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दावा: आयुर्वेद से रुक सकता है पेशाब की नली का संक्रमण
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प्रो. संजीव रस्तोगी
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राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के सेवानिवृत्त शिक्षक और केंद्रीय आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान काउंसिल की शोध समिति के सदस्य प्रो. संजीव रस्तोगी के मुताबिक आयुर्वेदिक दवाओं से पेशाब की नली का संक्रमण रोका जा सकता है। कई मामलों में सफल इलाज करने के बाद उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय जर्नल में केस रिपोर्ट के रूप में प्रकाशन के लिए भेजा है।
प्रो. संजीव रस्तोगी ने बताया कि नोएडा निवासी 73 वर्षीय मरीज पिछले कई साल से पेशाब की नली में संक्रमण से परेशान थे । उन्हें न्यूरोजेनिक ब्लैडर की शिकायत थी जिसके कारण उनका पेशाब की थैली ठीक से खाली नहीं हो पाती थी। इसकी वजह से उनको पेशाब की नलकी लगाने की सलाह दी गई थी। नलकी लगने की वजह से पेशाब के रास्ते में संक्रमण की शिकायत रहने लगी। एंटीबायोटिक दवाओं से राहत मिली, लेकिन दोबारा फिर संक्रमण हो गया। इसके बाद उन्होंने आयुर्वेद उपचार शुरू किया। अब उनको संक्रमण की समस्या नहीं है।इ इसी तरह आस्ट्रेलिया निवासी वेगी पेशाब की नली के संक्रमण से पीड़ित थे। चार महीने के आयुर्वेदिक उपचार में उन्हें संक्रमण से स्थायी राहत मिल गई है।
जीवाणुओं को बढ़ने से रोकती हैं दवाएं
डॉ. संजीव रस्तोगी ने बताया कि आयुर्वेद में बहुत सारी ऐसी औषधियां हैं जो जीवाणुओं को सीधे खत्म कर देने के बजाय उन्हें बढ़ने से रोकती हैं। इसकी वजह से संक्रमण समाप्त हो जाता है। ये दवाएं जीवाणुओं के रोग उत्पन्न करने की क्षमता को भी प्रभावित करती हैं, इस वजह से कई बार जीवाणु के उपस्थित रहने के बाद भी रोग पैदा नहीं हो पाता।

प्रो. संजीव रस्तोगी ने बताया कि नोएडा निवासी 73 वर्षीय मरीज पिछले कई साल से पेशाब की नली में संक्रमण से परेशान थे । उन्हें न्यूरोजेनिक ब्लैडर की शिकायत थी जिसके कारण उनका पेशाब की थैली ठीक से खाली नहीं हो पाती थी। इसकी वजह से उनको पेशाब की नलकी लगाने की सलाह दी गई थी। नलकी लगने की वजह से पेशाब के रास्ते में संक्रमण की शिकायत रहने लगी। एंटीबायोटिक दवाओं से राहत मिली, लेकिन दोबारा फिर संक्रमण हो गया। इसके बाद उन्होंने आयुर्वेद उपचार शुरू किया। अब उनको संक्रमण की समस्या नहीं है।इ इसी तरह आस्ट्रेलिया निवासी वेगी पेशाब की नली के संक्रमण से पीड़ित थे। चार महीने के आयुर्वेदिक उपचार में उन्हें संक्रमण से स्थायी राहत मिल गई है।
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जीवाणुओं को बढ़ने से रोकती हैं दवाएं
डॉ. संजीव रस्तोगी ने बताया कि आयुर्वेद में बहुत सारी ऐसी औषधियां हैं जो जीवाणुओं को सीधे खत्म कर देने के बजाय उन्हें बढ़ने से रोकती हैं। इसकी वजह से संक्रमण समाप्त हो जाता है। ये दवाएं जीवाणुओं के रोग उत्पन्न करने की क्षमता को भी प्रभावित करती हैं, इस वजह से कई बार जीवाणु के उपस्थित रहने के बाद भी रोग पैदा नहीं हो पाता।