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Jammu : 10 वर्ष में 357 नागरिकों और 575 सुरक्षाबलों के बलिदान का बदला है ऑपरेशन सिंदूर, हर जख्म का प्रतिशोध

अजय मीनिया, अमर उजाला, जम्मू Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Thu, 08 May 2025 05:33 AM IST
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सार

भारतीय सशस्त्र बलों ने पुख्ता खुफिया जानकारी के आधार पर आतंकियों के ऐसे नौ शिविरों को नष्ट किया, जहां से पिछले 25 साल में अलग-अलग हमलों को अंजाम देने की साजिश रची गई। भारत का यह प्रतिशोध इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 25 साल पहले यानी 1999 में कंधार विमान अपहरण के बाद यात्रियों के बदले रिहा किए गए आतंकी जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय भी ध्वस्त कर दिया गया है।

Jammu: Air strike is revenge for the sacrifice of 357 civilians and 575 security personnel in 10 years
Operation Sindoor - फोटो : PTI
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पाकिस्तान में भारतीय सेना ने आतंकी कैंपों और मुख्यालयों को तबाह कर हर जख्म का बदला लिया है। खासकर, जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमलों का। बीते एक दशक में हुए हर बड़े हमले की साजिश पीओके और पाकिस्तान में चल रहे लश्कर-ए-ताइबा और जैश-ए-मोहम्मद के कैंपों से रची गई। 

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इसमें 357 नागरिकाें की जान गई और 575 जवान बलिदान हो गए। भारतीय सेना के पूर्व मेजर जनरल गोवर्धन सिंह जम्वाल ने बताया कि जम्मू-कश्मीर को दिए गए हर जख्म सीमा पार से मिले हैं। फिर वह भारतीय सेना को मिले हों या फिर स्थानीय लोगों को। 
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पाकिस्तान में सक्रिय दोनों आतंकी संगठन लगातार घुसपैठ कर हमले कर रहे थे। हर बार हमला करने के बाद मुकर जाते थे। अब हमला करने से पहले 100 बार सोचेंगे। रिटायर्ड कर्नल शिव चौधरी के अनुसार भारत की इस कार्रवाई से देश के लोगों में विश्वास पैदा हुआ है कि अब आतंकवाद के जड़ से खत्म होने का वक्त आ गया है। यदि भारत पाकिस्तान में आतंकियों को पनाह देने वालों पर इतनी कार्रवाई कर सकता है तो जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों पर भी नकेल कस सकता है।

कंधार से पहलगाम तक का बदला
भारतीय सशस्त्र बलों ने पुख्ता खुफिया जानकारी के आधार पर आतंकियों के ऐसे नौ शिविरों को नष्ट किया, जहां से पिछले 25 साल में अलग-अलग हमलों को अंजाम देने की साजिश रची गई। भारत का यह प्रतिशोध इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 25 साल पहले यानी 1999 में कंधार विमान अपहरण के बाद यात्रियों के बदले रिहा किए गए आतंकी जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय भी ध्वस्त कर दिया गया है। मोस्ट वॉन्टेड आतंकी हाफिज सईद के संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सबसे अहम और बड़ा आतंकी शिविर भी तबाह हो चुका है। वहीं, पहलगाम में हमला करने आए आतंकियों ने जहां प्रशिक्षण लिया था, वह भी नेस्तनाबूद किया जा चुका है। 

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अस्पताल-स्वास्थ्य केंद्र की आड़ में चल रहे थे तीन कैम्प
पीओके के मुजफ्फराबाद में मौजूद मरकज सैयदना बिलाल कैम्प और पाकिस्तान के सियालकोट स्थित सरजल कैम्प और महमूना जोया कैम्प, ये ऐसे तीन ठिकाने थे, जो अस्पताल-स्वास्थ्य केंद्र की आड़ में चल रहे थे। किसी को शक न हो, इसके लिए यहां कुछ समय इलाज होता था, बाकी समय आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जाता था। आगे के कमरों में डॉक्टर मौजूद रहते थे और परदे के पीछे आतंकी।


                                                               

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