सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   Withdrawal of southwest monsoon begins in India eight days after normal date of September 17 IMD news and upda

मौसम: भारत से दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी शुरू, सामान्य से आठ दिन बाद हो रही निकासी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Mon, 25 Sep 2023 01:26 PM IST
विज्ञापन
सार

यह लगातार 13वां साल है, जब मानसून की निकासी तय समय के मुकाबले देरी से हुई है।  मौसम विज्ञान विभाग ने 21 सितंबर को संकेत दिया था कि मानसून की वापसी 21 से 27 सितंबर के अंत तक शुरू हो सकती है। 

Withdrawal of southwest monsoon begins in India eight days after normal date of September 17 IMD news and upda
मानसून - फोटो : अमर उजाला
loader
Trending Videos

विस्तार
Follow Us

भारत के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र से मानसून की निकासी शुरू हो गई है। मौसम विभाग ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। बताया गया है कि इस बार मानसून की वापसी सामान्य से आठ दिन देरी से हो रही है। पहले इसकी कटऑफ तारीख 17 सितंबर मानी जाती थी और 15 अक्तूबर तक यह भारत से पूरी तरह लौट जाता है।
Trending Videos


मौसम विभाग की ओर से जारी बयान के मुताबिक, "दक्षिण-पश्चिमी मानसून की राजस्थान के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र से निकासी आज पूरी हुई है। सामान्यतः इस क्षेत्र से मानसून 17 सितंबर तक लौट जाता है।"
विज्ञापन
विज्ञापन


देर से मानसून के लौटने का क्या है असर?
यह लगातार 13वां साल है, जब मानसून की निकासी तय समय के मुकाबले देरी से हुई है। उत्तर-पश्चिम भारत से मानसून की देरी से निकासी का असर भारतीय उपमहाद्वीप पर पैदा होने वाली फसलों पर भी पड़ता है, क्योंकि ज्यादा समय तक मानसून के ठहरने से बारिश का मौसम भी लंबा चलता है, जिससे कृषि क्षेत्र पर सीधा प्रभाव पड़ता है। खासकर उत्तर-पश्चिम भारत में, जहां रबी के उत्पादन में मानसून की अहम भूमिका है।

गौरतलब है कि मौसम विज्ञान विभाग ने 21 सितंबर को संकेत दिया था कि मानसून की वापसी 21 से 27 सितंबर के अंत तक शुरू हो सकती है। वहीं, अनुमान लगाया है कि 30 सितंबर तक देश में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। हालांकि, यह 90 से 95 फीसदी के बीच रहेगी। मानसून सीजन जून से सितंबर के दौरान सामान्य औसत 868.8 मिमी है। आईएमडी के अनुसार, 21 सितंबर तक देश में कुल मिलाकर सात फीसदी बारिश कम हुई। 36 फीसदी जिलों में या तो कम (सामान्य से 20 से 59 फीसदी) या ज्यादा कम (सामान्य से 59 फीसदी से अधिक कम) बारिश हुई है।

ये हैं कारण
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बॉम्बे के जलवायु अध्ययन से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार आर्कटिक समुद्री बर्फ को काफी नुकसान हुआ है। इसके अलावा उत्तरी गोलार्ध विशेष रूप से ऊष्णकटिबंधीय अटलांटिक काफी गर्म रहा। इन हालातों ने आईटीसीजेड को उत्तर की ओर खींच लिया है और अल नीनो पैटर्न पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में ग्लोबल वार्मिंग का संकेत है।

इंटरट्रॉपिकल कन्वर्जेंस जोन (आईटीसीजेड) अंतः ऊष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है, जहां दो गोलार्धों की व्यापारिक हवाएं एक-दूसरे से टकराती हैं, जो स्थिर मौसम और भीषण गरज के साथ अनियमित मौसम का कारण बनती हैं। जब आईटीसीजेड उत्तर की ओर स्थानांतरित होता है तो भारतीय उपमहाद्वीप पर मानसून बरकरार रहता है। ये सभी कारक मिलकर ऊपरी वायुमंडल के दबाव और अरब सागर से नमी की आपूर्ति के साथ मानसून ट्रफ और मानसून डिप्रेशन की गति को प्रभावित करते हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed