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Jammu News: सरकारी आवास मामले में संपदा विभाग को अंतिम मौका
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- हाईकोर्ट ने चार सप्ताह में प्रक्रिया पूरी करने के दिए निर्देश
-पूर्व सीएम आजाद और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रैना से जुड़े सरकारी आवास का मामला
जम्मू। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने सरकारी संपत्तियों पर वीआईपी कब्जे को रोकने के लिए एक निर्णायक कदम उठाया है। मुख्य न्यायाधीश अरुण पल्ली और न्यायमूर्ति रजनीश ओसवाल की खंडपीठ ने पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना से जुड़े सरकारी आवास मामले में संपदा विभाग को लंबित प्रक्रिया चार सप्ताह में पूरी करने के निर्देश दिए हैं।
बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि यह अंतिम मौका होगा। इसमें किसी तरह की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता मोनिका कोहली ने थोड़े और समय की मांग की। खंडपीठ ने मांग को स्वीकार तो किया लेकिन सख्त शब्दों में कहा कि अगली तारीख पर समय नहीं बढ़ाया जाएगा। खंडपीठ ने इस मामले में अगली सुनवाई 23 दिसंबर को सूचीबद्ध करने के लिए कहा। यह मामला जनहित याचिका से जुड़ा है। इसमें पूर्व मंत्रियों और विधायकों के सरकारी आवास खाली न करने पर कार्रवाई की मांग की थी। याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत में बताया कि डिजिग्नेटेड कमेटी ने फरवरी-मार्च 2025 में बैठक की थी लेकिन आठ महीने बाद भी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया। वकील ने कहा कि उपचुनाव के कारण आचार संहिता का हवाला दिया जा रहा था लेकिन अब चुनाव खत्म हो गया है। ऐसे में प्रक्रिया में देरी कोई कारण नहीं बचता है। वकील ने खंडपीठ के समक्ष संपदा विभाग की ओर से जारी एक आरटीआई पत्र भी प्रस्तुत किया जिसमें पुष्टि की गई थी कि एक पूर्व उपमुख्यमंत्री जम्मू में सरकारी आवास पर अभी भी रह रहे हैं। यह पत्र खुली अदालत में वरिष्ठ एएजी मोनिका कोहली को सौंपा गया और खंडपीठ ने भी इसका अवलोकन किया। जेएनएफ
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-पूर्व सीएम आजाद और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रैना से जुड़े सरकारी आवास का मामला
जम्मू। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने सरकारी संपत्तियों पर वीआईपी कब्जे को रोकने के लिए एक निर्णायक कदम उठाया है। मुख्य न्यायाधीश अरुण पल्ली और न्यायमूर्ति रजनीश ओसवाल की खंडपीठ ने पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना से जुड़े सरकारी आवास मामले में संपदा विभाग को लंबित प्रक्रिया चार सप्ताह में पूरी करने के निर्देश दिए हैं।
बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि यह अंतिम मौका होगा। इसमें किसी तरह की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता मोनिका कोहली ने थोड़े और समय की मांग की। खंडपीठ ने मांग को स्वीकार तो किया लेकिन सख्त शब्दों में कहा कि अगली तारीख पर समय नहीं बढ़ाया जाएगा। खंडपीठ ने इस मामले में अगली सुनवाई 23 दिसंबर को सूचीबद्ध करने के लिए कहा। यह मामला जनहित याचिका से जुड़ा है। इसमें पूर्व मंत्रियों और विधायकों के सरकारी आवास खाली न करने पर कार्रवाई की मांग की थी। याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत में बताया कि डिजिग्नेटेड कमेटी ने फरवरी-मार्च 2025 में बैठक की थी लेकिन आठ महीने बाद भी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया। वकील ने कहा कि उपचुनाव के कारण आचार संहिता का हवाला दिया जा रहा था लेकिन अब चुनाव खत्म हो गया है। ऐसे में प्रक्रिया में देरी कोई कारण नहीं बचता है। वकील ने खंडपीठ के समक्ष संपदा विभाग की ओर से जारी एक आरटीआई पत्र भी प्रस्तुत किया जिसमें पुष्टि की गई थी कि एक पूर्व उपमुख्यमंत्री जम्मू में सरकारी आवास पर अभी भी रह रहे हैं। यह पत्र खुली अदालत में वरिष्ठ एएजी मोनिका कोहली को सौंपा गया और खंडपीठ ने भी इसका अवलोकन किया। जेएनएफ
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