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सीएम योगी का निर्देश: अब एक ही प्लेटफॉर्म पर बीज, सिंचाई और मौसम की मिलेगी जानकारी; रियल टाइम पर होगा अपडेट

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: रोहित मिश्र Updated Wed, 15 Oct 2025 07:54 AM IST
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सार

Crop information in UP: यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एंड रूरल एंटरप्राइज इकोसिस्टम स्ट्रेंथनिंग प्रोजेक्ट (यूपी एग्रीज) की प्रगति की समीक्षा की। 

CM Yogi directs: Seed, irrigation, and weather information will now be available on a single platform; updates
समीक्षा बैठक में सीएम योगी। - फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर, टिकाऊ और डिजिटल रूप से सशक्त बनाना शामिल है। उन्होंने निर्देश दिए कि राज्य में ‘डिजिटल एग्रीकल्चर इकोसिस्टम’ के निर्माण की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया जाए, ताकि फसल, मौसम, बीज, सिंचाई, उर्वरक, बीमा, बाजार, लॉजिस्टिक्स और संस्थागत सेवाओं से संबंधित सभी सूचनाएं एकीकृत प्लेटफॉर्म पर रियल टाइम उपलब्ध हो सकें।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए प्रदेश में डिजिटल कृषि नीति तैयार की जाए, जो राष्ट्रीय तकनीकी मानकों पर आधारित हो और सुरक्षित साइबर अवसंरचना तथा नवाचार आधारित अनुसंधान को प्रोत्साहित करे।
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मुख्यमंत्री मंगलवार रात उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एंड रूरल एंटरप्राइज इकोसिस्टम स्ट्रेंथनिंग प्रोजेक्ट (यूपी एग्रीज) की प्रगति की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बीज से लेकर बाजार तक की प्रक्रिया को समग्र दृष्टिकोण से जोड़ते हुए यह परियोजना किसानों की आय बढ़ाने, ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने और राज्य के कृषि क्षेत्र को तकनीकी रूप से उन्नत एवं डिजिटल टिकाऊ कृषि तंत्र की दिशा में आगे बढ़ाने का प्रभावी माध्यम बन रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘कृषि से उद्योग तक’ की सोच के साथ कार्य करते हुए मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि उत्तर प्रदेश विविध कृषि सहायता परियोजना (यूपी डास्प) के समन्वयन में यूपी एग्रीज का क्रियान्वयन करते हुए कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों और किसान उत्पादक संगठनों को भी परियोजना से जोड़ा जाए।

बैठक में बताया गया कि यह परियोजना लगभग ₹4000 करोड़ (यूएस $500 मिलियन) की लागत से विश्व बैंक के सहयोग से छह वर्षों की अवधि के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड के 28 जनपदों में लागू की जा रही है। इसका उद्देश्य बदलते जलवायु परिदृश्य के अनुरूप कृषि उत्पादन में सतत वृद्धि करना और किसानों को बाजार से बेहतर रूप में जोड़ना है। परियोजना में उत्पादकता वृद्धि, संसाधनों के कुशल उपयोग, कृषि आधारित उद्योगों के विकास और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता सुधार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि ‘उत्पादकता वृद्धि कार्यक्रम’ के अंतर्गत भूमि विकास, जल संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य सुधार तथा आधुनिक तकनीक आधारित कृषि पद्धतियों को अपनाने पर बल दिया गया है। छोटे और सीमांत किसानों को तकनीकी सहयोग, प्रशिक्षण और विपणन सुविधा से जोड़ने के लिए सामूहिक रूप से कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्नतशील बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नियोजित प्रयास किए जाएं।

मुख्यमंत्री को बताया गया कि कमोडिटी क्लस्टर दृष्टिकोण के तहत बुंदेलखंड में मूंगफली, वाराणसी में लाल मिर्च व सब्जी, बाराबंकी से आज़मगढ़ के बीच केला, कालानमक चावल, हरी मटर, उड़द और आलू आदि के क्लस्टर विकसित किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि केले की खेती को बढ़ावा देने के लिए ‘टिशू कल्चर’ को प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सेक्टोरल विशेषज्ञों की नियुक्ति पर भी जोर दिया।

प्रदेश में ही तैयार हों मछली के सीड

मत्स्य क्षेत्र पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मछली के सीड प्रदेश में ही तैयार किए जाएं, इससे मत्स्यपालकों की लागत घटेगी। उन्हें बताया गया कि क्लस्टर विकास के माध्यम से मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने, गुणवत्तापूर्ण बीज आपूर्ति, नवीन तकनीक के प्रयोग और उत्पादन से विपणन तक के प्रबंधन सुधार की ठोस व्यवस्था की जा रही है। परियोजना के अंतर्गत लगभग 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को मत्स्य उत्पादन के लिए विकसित करने का लक्ष्य है, जिससे लगभग एक लाख परिवार लाभान्वित होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि वित्तीय प्रणाली को सुदृढ़ बनाना अत्यंत आवश्यक है। इसके अंतर्गत छोटे एवं सीमांत किसानों तथा कृषि आधारित सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को ऋण सुविधा, जोखिम प्रबंधन की सुदृढ़ व्यवस्था और निजी निवेश को प्रोत्साहन पर बल दिया जाए।

बैठक में बताया गया कि परियोजना से संबंधित संस्थागत तैयारियों में ठोस प्रगति हुई है। सामाजिक एवं पर्यावरणीय मूल्यांकन का कार्य पूरा हो चुका है। मॉनिटरिंग, लर्निंग एवं इवैल्यूएशन एजेंसी तथा तकनीकी सहायता एजेंसी का चयन किया जा चुका है। अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) के साथ छह वर्षीय उत्पादकता कार्यक्रम हेतु अनुबंध स्वीकृत हो चुका है। किसान उत्पादक संगठनों की क्षमता निर्माण हेतु तकनीकी सहायता एजेंसी का चयन शीघ्र किया जाएगा, जबकि तकनीकी परामर्शी एजेंसी का चयन अंतिम चरण में है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य केवल कृषि उत्पादन बढ़ाना नहीं बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना है। उन्होंने निर्देश दिए कि परियोजना के प्रत्येक घटक के परिणामों की नियमित समीक्षा की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि इसका सीधा लाभ किसानों तक पहुंचे। मुख्यमंत्री ने यूपी एग्रीज की सतत मॉनिटरिंग के लिए आवश्यक प्रबंध करने के निर्देश भी दिए।
 

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