुचित कार्रवाई नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
शुक्रवार को ही राहुल गांधी सांसद दानिश अली से मिलने उनके आवास पर पहुंचे। मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा कि नफरत के बाजार में हमारी मोहब्बत की दुकान है।
वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला, राजद सांसद मनोज झा, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी, जेडीयू नेता राजीव रंजन, लोकसभा में कांग्रेस के नेता सदन अधीर रंजन चौधरी, एनसीपी (शरद गुट) की सुप्रिया सुले जैसे कई नेताओं ने भी बयान की निंदा की है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने दानिश अली को अपशब्द कहने पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि पार्टी द्वारा बिधूड़ी के विरुद्ध अभी तक समुचित कार्रवाई नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
शुक्रवार को ही राहुल गांधी सांसद दानिश अली से मिलने उनके आवास पर पहुंचे। मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा कि नफरत के बाजार में हमारी मोहब्बत की दुकान है।
वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला, राजद सांसद मनोज झा, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी, जेडीयू नेता राजीव रंजन, लोकसभा में कांग्रेस के नेता सदन अधीर रंजन चौधरी, एनसीपी (शरद गुट) की सुप्रिया सुले जैसे कई नेताओं ने भी बयान की निंदा की है।

सुप्रिया सुले
- फोटो :
सोशल मीडिया
बिधूड़ी के खिलाफ सुप्रिया सुले ने विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया
सुप्रिया सुले ने कहा है कि उन्होंने टीएमसी नेता के साथ मिलकर स्पीकर को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें वह बिधूड़ी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव ला रही हैं। सुप्रिया ने कहा, 'मैं ऐसे व्यवहार की निंदा करती हूं। इसके लिए विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया जाना चाहिए, जो मैंने किया।'
सुप्रिया सुले ने कहा है कि उन्होंने टीएमसी नेता के साथ मिलकर स्पीकर को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें वह बिधूड़ी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव ला रही हैं। सुप्रिया ने कहा, 'मैं ऐसे व्यवहार की निंदा करती हूं। इसके लिए विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया जाना चाहिए, जो मैंने किया।'
क्या होते हैं असंसदीय शब्द?
असंसदीय शब्द वे होते हैं जो सदन की गरिमा के अनुकूल नहीं होते और इसलिए सभापति द्वारा उन्हें भाषणों के रिकॉर्ड से निकाल दिया जाता है। यही कारण है कि भाजपा सांसद द्वारा की गई टिप्पणी को लोकसभा अध्य्क्ष ओम बिड़ला ने हटा दिया।
संसद का सचिवालय ऐसे शब्दों की एक सूची जारी करता है जिन्हें 'असंसदीय' माना जाता है। ये आमतौर पर ऐसे शब्द हैं जिनका इस्तेमाल अतीत में सांसदों द्वारा किया गया है और तब इन्हें लोकसभा और राज्यसभा के रिकॉर्ड से हटा दिया गया था।
पिछले साल संसद के मानसून सत्र से पहले, लोकसभा सचिवालय द्वारा संसद में उपयोग के लिए अयोग्य समझे गए शब्दों का 50 पन्नों की पुस्तिका जारी की थी।
असंसदीय शब्द वे होते हैं जो सदन की गरिमा के अनुकूल नहीं होते और इसलिए सभापति द्वारा उन्हें भाषणों के रिकॉर्ड से निकाल दिया जाता है। यही कारण है कि भाजपा सांसद द्वारा की गई टिप्पणी को लोकसभा अध्य्क्ष ओम बिड़ला ने हटा दिया।
संसद का सचिवालय ऐसे शब्दों की एक सूची जारी करता है जिन्हें 'असंसदीय' माना जाता है। ये आमतौर पर ऐसे शब्द हैं जिनका इस्तेमाल अतीत में सांसदों द्वारा किया गया है और तब इन्हें लोकसभा और राज्यसभा के रिकॉर्ड से हटा दिया गया था।
पिछले साल संसद के मानसून सत्र से पहले, लोकसभा सचिवालय द्वारा संसद में उपयोग के लिए अयोग्य समझे गए शब्दों का 50 पन्नों की पुस्तिका जारी की थी।
कैसे हटाए जाते हैं ये शब्द, क्या है नियम?
