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Jharkhand: झारखंड हाईकोर्ट ने लगाई खुले में मांस बिक्री पर रोक, दिया केंद्र के नियम लागू करने का आदेश
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रांची
Published by: आशुतोष प्रताप सिंह
Updated Fri, 19 Dec 2025 10:40 PM IST
सार
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को खुले में मांस और चिकन की बिक्री पर रोक लगाने तथा केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए खाद्य सुरक्षा नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है।
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झारखंड हाईकोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार को केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए खाद्य सुरक्षा नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने और खुले में मांस व चिकन की बिक्री पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक राज्य अपने नियम नहीं बना लेता, तब तक केंद्र के खाद्य सुरक्षा नियम पूरे राज्य में कड़ाई से लागू किए जाएं।
मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने यह निर्देश श्यामानंद पांडेय द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि राज्य में बकरियों और मुर्गियों का खुले में वध किया जा रहा है और दुकानों पर लटके मांस के टुकड़े आम लोगों के सामने खुले रूप में रखे जाते हैं। इससे न केवल स्वच्छता प्रभावित होती है, बल्कि आम नागरिकों, खासकर बच्चों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
खंडपीठ ने खुले में मांस बिक्री पर नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार और रांची नगर निगम को इस मामले में तत्काल ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि केंद्र द्वारा बनाए गए खाद्य सुरक्षा नियमों को सख्ती से लागू किया जाए। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि राज्य प्रशासन द्वारा खाद्य सुरक्षा के लिए मॉडल नियमों का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब तक राज्य के नियम तैयार नहीं हो जाते, तब तक केंद्र सरकार के नियमों का ही कड़ाई से पालन कराया जाए।
ये भी पढ़ें- Jharkhand News: झारखंड हाईकोर्ट को मिलेगा नया मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस एम.एस. सोनक संभालेंगे कमान
बहस के दौरान अदालत को यह भी बताया गया कि खुले में मांस काटने और बेचने से छात्रों और राहगीरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि कई छात्र स्कूल बसों से उतरते समय दुकानों में लटका मांस देखते हैं, जिससे छोटे बच्चों के मन पर गलत प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया कि मांस की गुणवत्ता और स्वच्छता की जांच के लिए कोई प्रभावी तंत्र मौजूद नहीं है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा बना रहता है। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को निर्धारित की है।
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मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने यह निर्देश श्यामानंद पांडेय द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि राज्य में बकरियों और मुर्गियों का खुले में वध किया जा रहा है और दुकानों पर लटके मांस के टुकड़े आम लोगों के सामने खुले रूप में रखे जाते हैं। इससे न केवल स्वच्छता प्रभावित होती है, बल्कि आम नागरिकों, खासकर बच्चों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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खंडपीठ ने खुले में मांस बिक्री पर नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार और रांची नगर निगम को इस मामले में तत्काल ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि केंद्र द्वारा बनाए गए खाद्य सुरक्षा नियमों को सख्ती से लागू किया जाए। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि राज्य प्रशासन द्वारा खाद्य सुरक्षा के लिए मॉडल नियमों का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब तक राज्य के नियम तैयार नहीं हो जाते, तब तक केंद्र सरकार के नियमों का ही कड़ाई से पालन कराया जाए।
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बहस के दौरान अदालत को यह भी बताया गया कि खुले में मांस काटने और बेचने से छात्रों और राहगीरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि कई छात्र स्कूल बसों से उतरते समय दुकानों में लटका मांस देखते हैं, जिससे छोटे बच्चों के मन पर गलत प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया कि मांस की गुणवत्ता और स्वच्छता की जांच के लिए कोई प्रभावी तंत्र मौजूद नहीं है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा बना रहता है। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को निर्धारित की है।