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Srinagar News: लगातार मिट्टी की खोदाई से पुलवामा के करेवा हो रहे बर्बाद
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पुलवामा में मिट्टी का खनन। संवाद
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- लोगों ने लगाया लापरवाही से खनन का आरोप
संवाद न्यूज एजेंसी
पुलवामा। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा के करेवा से लगातार मिट्टी की खोदाई से जिले का पर्यावरण खतरे में पड़ रहा है। अधिकारी कथित तौर पर इलाके के प्राकृतिक संसाधनों के इस घोर शोषण पर मूक दर्शक बने हुए हैं।
मलंगपोरा, पुचल, लाजूरा, कोइल, पयार, चांदगाम, बांदरपोरा, वखरवान, परिगाम और नेवा क्षेत्रों सहित कई इलाकों के स्थानीय लोगों ने बताया कि वहां अवैध मिट्टी खनन बड़े पैमाने पर हो रहा है और इससे जिले के लगभग आधे करेवा नष्ट हो गए हैं जबकि अधिकारी बेपरवाह बने हुए हैं।
स्थानीय निवासी जीशान राशिद ने कहा, कुछ भी छिपा नहीं है। जब हम पूरे जिले के करेवा को देखते हैं तो हमें सिर्फ तबाही ही दिखती है। इस वजह से पूरे इलाके का भूगोल बदल गया है लेकिन किसी को कोई परवाह नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी मिट्टी माफिया के कामों में शामिल थे जिससे उन्हें प्राकृतिक संसाधनों की यह खुली लूट करने की इजाजत मिली। जिस जगह पर छोटी से छोटी चीज पर भी नजर रखी जाती है वहां प्राकृतिक संसाधनों की यह खुली चोरी कैसे अनदेखी रह गई। यह साफ है कि अधिकारी इसे नजरअंदाज कर रहे हैं।
स्थानीय निवासी तारिक अहमद ने कहा, खनन करने वाले प्रशासन की नजर से बचने के लिए रात में काम करते हैं। वे अपनी मशीनरी, जैसे टिप्पर और अर्थमूवर, साइट के पास रखते हैं और जैसे ही शाम होती है, काम शुरू कर देते हैं। ऊंची जमीनें कभी कई तरह के पक्षियों के लिए स्वर्ग हुआ करती थीं। सुबह पक्षियों के गाने की बात तो छोड़िए, हम सो भी नहीं पाते क्योंकि रात में हमारी सड़कों पर बड़े-बड़े ट्रक चलते रहते हैं। हमें कभी-कभी अपनी सुरक्षा की चिंता होती है।
हर दिन हमारे मोहल्ले पर धूल की एक परत जम जाती है जिससे हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। मलंगपोरा के एक स्थानीय निवासी शाकिर अहमद ने बताया कि ये जगहें कभी मवेशियों को प्राकृतिक चरागाह देती थीं लेकिन चल रही मिट्टी की खोदाई ने उनसे वे संसाधन छीन लिए हैं।
पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ सकता है
मिट्टी संरक्षण के एक विशेषज्ञ ने कहा कि ऊपरी जमीन नाजुक जलोढ़ मिट्टी से बनी होती है और बिना सही रिसर्च के इसे काटने से पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ सकता है। यह लैंडस्केप को खराब करता है। मिट्टी के कटाव को बढ़ावा देता है और पेड़-पौधों को कम करता है। लगातार मिट्टी काटने से सतह ढीली हो जाती है जिससे बड़े भूस्खलन हो सकते हैं जो संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकते हैं और जान भी जा सकती है।
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संवाद न्यूज एजेंसी
पुलवामा। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा के करेवा से लगातार मिट्टी की खोदाई से जिले का पर्यावरण खतरे में पड़ रहा है। अधिकारी कथित तौर पर इलाके के प्राकृतिक संसाधनों के इस घोर शोषण पर मूक दर्शक बने हुए हैं।
मलंगपोरा, पुचल, लाजूरा, कोइल, पयार, चांदगाम, बांदरपोरा, वखरवान, परिगाम और नेवा क्षेत्रों सहित कई इलाकों के स्थानीय लोगों ने बताया कि वहां अवैध मिट्टी खनन बड़े पैमाने पर हो रहा है और इससे जिले के लगभग आधे करेवा नष्ट हो गए हैं जबकि अधिकारी बेपरवाह बने हुए हैं।
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स्थानीय निवासी जीशान राशिद ने कहा, कुछ भी छिपा नहीं है। जब हम पूरे जिले के करेवा को देखते हैं तो हमें सिर्फ तबाही ही दिखती है। इस वजह से पूरे इलाके का भूगोल बदल गया है लेकिन किसी को कोई परवाह नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी मिट्टी माफिया के कामों में शामिल थे जिससे उन्हें प्राकृतिक संसाधनों की यह खुली लूट करने की इजाजत मिली। जिस जगह पर छोटी से छोटी चीज पर भी नजर रखी जाती है वहां प्राकृतिक संसाधनों की यह खुली चोरी कैसे अनदेखी रह गई। यह साफ है कि अधिकारी इसे नजरअंदाज कर रहे हैं।
स्थानीय निवासी तारिक अहमद ने कहा, खनन करने वाले प्रशासन की नजर से बचने के लिए रात में काम करते हैं। वे अपनी मशीनरी, जैसे टिप्पर और अर्थमूवर, साइट के पास रखते हैं और जैसे ही शाम होती है, काम शुरू कर देते हैं। ऊंची जमीनें कभी कई तरह के पक्षियों के लिए स्वर्ग हुआ करती थीं। सुबह पक्षियों के गाने की बात तो छोड़िए, हम सो भी नहीं पाते क्योंकि रात में हमारी सड़कों पर बड़े-बड़े ट्रक चलते रहते हैं। हमें कभी-कभी अपनी सुरक्षा की चिंता होती है।
हर दिन हमारे मोहल्ले पर धूल की एक परत जम जाती है जिससे हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। मलंगपोरा के एक स्थानीय निवासी शाकिर अहमद ने बताया कि ये जगहें कभी मवेशियों को प्राकृतिक चरागाह देती थीं लेकिन चल रही मिट्टी की खोदाई ने उनसे वे संसाधन छीन लिए हैं।
पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ सकता है
मिट्टी संरक्षण के एक विशेषज्ञ ने कहा कि ऊपरी जमीन नाजुक जलोढ़ मिट्टी से बनी होती है और बिना सही रिसर्च के इसे काटने से पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ सकता है। यह लैंडस्केप को खराब करता है। मिट्टी के कटाव को बढ़ावा देता है और पेड़-पौधों को कम करता है। लगातार मिट्टी काटने से सतह ढीली हो जाती है जिससे बड़े भूस्खलन हो सकते हैं जो संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकते हैं और जान भी जा सकती है।