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Home Decor Tips: हर महिला को जानना चाहिए 90/90 का फॉर्मूला, घर सजाने से ज़्यादा जीवन संवारने का मंत्र
लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला
Published by: शिवानी अवस्थी
Updated Wed, 29 Oct 2025 04:15 PM IST
सार
Home Decor Tips:जानिए 90/90 नियम का रहस्य जो आपके घर से अव्यवस्था हटाकर मन में सुकून और जीवन में संतुलन लाता है।
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गृह सज्जा
- फोटो : Adobe
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विस्तार
Home Decor 90/90 Smart Formula: ‘जो काम न आए उसे जाने दो, घर को नई रोशनी से सजाने दो।’यह पंक्ति सिर्फ सफाई का नहीं, बल्कि जीवन को सादगी से भरने का सूत्र है। अगर आप अपने घर को सुकूनभरा, व्यवस्थित और खुला बनाना चाहती हैं, तो बस एक नियम अपनाइए, 90/90 का फॉर्मूला।
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क्या है 90/90 का नियम?
आपने कभी अपने घर की चीज़ों से सवाल किया है, “क्या मैंने तुम्हारा पिछले 90 दिनों में इस्तेमाल किया है?” “क्या मैं तुम्हें अगले 90 दिनों में इस्तेमाल करूंगी?”
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अगर जवाब ‘नहीं’ है, तो समझिए वह वस्तु आपके जीवन से बाहर जाने के लिए तैयार है। उसे बेच दीजिए, दान कर दीजिए या रिसाइकल कर दीजिए। इस तरह आप अपने घर में हल्कापन लाएंगी और अनावश्यक चीज़ों का बोझ कम होगा। कम चीज़ें मतलब कम सफाई, कम तनाव और अधिक मानसिक शांति। साथ ही, जिन चीज़ों का आप सच में उपयोग करती हैं, वे आपको आसानी से दिखेंगी और आपका घर अधिक व्यवस्थित लगेगा।
कभी तो काम आएगा’ से बाहर निकलें
बहुत-सी महिलाएं यही सोचकर चीज़ें संभालती रहती हैं, “कभी काम आ जाएगी।” यही सोच धीरे-धीरे घर को कबाड़खाने में बदल देती है। अगर कोई वस्तु पिछले 90 दिनों में उपयोग नहीं हुई और आने वाले 90 दिनों में भी उपयोग की संभावना नहीं है, तो वह बेकार है। ऐसी चीज़ें जगह घेरती हैं, सफाई कठिन बनाती हैं और मानसिक बोझ बढ़ाती हैं। यह नियम आपको निर्णय लेने में मदद करता है, क्या रखना है और क्या छोड़ना है।
जरूरत और चाहत में फर्क समझें
यह नियम मिनिमलिज़्म से जुड़ा है यानी कम चीज़ों के साथ अधिक अर्थपूर्ण जीवन जीना। इस सोच की शुरुआत दो अमेरिकन लेखकों, जोशुआ फील्ड्स मिलबर्न और रायन निकोडेमस ने की थी, जिन्होंने बताया कि कम चीज़ें जीवन में स्पष्टता और संतुलन लाती हैं। कम सामान का अर्थ त्याग नहीं, बल्कि सजग चयन है। जब आप जरूरत और चाहत के बीच फर्क समझने लगती हैं, तो आपका घर ही नहीं, मन भी साफ़ होने लगता है।
कैसे अपनाएं यह नियम?
घर में 90/90 का नियम लागू करने के लिए इन चरणों का पालन करें,
1. फर्नीचर से शुरुआत करें – जो कुर्सी, मेज़ या स्टूल महीनों से बेकार पड़े हैं, उन्हें हटा दें।
2. दराज और अलमारी देखें – जिन चीज़ों का इस्तेमाल नहीं हुआ, उन्हें दान कर दें।
3. किचन डिटॉक्स करें – डुप्लिकेट बर्तन, पुराने मसाले या टूटे जार हटा दें।
4. वार्डरोब एडिट करें– 15-16 जोड़ी कपड़ों का **कैप्सूल वार्डरोब** बनाएं जिन्हें मिक्स एंड मैच किया जा सके।
5. बच्चों के खिलौने छांटे – टूटे या अनयूज़्ड खिलौने निकाल दें।
6. डेकोर और पेंटिंग्स कम करें – बहुत अधिक सजावट से घर भरा-भरा लगता है।
7. पुराने कागज़, फाइलें, किताबें – जो काम की नहीं, उन्हें रीसायकल करें।
8. जूते, बेल्ट, एक्सेसरीज – जो नहीं पहनते, बाहर करें।
अंत में बालकनी और स्टोर रूम को भी हल्का करें। आप देखेंगे आपका घर सांस लेने लगेगा।
वन इन, वन आउट नियम भी अपनाएं
जब भी आप कोई नई वस्तु घर लाएं, तो उसके बदले एक पुरानी वस्तु को बाहर करें। यह तरीका घर को अव्यवस्था से बचाता है, फिजूलखर्ची घटाता है और जरूरतमंदों की मदद का अवसर भी देता है। कम उपभोग का अर्थ है, कम तनाव, कम कचरा और अधिक स्थिरता।