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World Soil Day 2025: मृदा दिवस क्यों मनाया जाता है? जानिए इतिहास, कारण और इस वर्ष की थीम

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला Published by: शिवानी अवस्थी Updated Fri, 05 Dec 2025 07:00 AM IST
सार

World Soil Day 2025: क्षरण, प्रदूषण और अस्वीकार्य खेती-प्रथाओं की वजह से आज विश्व की लगभग 33% मिट्टी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। मिट्टी की जैव-उर्वरता और मिट्टी के सूक्ष्मजीवों का जीवन खतरे में है, जिससे खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण और जल-चक्र प्रभावित हो सकते हैं।

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World Soil Day 2025 Theme Date History And Importance in Hindi
विश्व मृदा दिवस 2025 - फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
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World Soil Day 2025: हर साल विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर को मनाया जाता है। मृदा को आम बोलचाल की भाषा में मिट्टी कहते हैं। भारत और मिट्टी का नाता एक अलग तरह की भावना को प्रदर्शित करता है। वहीं विश्व में मृदा जीवन के लिए एक जरूरी प्राकृतिक संपदा है, जिस पर होने वाला आघात हर किसी के जीवन को बुरी तरह प्रभावित करता है। 

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क्षरण, प्रदूषण और अस्वीकार्य खेती-प्रथाओं की वजह से आज विश्व की लगभग 33% मिट्टी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। मिट्टी की जैव-उर्वरता और मिट्टी के सूक्ष्मजीवों का जीवन खतरे में है, जिससे खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण और जल-चक्र प्रभावित हो सकते हैं। बढ़ती आबादी, असंतुलित खेती, रसायनों का अंधाधुंध प्रयोग और प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग, मिट्टी की गुणवत्ता पर भारी असर डाल रहे हैं। इस कारण मृदा संरक्षण और इसके टिकाऊ प्रबंधन के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है।
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मृदा दिवस मनाने का उद्देश्य मिट्टी के क्षरण के बारे में लोगों को बताना है। मृदा प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है, जिसमें मिट्टी की स्थिति में गिरावट आती है। मिट्टी इंसानों और सभी तरह के जीवों के लिए एक उन्नत स्त्रोत है। लेकिन उद्योगों के लिए पर्यावरण मानकों के प्रति लापरवाही और कृषि भूमि के कुप्रबंधन से मिट्टी की स्थिति खराब होती है। आइए जानते हैं विश्व मृदा दिवस को मनाने की शुरुआत कब और क्यों हुई, इस दिन का इतिहास और महत्व।

मृदा दिवस का इतिहास

मृदा दिवस को मनाने की पहली सिफारिश साल 2002 में हुई थी। अंतरराष्ट्रीय मृदा विज्ञान ने पहली बार 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाने की मांग की। बाद साल 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 68वीं सामान्य सभा की बैठक की और इस दौरान सर्वसम्मति से विश्व मृदा दिवस मनाने की घोषणा की। मृदा दिवस को मनाने के लिए एक संकल्प भी पारित किया गया। वहीं पहली बार जब मृदा दिवस की मांग उठी थी, उसी दिन को इस खास दिन के लिए यानी 5 दिसंबर को मृदा दिवस मनाने के लिए निर्धारित कर लिया। एक साल बाद 5 दिसंबर 2014 को पहली बार दुनियाभर में विश्व मृदा दिवस मनाया गया।

मृदा दिवस का महत्व 

विश्व मृदा दिवस को मनाने की मांग उठने के पीछे मिट्टी की जरूरत और उसके महत्व को समझना जरूरी है। इस दिन को मनाने की उद्देश्य मृदा संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करना है। सभी स्थलीय जीवों के लिए मृदा खास महत्व रखती है। मिट्टी खनिज, भोजन और जीवन के लिए जरूरी चीजें प्रदान करती है। लेकिन कार्बनिक पदार्थ मिट्टी को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे मृदा की उर्वरता में गिरावट आती है।

मृदा दिवस 2025 की थीम

हर साल मृदा दिवस की एक खास थीम होती है। इस वर्ष विश्व मृदा दिवस 2025 की थीम है, 'Healthy Soils For Healthy Cities' यानी 'स्वस्थ शहरों के लिए स्वस्थ मिट्टी'। यह विषय जीवन को सहारा देने, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करने और लचीले शहरों के निर्माण के लिए स्वस्थ शहरी मिट्टी के महत्व पर प्रकाश डालता है, साथ ही मिट्टी की सीलिंग और शहरीकरण के नकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूकता भी बढ़ाता है।

मृदा संरक्षण के लिए क्या करें?

  • मृदा संरक्षण के लिए रासायनिक खाद एवं कीटनाशक का कम-से-कम प्रयोग किया जाना चाहिए। जैविक खेती, कम्पोस्टिंग, प्राकृतिक खाद का इस्तेमाल करें।
  • पेड़ लगाएं, हरियाली बढ़ाएं, क्योंकि पेड़ों की जड़ें मिट्टी को बाँधकर रखती हैं।
  • मिट्टी की देख-रेख करें। समय-समय पर मिट्टी की जाँच, जलनिकासी का प्रबंधन, मिट्टी संरक्षण के उपाय अपनाएं।
  • मृदा संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाएं। गांव, स्कूल, शहरों में मिट्टी की महत्ता पर चर्चा, कार्यशालाएं, जागरूकता अभियान के जरिए जागरूकता कार्यक्रम चला सकते हैं। 
  • स्थानीय स्तर पर प्रबंधन करें, क्योंकि मिट्टी का स्वास्थ्य हर गाँव-शहर की जिम्मेदारी है।
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