फर्जी फर्मों से फ्राड: बंद इकाइयों में बन रहे हैं कच्चे बिल, चोरी में कबाड़ी से लेकर बड़ी कंपनियां तक शामिल
जांच में पाया गया है कि टैक्स चोरी के तार नीचे से ऊपर तक जुड़े हैं। डीजीजीआई ने पाया कि लोहे की बंद इकाइयों से कच्चे बिल काटे जा रहे थे। इस बिल का भुगतान कैश में होता था और डीलरों को कैश ट्रेडिंग में नगद कमीशन दिया जाता था।
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लोहे में टैक्स चोरी के संगठित सिंडीकेट में कबाड़ी से लेकर बड़ी कंपनियों तक की मिलीभगत है। डीजीजीआई हो या राज्य कर विभाग की एसआईबी विंग, दोनों की जांच में खुलासा हुआ है कि अरबों की टैक्स चोरी के तार नीचे से ऊपर तक जुड़े हैं। डीजीजीआई की जांच में पाया गया कि लोहे की बंद इकाइयों से कच्चे बिल काटे जा रहे थे। इस बिल का भुगतान कैश में होता था और डीलरों को कैश ट्रेडिंग में नगद कमीशन दिया जाता था।
94 करोड़ की टैक्स चोरी और पेनाल्टी मामले में डीजीजीआई की सर्च और लोहा कारोबार से जुड़ी 20 फर्मों को भेजी गई नोटिस के मुताबिक विंग ने एक साथ झांसी, सागर, दतिया और नागपुर में सर्च ऑपरेशन चलाया। दतिया और झांसी इकाई यूनिट में 774 मीट्रिक टन टीएमटी बार कम पाया गया। झांसी यूनिट कई माह से बंद पड़ी थी लेकिन कच्चे बिल के कागजात वहीं से संचालित होते थे। लोहे के झांसी स्थित दफ्तर से बरामद दस्तावेजों में कांटा पर्ची, कच्चे बिल, और कैश एंट्री रजिस्टर मिले।
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वहां कार्यालय सहायक ने बयान में स्वीकार किया कि निखिल बंसल और कामधेनु प्रतिनिधि मुकेश गोस्वामी के निर्देश पर कच्चे बिल बनाए जाते थे। भुगतान कैश में होता था और ट्रांसपोर्टर तिवारी रोड लाइंस (सागर) व जय गुरुदेव ट्रांसपोर्ट कंपनी (झांसी) इन्हें ढोते थे।
मुख्य आरोपी व उनकी भूमिका
अनंत निखिल बंसल: मीना काशी मेटल इंडस्ट्रीज व मीना काशी री-रोलर्स के पार्टनर/डायरेक्टर।
निखिल बंसल : पूरे नेटवर्क का संचालनकर्ता; खरीद, बिलिंग और डिस्पैच के फैसले उन्हीं के निर्देश पर।
रिप्पन कंसल (लखनऊ) : कामधेनु ब्रांड का डिस्ट्रीब्यूटर, बिना बिल की विक्री का माध्यम।
प्रसून पतेरिया : दतिया यूनिट के डायरेक्टर, उत्पादन और फाइनेंस के प्रभारी।
प्रमोद सविता : अकाउंट्स प्रभारी, नकद लेन-देन और डीलर खातों का रिकॉर्ड रखता था।
स्थानीय स्टील फर्में भी: जगदंबा स्टील, जय दुर्गा स्टील्स, समैया स्टील्स, वार्धमान स्टील्स, नेहा स्टील्स, ओएस स्टील आदि को भी सहयोगी इकाइयों के रूप में नोटिस जारी हुआ है।
कमीशन के नाम पर भी गड़बड़ी
पूछताछ में अकाउंटेंट ने बयान दिया कि रिप्पन कंसल, उसकी पत्नी शीनू कंसल और आकाश जायसवाल को वैध बिक्री पर कमीशन के रूप में भुगतान किया गया था। लेकिन बिना बिल वाली बिक्री पर भी कमीशन कैश में दिया जाता था, जिसका कोई लेखा-जोखा नहीं रखा गया।
डीजीजीआई की रिपोर्ट के मुताबिक टैक्स चोरी का यह नेटवर्क उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में फैला हुआ है। यूपी और एमपी से माल सप्लाई होता था जबकि नागपुर ऑफिस वित्तीय नियंत्रण का केंद्र था। यह भी सामने आया कि 35 से 40 प्रतिशत बिक्री बिना किसी बिल के होती थी। इनमें मुख्य रूप से कामधेनु लिमिटेड गुरुग्राम (ब्रांड ओनर), मीनाक्षी मेटल इंडस्ट्रीज एलएलपी और मीनाक्षी री-रोलर्स की भूमिका है।
डीजीजीआई की यह कार्रवाई उत्तर भारत में लोहे के व्यापार में चल रहे 'कच्चे बिल नेटवर्क' की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। जांच एजेंसी ने कहा है कि आगे ब्रांड मालिक कामधेनु लिमिटेड की भूमिका भी जांच के दायरे में लाई जाएगी।