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KGMU: केजीएमयू में सस्ते लेंस की सुविधा फेल, सालभर में 5 हजार सर्जरी हुई, पर बिके सिर्फ 250 लेंस

अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ Published by: ishwar ashish Updated Thu, 08 May 2025 05:53 PM IST
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सार

केजीएमयू में अब भी तीमारदारों को ज्यादातर दवाएं और उपकरण बाहर से ही खरीदने पड़ रहे हैं। व्यवस्था होने पर भी उन्हें लाभ नहीं मिल पा रहा है। संस्थान में अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक मोतियाबिंद की पांच हजार से ज्यादा सर्जरी हुई पर लेंस 250 ही बिके।

facility cheap lenses failed KGMU 5 thousand surgeries done year but only 250 lenses sold
केजीएमयू - फोटो : अमर उजाला
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केजीएमयू में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने वाले ज्यादातर मरीजों को रियायती दर पर मिलने वाले लेंस का लाभ नहीं मिल रहा है। विभाग में एक अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 के बीच मोतियाबिंद की करीब पांच हजार सर्जरी हुईं। उधर, संस्थान की सस्ती दर की दुकान से 250 लेंस ही बिके। जाहिर है बाकी मरीजों को खुले बाजार से महंगी दर पर लेंस खरीदने पड़े।
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केजीएमयू ने पीजीआई की तर्ज पर वर्ष 2016 में हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड (एचआरएफ) की शुरुआत की थी। इस व्यवस्था में बाजार के बजाय सीधे कंपनी को दवाओं व अन्य उपकरण आपूर्ति का ठेका दे दिया जाता है। सीधे खरीद होने से दवाएं बेहद कम दाम पर मिल जाती हैं। कई दवाएं तो 65 फीसदी तक कम कीमत पर उपलब्ध हो जाती हैं।
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व्यवस्था शुरू हुए करीब नौ साल बीत गए, लेकिन तीमारदारों को अब भी ज्यादातर दवाएं व सर्जिकल सामान बाहर से ही खरीदने पड़ रहे हैं। काफी डॉक्टर एचआरएफ के बजाय बाहर की ही दवाएं लिखते हैं। एचआरएफ के काउंटर पर मोतियाबिंद के ऑपरेशन में लगाए जाने वाले इंट्राओकुलर लेंस भी हैं। हालांकि, सर्जरी कराने वालों को पहले ही लेंस की बाहर स्थित दुकान का पता बता दिया जाता है। यही वजह है कि भले ही साल भर में सर्जरी की संख्या पांच हजार का आंकड़ा छू पा रही हो, लेकिन कुल 250 लेंस ही बिक सके। यह आंकड़ा सामने आने के बाद केजीएमयू प्रशासन भी सकते में है।

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हर कोशिश नाकाम, नहीं मिल पा रहीं दवाएं
केजीएमयू में एचआरएफ को मजबूत बनाने के लिए की सभी कोशिश अभी तक नाकाम रही हैं। एचआरएफ काउंटर से अब भी सभी दवाएं नहीं मिल रही हैं। इसके लिए विभागाध्यक्षों से दवाओं के नाम लिए गए हैं। वार्ड में मरीजों को लिखी जाने वाली दवाएं ऑनलाइन इंडेंट करना शामिल है। ऑनलाइन इंडेंट से वार्ड में ही पता हो जाता है कि कौन सी दवाएं इस समय नहीं है, या तो उसके स्थान पर दूसरी दवाई लिखी जाएगी या पहले ही बता दिया जाएगा कि यह दवाई बाहर मिलेगी। हालांकि, यह कोशिश भी परवान नहीं चढ़ी है।

अवैध दुकानों से होता था कारोबार
केजीएमयू में मजार की आड़ में खुलीं अवैध दुकानों से भी बाहरी लेंस का कारोबार होता था। इन दुकानों पर सेटिंग से लेंस और सर्जरी का बाकी सामान आसानी से मिल जाता था। केजीएमयू प्रशासन ने पिछले सप्ताह इन अवैध दुकानों पर बुलडोजर चलवा दिया है।

केजीएमयू के  प्रवक्ता प्रो. सुधीर सिंह ने बताया कि  किसी मरीज के साथ जबरदस्ती नहीं की जाती है। मरीज और तीमारदार अपनी पसंद का लेंस लेने के लिए स्वतंत्र होते हैं। एचआरएफ से लेंस कम बिकने की वजह की पड़ताल होगी।
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