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धोखाधड़ी: फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने से लेकर भुगतान तक के मामलों की होगी जांच, अस्पताल की भी हुई पहचान

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: ishwar ashish Updated Mon, 03 Nov 2025 11:21 AM IST
सार

मामले में विभागीय जांच के साथ ही पुलिस ने भी जांच शुरू कर दी है। भुगतान पर रोक लगाने के साथ ही अस्पतालों की भी पहचान कर ली गई है।

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Fraud: Cases ranging from making fake Ayushman cards to payments will be investigated
- फोटो : Amar Ujala
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उत्तर प्रदेश में साचीज के पोर्टल में छेड़छाड़ करके सिर्फ 300 फर्जी आयुष्मान कार्ड ही नहीं बनाए गए हैं बल्कि मरीजों को भर्ती करके उनका बिल भुगतान कराने की भी कोशिश की गई है। प्रदेश में करीब 70 मरीजों का अग्रिम संस्तुति पत्र साचीज के पोर्टल पर भेजा गया ताकि उनके उपचार में आने वाले खर्च को हासिल किया जा सके।



आयुष्मान कार्ड के फर्जीवाड़े का मामला सामने आने के बाद बिल का मामला भी पकड़ में आ गया है। इन सभी अस्पतालों को भी चिह्नित किया गया है। इनके हर तरह के भुगतान पर रोक लगा दी गई है। अस्पतालों की जांच के लिए अलग से टीम गठित की गई है। उधर, इस मामले की जांच कर रही हजरतगंज पुलिस आईपी एड्रेस की मदद से फर्जीवाड़ा करने वालों के बारे में पता लगा रही है। सीपी हजरतगंज विकास जायसवाल ने बताया कि इस मामले की शिकायत करने वाले ही डॉ. सचिन वैश्य के बयान जल्द दर्ज करेंगे।
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संबद्धता पर भी उठे सवाल : प्रदेशभर के अस्पताल आयुष्मान मरीजों के उपचार के लिए अस्पताल को संबद्ध कराते हैं। सीएमओ कार्यालय की संस्तुति के बाद स्टेट एजेंसी फॉर कम्प्रेन्हेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) के पोर्टल पर आवेदन आता है। यहां से संबद्धता दी जाती है। चार माह पहले आवेदन करने वालों को अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया है, जबकि माहभर पहले आवेदन करने वाले तमाम अस्पतालों को संबद्धता दे दी गई है।

पोर्टल पर फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद अस्पताल संचालकों ने चार माह के अंदर हुई संबद्धता पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही पूरे मामले की जांच कराने की मांग की है। क्योंकि उन्हें आशंका है कि जिन अस्पतालों को संबद्धता दी गई है, उनके यहां आयुष्मान के मानक के अनुसार सुविधाएं नहीं हैं।

साचीज कर्मियों की भी होगी जांच
पोर्टल पर हुए बदलाव के मामले में पुलिस जांच कर रही है, लेकिन साचीज के अधिकारियों व कर्मचारियों की भी भूमिका की जांच कराई जा रही है। जिससे यह स्पष्ट हो सके कि किसी भी मिलीभगत तो नहीं है।

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