कश्मीर में सीआईके का छापा: श्रीनगर में डॉक्टर और पत्नी हिरासत में, दुख्तरान-ए-मिल्लत से जुड़े होने की आशंका
श्रीनगर में सीआईके ने एक डॉक्टर और उसकी पत्नी को हिरासत में लिया, जिन पर कट्टरपंथ फैलाने और गैरकानूनी गतिविधियों के आरोप हैं। उनके कब्जे से डिजिटल उपकरण जब्त किए गए हैं, जिनका फोरेंसिक विश्लेषण नेटवर्क का पता लगाने के लिए किया जा रहा है।
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जम्मू-कश्मीर पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (सीआईके) विंग ने मंगलवार को छापा मारकर श्रीनगर के एसएमएचएस अस्पताल के सुपर स्पेशियलिटी में तैनात एक डॉक्टर और उसकी पत्नी को हिरासत में लिया है। सरकारी डॉक्टर पर गैरकानूनी गतिविधियों को छिपाने और उसकी पत्नी पर स्थानीय महिलाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से जोड़ने का आरोप है। प्रतिबंधित आतंकी संगठन दुख्तरान-ए-मिल्लत से जुड़े होने की आशंका को लेकर भी पत्नी जांच के दायरे में है।
सीआईके के एसएसपी ताहिर अशरफ ने बताया कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत कोर्ट से जारी वारंट को लेकर श्रीनगर, कुलगाम और अनंतनाग जिले में चार स्थानों पर तलाशी ली गई। उन्होंने बताया कि डाॅक्टर व उसकी पत्नी मूल रूप से दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के बुगाम के रहने वाले हैं और शेरीन बाग श्रीनगर में रह रहे थे।
एसएसपी ने बताया कि डॉक्टर की पत्नी पर स्थानीय महिलाओं को ऑनलाइन और ऑफलाइन गतिविधियों के जरिए कट्टरपंथी बनाने, विभाजनकारी बातें फैलाने और सामुदायिक संपर्क के बहाने कमजोर समूहों को प्रभावित करने के आरोप हैं। दुख्तरान-ए-मिल्लत से उसके जुड़े होने की फिलहाल जांच चल रही है। डॉक्टर गैरकानूनी गतिविधियों को छिपाने के लिए अपने पद और सामाजिक प्रतिष्ठा का दुरुपयोग कर रहा था। इस सबसे शांति और संप्रभुता को गंभीर खतरा पैदा हो रहा था।
बरामद उपकरणों के फोरेंसिक विश्लेषण से नेटवर्क का लगाया जा रहा पता
सीआईके की टीमों ने कई डिजिटल उपकरण और आपत्तिजनक सामग्री जब्त की है। इसमें पांच मोबाइल फोन, पांच सिम कार्ड, एक टैबलेट, दस्तावेज और साहित्य शामिल हैं। एसएसपी ने बताया कि बरामद सभी उपकरणों का विस्तृत फोरेंसिक विश्लेषण किया जा रहा है।
इससे दुष्प्रचार के संगठित प्रयासों से जुड़े एक व्यापक डिजिटल नेटवर्क का पता चलने की उम्मीद है। इनकी गतिविधियों का उद्देश्य चरमपंथी सामग्री को बढ़ावा देना और जनता की धारणा को प्रभावित करना था। उन्होंने कहा कि फिलहाल धरपकड़ और जांच जारी है।
दुख्तरान-ए-मिल्लत हिजबुल का मुखौटा संगठन रहा है
दुख्तरान-ए-मिल्लत (राष्ट्र की बेटियां) एक महिला संगठन था जो कश्मीर में इस्लामी कानून स्थापित करने और प्रदेश को देश से अलग करने के लिए जिहाद की वकालत करता था। यह आतंकवादी समूह हिजबुल मुजाहिदीन का एक मुखौटा संगठन रहा है।
इस समूह की स्थापना 1987 में हुई थी और इसकी प्रमुख आसिया अंद्राबी थी। 1990 के दशक की शुरुआत में कश्मीर में उग्रवाद के दौरान इस समूह ने नकाब और बुर्का न पहनने वाली महिलाओं को धमकियां दीं। इनमें से कुछ एसिड हमलों का शिकार हुईं।
भारत सरकार ने इसे एक आतंकवादी संगठन घोषित किया और 2018 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया। यह समूह मुख्य रूप से सशस्त्र गतिविधियों के बजाय इंटरनेट प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपनी गतिविधियां चलाता था। 2018 में एनआईए ने इसकी नेता आसिया अंद्राबी और उसकी सेक्रेटरी को आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद से समूह निष्क्रिय हो गया और इसे निष्क्रिय माना जाता है।