लोकसभा के नियम 380 के अनुसार, अध्यक्ष के पास बहस के रिकॉर्ड से अपमानजनक, असंसदीय या अशोभनीय शब्दों को हटाने की शक्ति है। क्या असंसदीय है, यह तय करने का अधिकार अध्यक्ष के पास है। हालांकि, अध्यक्ष इस शक्ति का प्रयोग इस तरह से नहीं कर सकते, जिससे संविधान के अनुच्छेद 105 द्वारा सदस्यों को प्रदत्त बोलने की स्वतंत्रता खत्म हो जाए।
लोकसभा के नियम 380 के अनुसार, अध्यक्ष के पास बहस के रिकॉर्ड से अपमानजनक, असंसदीय या अशोभनीय शब्दों को हटाने की शक्ति है। क्या असंसदीय है, यह तय करने का अधिकार अध्यक्ष के पास है। हालांकि, अध्यक्ष इस शक्ति का प्रयोग इस तरह से नहीं कर सकते, जिससे संविधान के अनुच्छेद 105 द्वारा सदस्यों को प्रदत्त बोलने की स्वतंत्रता खत्म हो जाए।

संविधान
- फोटो :
अमर उजाला
असंसदीय भाषा के बीच अनुच्छेद 105 का जिक्र क्यों आता है?
संविधान के अनुच्छेद 105 के तहत संसद सदस्यों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हैं ताकि वे बिना किसी बाधा के अपने संसदीय कर्तव्यों का पालन कर सकें। वहीं, संविधान का अनुच्छेद 105(2) कहता है कि संसद का कोई भी सदस्य संसद या उसकी किसी समिति में कही गई किसी भी बात या दिए गए वोट के संबंध में किसी भी अदालत में किसी भी कार्यवाही के लिए उत्तरदायी नहीं होगा। इसका मतलब है कि सदन में कुछ भी कहने पर सांसदों के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
संविधान के अनुच्छेद 105 के तहत संसद सदस्यों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हैं ताकि वे बिना किसी बाधा के अपने संसदीय कर्तव्यों का पालन कर सकें। वहीं, संविधान का अनुच्छेद 105(2) कहता है कि संसद का कोई भी सदस्य संसद या उसकी किसी समिति में कही गई किसी भी बात या दिए गए वोट के संबंध में किसी भी अदालत में किसी भी कार्यवाही के लिए उत्तरदायी नहीं होगा। इसका मतलब है कि सदन में कुछ भी कहने पर सांसदों के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

संसद भवन।
- फोटो :
सोशल मीडिया
विशेषाधिकार समिति क्या करती है?
संसदीय विशेषाधिकार का उद्देश्य स्वतंत्रता को अधिकार और संसद की गरिमा की रक्षा करना है। हालांकि, ये अधिकार सदस्यों को उन दायित्वों से मुक्त नहीं करते हैं जो अन्य नागरिकों पर लागू होते हैं। अगर सदस्यों के ऐसे कार्यों में संलिप्त होने की शिकायत मिलती है तो इसे संबंधित सदन के सभापति या अध्यक्ष विशेषाधिकार समिति के पास भेज सकते हैं। लोकसभा के नियम 227 के तहत अध्यक्ष द्वारा विशेषाधिकार का प्रश्न समिति को भेजा जाता है।
इस समिति में अध्यक्ष द्वारा नामित 15 सदस्य होते हैं। इसका कार्य सदन के विशेषाधिकार के उल्लंघन से जुड़े प्रत्येक प्रश्न की जांच करना है। यह प्रत्येक मामले के तथ्यों के आधार पर निर्धारित करता है कि क्या विशेषाधिकार का उल्लंघन शामिल है और अपनी रिपोर्ट में उपयुक्त सिफारिशें करता है। समिति की रिपोर्ट अध्यक्ष को प्रस्तुत की जाती है जो अंतिम आदेश पारित कर सकता है या यह निर्देश दे सकता है।
संसदीय विशेषाधिकार का उद्देश्य स्वतंत्रता को अधिकार और संसद की गरिमा की रक्षा करना है। हालांकि, ये अधिकार सदस्यों को उन दायित्वों से मुक्त नहीं करते हैं जो अन्य नागरिकों पर लागू होते हैं। अगर सदस्यों के ऐसे कार्यों में संलिप्त होने की शिकायत मिलती है तो इसे संबंधित सदन के सभापति या अध्यक्ष विशेषाधिकार समिति के पास भेज सकते हैं। लोकसभा के नियम 227 के तहत अध्यक्ष द्वारा विशेषाधिकार का प्रश्न समिति को भेजा जाता है।
इस समिति में अध्यक्ष द्वारा नामित 15 सदस्य होते हैं। इसका कार्य सदन के विशेषाधिकार के उल्लंघन से जुड़े प्रत्येक प्रश्न की जांच करना है। यह प्रत्येक मामले के तथ्यों के आधार पर निर्धारित करता है कि क्या विशेषाधिकार का उल्लंघन शामिल है और अपनी रिपोर्ट में उपयुक्त सिफारिशें करता है। समिति की रिपोर्ट अध्यक्ष को प्रस्तुत की जाती है जो अंतिम आदेश पारित कर सकता है या यह निर्देश दे सकता है।

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला
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संसद टीवी
यदि विशेषाधिकार हनन होता है तो इसके लिए सदस्य को क्या सजा दी जा सकती है?
सजा तय करने का अधिकार सदन को है। विशेषाधिकारों के उल्लंघन या अवमानना का दोषी पाए गए व्यक्ति को फटकार लगाई जा सकती है, चेतावनी दी जा सकती है या जेल भेजा जा सकता है। यदि इसके सदस्य दोषी पाए जाते हैं, तो सांसद को सदन से निलंबित किया जा सकता है या निष्कासन का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, इन तमाम कार्रवाई की समयसीमा सदन के सत्र की अवधि तक ही सीमित है।
विशेषाधिकार हनन का सबसे चर्चित मामला 1978 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ देखने को मिला था। इंदिरा को लोकसभा की विशेषाधिकार समिति द्वारा अवमानना और विशेषाधिकार हनन का दोषी पाया गया था। उन पर सरकारी अधिकारियों को परेशान करने का आरोप लगाया गया था। उन्हें संसद से निष्कासित कर जेल भेज दिया गया। हालांकि, यह प्रस्ताव 1981 में रद्द कर दिया गया था।
सजा तय करने का अधिकार सदन को है। विशेषाधिकारों के उल्लंघन या अवमानना का दोषी पाए गए व्यक्ति को फटकार लगाई जा सकती है, चेतावनी दी जा सकती है या जेल भेजा जा सकता है। यदि इसके सदस्य दोषी पाए जाते हैं, तो सांसद को सदन से निलंबित किया जा सकता है या निष्कासन का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, इन तमाम कार्रवाई की समयसीमा सदन के सत्र की अवधि तक ही सीमित है।
विशेषाधिकार हनन का सबसे चर्चित मामला 1978 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ देखने को मिला था। इंदिरा को लोकसभा की विशेषाधिकार समिति द्वारा अवमानना और विशेषाधिकार हनन का दोषी पाया गया था। उन पर सरकारी अधिकारियों को परेशान करने का आरोप लगाया गया था। उन्हें संसद से निष्कासित कर जेल भेज दिया गया। हालांकि, यह प्रस्ताव 1981 में रद्द कर दिया गया था।