सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Jammu and Kashmir ›   Jammu News ›   High Court refuses relief on seizure of books, former Deputy Chief Minister's PRO booked for illegal assets

J&K: पुस्तकों की जब्ती पर हाईकोर्ट ने दी राहत से इनकार, पूर्व उपमुख्यमंत्री के पीआरओ पर अवैध संपत्ति का मुकदमा

अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू Published by: निकिता गुप्ता Updated Tue, 14 Oct 2025 11:52 AM IST
विज्ञापन
सार

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने 25 पुस्तकों की जब्ती के खिलाफ याचिकाओं पर राहत देने से इनकार करते हुए सरकार को जवाब देने का आदेश दिया है। वहीं, पूर्व उपमुख्यमंत्री के पीआरओ पर अवैध संपत्ति का मुकदमा तय किया गया और एक दुष्कर्म आरोपी को सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया गया।

High Court refuses relief on seizure of books, former Deputy Chief Minister's PRO booked for illegal assets
सांकतिक तस्वीर - फोटो : ANI
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट की ने सोमवार को सरकार के ओर से पच्चीस पुस्तकों को जब्त करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने मामले को जटिल बताते हुए सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।



मुख्य न्यायाधीश अरुण पल्ली, न्यायमूर्ति रजनीश ओसवाल और न्यायमूर्ति शहजाद अजीम की पीठ ने यह आदेश सुनाया। पीठ ने इस विषय पर दायर एक जनहित याचिका को भी खारिज कर दिया और टिप्पणी की कि 90 प्रतिशत लोग इस मुद्दे को समझ भी नहीं पाएंगे।
विज्ञापन
विज्ञापन


अदालत ने कहा कि यह मामला जनहित याचिका के दायरे में नहीं आता है। इन याचिकाओं को सेवानिवृत्त वायु उप अधीक्षक कपिल काक, लेखिका सुमंत्रा बोस, शांति विशेषज्ञ राधा कुमार और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला ने दायर किया था।

उनका कहना है कि सरकार का आदेश बिना ठोस कारणों के जारी किया गया है और इसमें किसी भी किताब के विवादित हिस्सों का जिक्र नहीं किया गया है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए इसे मनमाना और असंवैधानिक बताया।

सरकार ने अपने पक्ष में कहा कि इस तरह का साहित्य युवाओं में कट्टरता फैलाने, आतंकवाद को बढ़ावा देने, सुरक्षाबलों को बदनाम करने, ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने और अलगाव को बढ़ाने का जरिया बना हुआ है।

जब्त की गई पुस्तकों में कई चर्चित लेखकों के नाम शामिल हैं जिनमें सुमंत्रा बोस, एजी नूरानी, अरुंधति रॉय, सीमा काजी, हफ्सा कंजवाल और विक्टोरिया स्कोफील्ड जैसे नाम प्रमुख हैं। इनमें से कई पुस्तकें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध प्रकाशन संस्थानों द्वारा प्रकाशित की गई हैं। अब अदालत अगली सुनवाई में सरकार का जवाब सुनकर आगे की कार्रवाई तय करेगी।

पूर्व उपमुख्यमंत्री के तत्कालीन पीआरओ पर चलेगा अवैध संपत्ति का मुकदमा
जम्मू की विशेष भ्रष्टाचार निरोधक अदालत ने पूर्व उपमुख्यमंत्री के तत्कालीन अतिरिक्त जनसंपर्क अधिकारी केवल कृष्ण शर्मा और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार और अवैध संपत्ति के मामले में आरोप तय करने का आदेश दिया है।

अदालत ने कहा कि आरोपों पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त आधार है। विशेष न्यायाधीश हक नवाज जरगर ने आदेश में कहा कि अभियुक्तों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 5(1)(ई) और 5(2) तथा आरपीसी की धारा 109 और 120-बी के तहत आरोप तय किए जाएंगे। यह मामला एंटी करप्शन ब्यूरो की जांच से शुरू हुआ था।

शिकायतों के बाद जांच में पता चला कि वर्ष 2010 से 2015 के बीच केवल कृष्ण शर्मा, जो मूल रूप से वन विभाग में तैनात थे, ने अतिरिक्त जनसंपर्क अधिकारी रहते हुए करोड़ों रुपये की संपत्ति अर्जित की। जांच में सामने आया कि उनके, उनके बेटे ईशांत शर्मा और भाई बाबू राम शर्मा के नाम पर कई लक्जरी और व्यावसायिक वाहन, कई आवासीय मकान, गाजियाबाद में 75 लाख रुपये का फ्लैट, महंगे इलेक्ट्रॉनिक सामान, सोना और बड़ी नकद रकम मिली।

इनमें से ज्यादातर संपत्तियां कथित रूप से बेनामी सौदों के जरिए खरीदी गईं। अदालत ने बताया कि जांच अवधि में शर्मा की संपत्ति 10 लाख रुपये से बढ़कर 3.5 करोड़ रुपये से अधिक हो गई, जबकि वैध पारिवारिक आमदनी सिर्फ 92.5 लाख रुपये थी।

यानी संपत्ति में 282 प्रतिशत की असंगत बढ़ोतरी हुई। अदालत ने आरोपमुक्ति की मांग खारिज कर दी और कहा कि अगली सुनवाई में आरोप औपचारिक रूप से पढ़े जाएंगे और फिर साक्ष्य पेश कर मुकदमे की नियमित सुनवाई होगी।

दुष्कर्म के आरोपी को पहचानने से पीड़िता ने किया इन्कार
फास्ट ट्रैक अदालत ने दुष्कर्म और अपहरण के मामले में सांबा जिले के एक युवक को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। युवक पर वर्ष 2022 में एक महिला के अपहरण और दुष्कर्म के आरोप लगे थे।
पीड़िता ने अदालत में आरोपी को पहचानने से इनकार किया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा।

मामला नवंबर 2022 में थाना बिश्नाह में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है। शिकायत में कहा गया था कि तीन लोगों ने लसवाड़ा में महिला का अपहरण कर लिया और उसे सांबा में दस दिन तक बंधक बनाकर रखा। इस दौरान उसके साथ दुष्कर्म भी हुआ।

इस मामले में मोहम्मद अल्ताफ को गिरफ्तार किया गया था, जबकि दो अन्य आरोपी मोहम्मद इकबाल और मसूम अली अब भी फरार हैं। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पीड़िता ने गवाही के दौरान खुद अदालत में आरोपी की पहचान से इनकार कर दिया और क्रॉस पूछताछ में कहा कि अदालत में मौजूद व्यक्ति वही नहीं है जिसने उसका अपहरण किया था। इसके अलावा, प्रत्यक्षदर्शी गवाह मुकर गए, प्राथमिकी दर्ज करने में दस दिन की देरी हुई और चिकित्सकीय साक्ष्य भी पर्याप्त नहीं पाए गए। जेएनएफ

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed