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मलबे में दबी जिंदगी: 14 अगस्त की आपदा ने चिशोती के 38 किसानों की छीन ली जमीन, 14 के आशियाने भी उजड़े

राजेश चंद्र अमर उजाला नेटवर्क, किश्तवाड़ Published by: निकिता गुप्ता Updated Fri, 19 Sep 2025 11:28 AM IST
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सार

14 अगस्त को आई आपदा ने किश्तवाड़ के चिशोती गांव में भारी तबाही मचाई, जहां 38 किसानों की जमीन और 14 के घर पूरी तरह बर्बाद हो गए। चिशोती और वाड़वन में कुल 400 कनाल भूमि तबाह हो चुकी है, प्रशासन द्वारा सर्वे के बाद मुआवजा और पुनर्वास की प्रक्रिया जारी है।

The August 14 disaster took away the land of 38 Chishoti farmers, and 14 lost their homes.
किश्तवाड़ आपदा - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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किश्तवाड़ का चिशोती... इस मानसून में गांव ने अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी झेली। 14 अगस्त को आसमान से गिरी आफत ने 100 से अधिक लोगों की जान ले ली। जो लोग जिंदा बच गए उन्हें बाढ़ ने बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। गांव के 38 किसानों की खेती की सारी जमीन खत्म हो गई है। इनमें से 14 किसान ऐसे हैं जिनके घर मलबे का ढेर बन गए हैं। इन किसानों के पास न घर हैं और न अन्न उगाने के लिए जमीन। आसमान के नीचे जीवन जीने को मजबूर हैं। पूरी तरह टूट चुके इन किसानों को इस रात की कोई सुबह नजर नहीं आ रही।

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चिशोती में करीब 45 कनाल भूमि आपदा के प्रचंड प्रवाह में बह गई है।
मढ़वा उपमंडल के वाड़वन इलाके में लगभग 350 कनाल भूमि पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। इस पर मक्का और आलू सहित अनेक फसलें लगी थीं। मढ़वा के डीडीसी सदस्य जफरुल्ला शेख ने भी स्वीकार किया कि वाड़वन में 350 कनाल से अधिक भूमि तबाह हो गई है। इस सबका ब्योरा तैयार कराया जा रहा है। 

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भविष्य को लेकर निराशा में डूबे किसान
चिशोत के किसान जमील सिंह कहते हैं कि जब भूमि और मकान दोनों आपदा में समा जाएं जीवन का कोई मकसद ही नहीं नजर आता। आपदा के बाद हमारी जिंदगी में जो अंधेरा छा गया है उसकी कोई सुबह नजर नहीं आती।

गांव के ही किसान ठाकर चंद भी भविष्य को लेकर घोर निराशा में डूबे हैं। वह कहते हैं कि कोई राह नहीं सूझ रही है। न रहने को घर बचा न जीविकोपार्जन का एकमात्र जरिया खेती ही रही। पहाड़ से आए आसमानी सैलाब में हमारी जिंदगी की उम्मीदें भी बह गईं। इस दैवीय आपदा के पीड़ित अन्य किसानों का कहना है कि उन्हें कहीं अन्यत्र बसाया जाए और खेती योग्य कुछ जमीन भी दी जाए ताकि वे अपनी जिंदगी बसर कर सकें।

राजस्व विभाग की टीमें सर्वे में जुटी : डीसी
किश्तवाड़ के डीसी पंकज कुमार का कहना है कि जिला प्रशासन ने प्रभावित किसानों को मुआवजा देने का आश्वासन दिया है। कृषि और राजस्व विभाग की टीमें सर्वे में जुटी हैं। सर्वे पूरा होने के बाद बनाई गई रिपोर्ट के आधार पर प्रभावित किसानों की मदद की जाएगी। आपदा की भेंट चढ़ी किसानों की जमीन के एवज में जमीन देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी केंद्र सरकार की टीम की ओर से मूल्यांकन होना बाकी है। उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही कोई निर्णय होगा।

इन किसानों की उजड़ गई जमीन 

1. होशियार सिंह पुत्र कृष्णलाल 
2. वजीर चंद पुत्र भाग सिंह 
3. राम लोकी पुत्र ताराचंद 
4. सूरत सिंह पुत्र ताराचंद 
5. गोकल चंद पुत्र ताराचंद 
6. हरि सिंह पुत्र ठाकर चंद 
7. ध्यान सिंह पुत्र ठाकर चंद 
8. जमील सिंह पुत्र ठाकुर चंद 
9. अर्जुन सिंह पुत्र ठाकुर चंद 
10. हरि राम पुत्र जमीत राम 
11. सुरिंदर कुमार पुत्र मनी राम 
12. धारी सिंह पुत्र मनीराम 
13. देस राज पुत्र मनी राम 
14. थाबा देवी पत्नी ओम प्रकाश 
15. रवि कांत पुत्र बंसी लाल 
16. जसवंत सिंह पुत्र बंसी लाल 
17. मनीराम पुत्र हरिलाल 
18. देवा राम पुत्र हरिलाल 
19. कुलदीप सिंह पुत्र दीवान सिंह 
20. चेत सिंह पुत्र दीवान सिंह 
21. राजेश कुमार पुत्र तोताराम 
22. ओम प्रकाश पुत्र हंसराज 
23. जसवंत सिंह पुत्र हंसराज 
24. सेवा राम पुत्र हरिलाल 
25. भरत सिंह पुत्र ज्योतिराम
26. राधा कृष्ण पुत्र ज्योतिराम
27. हरि कृष्ण पुत्र सुरम सिंह 
28. देव राज पुत्र नाथरा
29. तीरथ लाल पुत्र घोपाराम
30. हरि चंद पुत्र ताराचंद 
31. कुंज लाल पुत्र ताराचंद 
32. जगदीप सिंह पुत्र नाथराम
33. शिव कुमार पुत्र मनीराम
34. रणदीप सिंह पुत्र नाथराम
35. सुमित सिंह पुत्र बोधराज 
36. बलवंत सिंह पुत्र बोधराज 
37. मुरली पुत्र हंस राज 
38. मेला राम पुत्र शाम लाल

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