करोड़ों का घोटाला: रकम बंटवारे पर किसानों-अफसरों में हुआ विवाद तो खुला घपला, पूछने पर आगबबूला हो गए अधिकारी
फसल बीमा योजना का रुपया जब किसानों के खाते में आया तो किसानों ने लेखपालों और बीमा दलालों को देने से इन्कार कर दिया। हुआ ये था कि जिन किसानों के खाते में रकम पहुंची, उनसे हिस्सा लेने के लिए राजस्व विभाग और बीमा कंपनी के कारिंदे दरवाजे दरवाजे दस्तक देने लगे।
विस्तार
बुंदेलखंड में फसल बीमा के करोड़ों रुपयों का घपला किया तो बेहद चालाकी से गया था, लेकिन रकम के बंटवारे को लेकर किसानों, दलालों और अफसरों के बीच हुए विवाद ने पोल खोल दी। दरअसल, जिन किसानों के खाते में रकम पहुंची, उनसे हिस्सा लेने के लिए राजस्व विभाग और बीमा कंपनी के कारिंदे दरवाजे दरवाजे दस्तक देने लगे। कुछ किसानों के हिस्सा देने से इन्कार करने पर विवाद खड़ा हो गया।
अमर उजाला ने जब पूरे मामले की पड़ताल की तो परतें खुलती चली गई। महोबा के छिकेरा गांव में पहुंचते ही किसान जुट गए। उन्हें भरोसा है कि उनकी जमीन पर निकाली गई बीमा राशि मिलेगी। किसान प्रदीप राजपूत बताते हैं कि चरखारी तहसील के गांव गोपालपुरा के किसानों को बीमा राशि खातों में आने पर शक हुआ। अफसरों से पूछा तो उन्हें कुछ नहीं बताया गया। इसी बीच लेखपाल फसल की क्षति ज्यादा दिखाने तो दलाल रकम दिलाने के नाम पर हिस्सा मांगने लगे। किसानों ने हिस्सा देने से इन्कार किया तो विवाद बढ़ने लगा। चरखारी के गोहा गांव के किसानों ने बताया कि क्रॉप कटिंग के आधार पर तीन करोड़ आए, जबकि फसल का नुकसान हुआ ही नहीं। पनवाड़ी के नटर्रा गांव में रकम बंटवारे को लेकर बिचौलिये और किसानों में मारपीट भी हो गई। इसके उलट बीमा राशि न पाने वाले लामबंद किसानों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। अफसरों ने जांच कराई तो पता चला कि हर स्तर पर मनमानी हुई।
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अधिकारियों की नाराजगी ने बढ़ाया शक
केरारी गांव के किसान नेता मनोहर सिंह बताते हैं कि जिले में 80 करोड़ बीमा राशि बंटने और आठ करोड़ जल्द आने की खबर छपी। तत्कालीन डीएम मृदुल चौधरी की मौजूदगी में तहसील में बैठक हुई। इसमें जब ये पूछा गया कि बीमा राशि किसे दी गई तो अन्य अधिकारी आगबबूला हो गए। हंगामा बढ़ा तो डीएम ने अलग से बात की। ऐसे में शक बढ़ा तो खतौनी इकट्ठा करने की रणनीति बनी।
शिकायत की तो शुरू हुई जांच
झांसी के किसान अजित सिंह बताते हैं, उनके परिचित ने बताया कि सिमरधा में किसान के घर खुद को बीमा कंपनी का कार्यकर्ता बताने वाला शख्स आया। उसने अपना हिस्सा मांगा। जब दोनों ने पूछा तो कुछ भी बताने से कतराने लगे। शक हुआ तो उप निदेशक कृषि से शिकायत की। उन्होंने दो सितंबर को गरौठा के उप संभागीय कृषि अधिकारी शरद चंद्र मौर्य को जांच सौंपी। इसकी रिपोर्ट 15 सितंबर 2025 को सौंपी गई।
10 के बजाय 60 फीसदी दिखाई क्षति
रिपोर्ट के मुताबिक सिमरधा गांव के मनोज कुमार गुप्ता, उमेश कुमार, पूनम देवी, फूलन देवी, छवि, रेश, भारती, रोशनी देवी, राममूर्ति, उमेश ने रबी सीजन 2024 में बीमा कराया। इन्हें 10.87 लाख का भुगतान हुआ। असल में सीजन के दौरान पूरे प्रदेश में कहीं भी 10 फीसदी से ज्यादा क्षति नहीं हुई। वहीं, लेखपाल ने 60 फीसदी क्षति दिखा दी। उन्होंने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की संस्तुति की।
अब झांसी में भी जांच के लिए टीम गठित
लखनऊ। प्रधानमंत्री फसल बीमा में गैर ऋणी कृषकों द्वारा भूमि नहीं होने के बावजूद खरीफ-2024 एवं रबी 2024-25 में क्षतिपूर्ति लेने के मामले में झांसी में भी टीम गठित हो गई है। अमर उजाला ने खबर प्रकाशित कर बताया था कि महोबा की तरह ही झांसी और अन्य जिलों में भी करोड़ों का घपला हुआ है। शासन के निर्देश के बाद झांसी डीएम मृदुल चौधरी ने तहसीलवार अलग-अलग टीम गठित कर सात दिन में रिपोर्ट मांगी है। टीम में सबसे पहले चकबन्दी वाले ग्रामों जिनका लैंड इन्ट्रीग्रेशन नहीं हुआ है उन गांवों की जांच करेगी। इसके अन्य गावों के क्षतिपूर्ति लेने वालों की जांच करेगी। टीम को सात दिन में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।
