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Operation Sindoor: 'यहीं जन्मे हैं..यहीं रहेंगे'; पाकिस्तानी गोलाबारी से बेपरवाह; बॉर्डर के गांवों में डटे लोग

हरदीप ठाकुर अमर उजाला, नेटवर्क जम्मू Published by: निकिता गुप्ता Updated Thu, 08 May 2025 08:08 PM IST
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सार

पाकिस्तान की गोलाबारी के बावजूद जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती गांवों के लोग अपने घरों में डटे हुए हैं और सुरक्षित स्थानों पर जाने से इनकार कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपने गांव नहीं छोड़ेंगे और हर हाल में सेना व प्रशासन के साथ खड़े रहेंगे।

Operation Sindoor: The administration made an announcement and advised the villagers to go to safer places
सीमावर्ती गांव के लोग - फोटो : अमर उजाला
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भारत के ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाया पाकिस्तान बार्डर पर गोलाबारी कर रहा है। इससे सीमावर्ती गांवों में जबरदस्त तनाव है। सीमा से सटे मढ़ विधानसभा क्षेत्र के कानाचक, गोलपत्तन, दियोड़ा नपू, सांदवा, मकवाल, गजनसू, नई बस्ती सहित अन्य गांवों के लोग पाकिस्तान की ओर से बार्डर पर की जा रही गोलाबारी के बावजूद गांवों में डटे हैं। हालांकि, चिक नेक बार्डर होने के कारण अभी ये गांव गोलाबारी से बचे हुए हैं।

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प्रशासन ने दी सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह
ग्रामीणों में तनाव भरी दशहत जरूर है, लेकिन पाकिस्तान को सबक सिखाने की प्रबल इच्छाशक्ति भी है। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस और स्थानीय प्रशासन की टीमों ने बुधवार सुबह गांव-गांव पहुंचकर ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि वे यहीं जन्में है और यहीं रहेंगे। बुजुर्गों का कहना है कि हमने इससे पहले 1965 और 1971 की जंग भी देखी है। उस वक्त भी अपने गांव में ही रहे थे। हालात जैसे भी हों हम पैतृक स्थान छोड़कर नहीं जाएंगे।

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नापाक हरकतों के बीच भी गांव छोड़ने का सवाल नहीं
दियोड़ा नपू के बुजुर्ग ओमप्रकाश (73) ने कहा कि तनाव बहुत है, लेकिन हम बार्डर पर रहने वाले ग्रामीण बिल्कुल भयभीत नहीं हैं। हम चाहते हैं सरकार हमारी चिंता न करे। देश के दुश्मनों को मुहंतोड़ जवाब दे। इससे पहले भी पाकिस्तान कई बार नापाक हरकतों को अंजाम दे चुका है, लेकिन उस वक्त भी हम यहीं रहे थे।

गोलाबारी का डर नहीं, देशभक्ति का हौसला है
लंबरदार शाम लाल का कहना है। कि गांव की महिलाओं और बच्चों को रिश्तेदारों के घरों में भेज दिया गया है। लेकिन हम सब पुरुष गांव में ही रहेंगे और देश की सेना और प्रशासन के साथ मिलकर उनका सहयोग करेंगे। इससे पहले भी गांव में कई बार पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी और गोले दागे गए है। उसे समय भी हमने गांव नहीं छोड़ा था और आज भी छोड़कर नहीं भागेंगे।

पाकिस्तान में अब हमला करने की हिम्मत नहीं बची
रतन लाल (77) ने कहा कि प्रशासन के अधिकारी सुबह यहां गांव में आए थे। उन्होंने उन्हें बंकरों में रहने के लिए कहा गया था। हमने अपने बंकरों की साफ सफाई कर दी है। हम जहां अपने बकरों में सुरक्षित है। हमें कहीं जाने की जरूरत नहीं है। हमें नहीं लगता कि पाकिस्तान में इतनी हिम्मत है कि वह अब दोबारा हमला करने की सोचेगा।

40 साल से यहीं हैं, अब छोड़ना नामुमकिन
हुसैन मोहम्मद ने बताया कि पिछले 40 वर्षों से हम जहां पर रह रहे हैं। माल प्रवेशी को जहां पर छोड़ कर जाना मुश्किल है घर की महिलाओं और बच्चों को बंकरों में रखा गया है। राशन भी लाकर घरों में रख दिया गया है। ताकि मुश्किल समय में बाहर न जाना पड़े। प्रशासन के निर्देशों का भी पालन किया जा रहा है।

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दिन के हालात:
भारत की ओर से पाकिस्तान को दिए गए झटके से एक तरफ भारतीय नागरिकों में खुशी का माहाल है। वहीं, सीमावर्ती गांवों में तनाव बना हुआ है। एसडीएम मढ़ अत्तर अमीन जागर, एसडीपीओ दोमाना मुदस्सिर हुसैन, तहसीलदार मढ़ राम कृष्ण राठौड़, एसएचओ कानाचक मनोज धर गजानसू चौकी प्रभारी आदर्श ठाकुर ने सुबह करीब आठ बजे संदवा, गजनसू सहित सीमा से सटे अन्य गांवों का दौरा कर जायजा लिया। बंकरों की भी स्थिति परखी।

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उन्होंने मुनादी के जरिये लोगों को सलाह दी कि महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दें। माल-मवेशियों की देखरेख के लिए परिवार का एक सदस्य घर में रहे ओर रात के वक्त बंकर में चले जाएं। इसके साथ ही सीमावर्ती क्षेत्र के बाजार भी बंद करा दिए गए। दिन भर सड़कों और गलियों में सन्नाटा पसरा रहा। स्कूल भी बंद करा दिए गए हैं। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि सुरक्षित स्थान चिह्नित कर लिए गए है। जरूरत पड़ने पर ग्रामीणों को वहां भेज दिया जाएगा।

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