राज्यसभा चुनाव: चार सीटों पर होगा चुनाव, अंतिम दिन नौ उम्मीदवार मैदान में, सबसे बड़ा घमासान तीसरी अधिसूचना पर
राज्यसभा की चार सीटों के लिए कुल नौ उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किए हैं, जिनमें दो निर्दलीय भी शामिल हैं। सबसे रोमांचक मुकाबला तीसरी अधिसूचना वाली दो सीटों पर होने की उम्मीद है, जहां जीत के लिए जोड़तोड़ और निर्दलीयों के समर्थन की अहम भूमिका होगी।

विस्तार
नेशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से चौथा उम्मीदवार उतारने के बाद साफ हो गया है कि अब राज्यसभा की चारों सीटों पर चुनाव होंगे। पहली अधिसूचना वाली एक सीट पर तीन, दूसरी अधिसूचना वाली एक सीट पर दो और तीसरी अधिसूचना वाली दो सीटों पर चार उम्मीदवारों ने नामांकन किया है।

इसमें सबसे रोमांचक मुकाबला तीसरी अधिसूचना वाली दो सीटों पर होने की उम्मीद है। पहली अधिसूचना वाली एक सीट पर भाजपा से अली मोहम्मद मीर, एनसी से चौधरी रमजान और निर्दलीय प्रभाकर दादा ने नामांकन किया है।
दूसरी अधिसूचना वाली एक सीट पर भाजपा के राकेश महाजन और एनसी के सज्जाद किचलू ने नामांकन किया है। वहीं तीसरी अधिसूचना वाली दो सीटों पर एनसी से गुरविंदर ओबरॉय उर्फ शम्मी और इमरान नबी डार, भाजपा से सत शर्मा और निर्दलीय कांते सयाना ने नामांकन किया है।
पहली और दूसरी अधिसूचना वाली सीट जीतने के लिए उम्मीदवारों को पहली वरीयता के 45-45 वोट चाहिए। वहीं तीसरी अधिसूचना वाली दोनों सीटों पर जीतने के लिए पहली वरीयता के 30-30 वोट चाहिए।

एनसी को चाहिए होंगे चार अतिरिक्त विधायकों के वोट
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक दिनेश मनहोत्रा कहते हैं कि एनसी के पास अपने 41 विधायक हैं। पहली और दूसरी अधिसूचना वाली सीटें जीतने के लिए उसे चार अतिरिक्त विधायकों की जरूरत होगी। एनसी की सरकार को फिलहाल पांच निर्दलीय, एक सीपीएम, एक आम आदमी पार्टी और पांच निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है।

विधायक मेहराज मालिक के चुनाव में वोट डालने का फैसला कोर्ट करेगा होगा। कांग्रेस-एनसी के रिश्तों को देखते हुए कांग्रेस चुनाव में क्या करेगी, यह अभी साफ नहीं है। पीडीपी एनसी को वोट करे, इसकी उम्मीद भी कम ही है। ऐसे में एनसी की जीत निर्दलीय विधायकों के भरोसे है। नियमों के अनुसार निर्दलीय विधायकों को गुप्त मतदान करना है। अगर वह वोट डालते समय किसे वोट दिया है, यह दिखा देते हैं, तो उनका वोट अमान्य माना जाएगा। इसलिए निर्दलीय विधायक बड़े अहम हो गए हैं।

भाजपा को भी चाहिए दूसरों का सहारा
मनहोत्रा आगे कहते हैं कि अधिसूचना वाली एक सीट भी एनसी आसानी से जीत जाएगी। दूसरी सीट जीतने के लिए भाजपा को अपने 28 के अलावा दो और विधायकों के वोट चाहिए होंगे। वहीं अगर पांच विधायक चुनाव में हिस्सा न लें, तो एक सीट जीतने लिए 28 वोटों की जरूरत होगी। इस स्थिति में भी भाजपा जीत जाएगी। सभी गैर भाजपा विधायक एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ वोट कर दें, तो भाजपा प्रत्याशी सत शर्मा को अपनी सीट जीतने में भी परेशानी आ सकती है।

10 प्रस्तावक अनिवार्य, निर्दलीय का नामांकन खारिज होने की पूरी उम्मीद
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत बने चुनाव आचरण नियम, 1961 के नियम चार के अनुसार राज्यसभा चुनाव में नामांकन पत्र राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्य द्वारा प्रस्तावित किया जाना अनिवार्य है। मान्यता प्राप्त दल के उम्मीदवार के लिए एक प्रस्तावक और निर्दलीय उम्मीदवार के लिए 10 प्रस्तावक होने जरूरी हैं।
