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Lucknow News: कृत्रिम दांत के साथ ही आंख भी लगाते हैं डेंटल सर्जन
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फोटो-
- केजीएमयू में आयोजित हुआ पहले भारतीय प्रोस्थोडॉन्टिक सोसायटी सम्मेलन के प्री-कॉन्फ्रेंस कोर्स
माई सिटी रिपोर्टर
लखनऊ। दुर्घटना के दौरान आंख, दांत या फिर चेहरे के किसी हिस्से के क्षतिग्रस्त होने पर विशेष रूप से प्रशिक्षित डेंटल सर्जन कृत्रिम अंग लगा सकता है। केजीएमयू के प्रोस्थोडॉन्टिक के विभागाध्यक्ष प्रो. पूरन चंद ने शुक्रवार को संस्थान में आयोजित प्रोस्थोडॉन्टिक सोसायटी सम्मेलन के प्री-कॉन्फ्रेंस कोर्स के दौरान यह जानकारी दी।
प्रो. पूरन चंद ने बताया कि केजीएमयू में शनिवार से पहले भारतीय प्रोस्थोडॉन्टिक सोसायटी सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन में चेहरे के कृत्रिम अंग के बारे में डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सर्जन को कृत्रिम अंग के संबंध में पहले से ही सावधान और जागरूक रहना चाहिए, ताकि ऑपरेशन के बाद दुर्घटना और कैंसर वाले मरीजों को अच्छी कृत्रिम आंख व अन्य अंग दिए जा सकें।
डॉ. स्वाति गुप्ता ने बताया कि डिजिटल स्कैनर का उपयोग करके पर्याप्त कठोरता के साथ दांत ज्यादा प्राकृतिक दिखता है। इस तकनीक से दूर-दराज के इलाकों में काम करने वाले डेंटल सर्जन भी मुंह की संरचनाओं को स्कैन कर भारत के किसी भी बड़े शहर की लैब में भेज सकते हैं। इस तरह मरीजों को बड़े शहर की यात्रा नहीं करनी पड़ेगी। आयोजन अध्यक्ष प्रो. स्वतंत्र अग्रवाल ने बताया कि केजीएमयू कुलपति ले. जनरल डॉ. बिपिन पुरी शनिवार को औपचारिक रूप से सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। इस सम्मेलन में 180 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है और चार देशों (थाईलैंड, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और नेपाल) के वक्ता विभिन्न दंत रोगों और उनके उपचार के बारे में अपने अनुभव साझा करेंगे।

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माई सिटी रिपोर्टर
लखनऊ। दुर्घटना के दौरान आंख, दांत या फिर चेहरे के किसी हिस्से के क्षतिग्रस्त होने पर विशेष रूप से प्रशिक्षित डेंटल सर्जन कृत्रिम अंग लगा सकता है। केजीएमयू के प्रोस्थोडॉन्टिक के विभागाध्यक्ष प्रो. पूरन चंद ने शुक्रवार को संस्थान में आयोजित प्रोस्थोडॉन्टिक सोसायटी सम्मेलन के प्री-कॉन्फ्रेंस कोर्स के दौरान यह जानकारी दी।
प्रो. पूरन चंद ने बताया कि केजीएमयू में शनिवार से पहले भारतीय प्रोस्थोडॉन्टिक सोसायटी सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन में चेहरे के कृत्रिम अंग के बारे में डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सर्जन को कृत्रिम अंग के संबंध में पहले से ही सावधान और जागरूक रहना चाहिए, ताकि ऑपरेशन के बाद दुर्घटना और कैंसर वाले मरीजों को अच्छी कृत्रिम आंख व अन्य अंग दिए जा सकें।
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डॉ. स्वाति गुप्ता ने बताया कि डिजिटल स्कैनर का उपयोग करके पर्याप्त कठोरता के साथ दांत ज्यादा प्राकृतिक दिखता है। इस तकनीक से दूर-दराज के इलाकों में काम करने वाले डेंटल सर्जन भी मुंह की संरचनाओं को स्कैन कर भारत के किसी भी बड़े शहर की लैब में भेज सकते हैं। इस तरह मरीजों को बड़े शहर की यात्रा नहीं करनी पड़ेगी। आयोजन अध्यक्ष प्रो. स्वतंत्र अग्रवाल ने बताया कि केजीएमयू कुलपति ले. जनरल डॉ. बिपिन पुरी शनिवार को औपचारिक रूप से सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। इस सम्मेलन में 180 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है और चार देशों (थाईलैंड, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और नेपाल) के वक्ता विभिन्न दंत रोगों और उनके उपचार के बारे में अपने अनुभव साझा करेंगे।