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Lucknow News: दंत संकाय में भी शुरू होगा बालों का प्रत्यारोपण
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केजीएमयू के दंत संकाय में भी जल्द ही बालों का प्रत्यारोपण शुरू हो जाएगा। डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से पाठ्यक्रम में बदलाव के बाद केजीएमयू में इसकी तैयारी शुरू हो गई है। विश्वविद्यालय के ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग में इस प्रत्यारोपण की शुरुआत होगी। अभी तक विश्वविद्यालय के प्लास्टिक एंड कंस्ट्रक्टिव सर्जरी विभाग में ही यह सुविधा उपलब्ध है।
विभाग के प्रो. हरीराम ने बताया कि डीसीआई ने कॅरिकुलम में कई बड़े बदलाव किए हैं। इसमें बालों के प्रत्यारोपण को भी शामिल किया गया है। ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल विभाग में दांत और जबड़े के साथ ही पूरे चेहरे से संबंधित सर्जरी की जाती है। अब इसमें बालों का प्रत्यारोपण भी शुरू हो जाएगा। प्लास्टिक सर्जरी विभाग के साथ ही यहां भी इसकी शुरुआत होने से लोगोें को काफी सुविधा हो जाएगी। इसके लिए जल्द ही जरूरी प्रक्रिया पूरी करके पढ़ाई की शुरुआत की जाएगी।
डेंटल के छात्रों के लिए बढ़ेंगे अवसर
सरकारी संस्थानों के मुकाबले निजी संस्थानों में बाल प्रत्यारोपण की मांग ज्यादा है। अभी तक प्लास्टिक सर्जरी की डिग्री वाले डॉक्टर ही बाल प्रत्यारोपण करते हैं। प्लास्टिक सर्जरी के साथ ही दंत संकाय में भी इसकी पढ़ाई शुरू होने के बाद डेंटल के स्टूडेंट्स के लिए अवसर बढ़ेंगे।
सेमेस्टर प्रणाली होगी लागू
बीडीएस के पाठ्यक्रम में बदलाव के बाद अब इसमें वार्षिक प्रणाली के बजाय सेमेस्टर सिस्टम लागू हो जाएगा। यह पाठ्यक्रम अब एमबीबीएस की तरह साढ़े पांच साल का होगा। पहले साढ़े चार साल पढ़ाई होगी और आखिर का एक साल इंटर्नशिप के लिए निर्धारित होगा। इसके साथ ही बीडीएस के पाठ्यक्रम मेें डेंटल के कोर विषयों के साथ ही फॉरेंसिक ऑडोंटोलॉजी जैसे विषय भी जुड़ जाएंगे। इससे डेंटल के स्टूडेंट्स का दायरा और भी बढ़ जाएगा। दांत संबंधी रोगों का इलाज करने के साथ ही ये डॉक्टर डिग्री के बाद फॉरेंसिक के क्षेत्र में भी काम कर सकेंगे।

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विभाग के प्रो. हरीराम ने बताया कि डीसीआई ने कॅरिकुलम में कई बड़े बदलाव किए हैं। इसमें बालों के प्रत्यारोपण को भी शामिल किया गया है। ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल विभाग में दांत और जबड़े के साथ ही पूरे चेहरे से संबंधित सर्जरी की जाती है। अब इसमें बालों का प्रत्यारोपण भी शुरू हो जाएगा। प्लास्टिक सर्जरी विभाग के साथ ही यहां भी इसकी शुरुआत होने से लोगोें को काफी सुविधा हो जाएगी। इसके लिए जल्द ही जरूरी प्रक्रिया पूरी करके पढ़ाई की शुरुआत की जाएगी।
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डेंटल के छात्रों के लिए बढ़ेंगे अवसर
सरकारी संस्थानों के मुकाबले निजी संस्थानों में बाल प्रत्यारोपण की मांग ज्यादा है। अभी तक प्लास्टिक सर्जरी की डिग्री वाले डॉक्टर ही बाल प्रत्यारोपण करते हैं। प्लास्टिक सर्जरी के साथ ही दंत संकाय में भी इसकी पढ़ाई शुरू होने के बाद डेंटल के स्टूडेंट्स के लिए अवसर बढ़ेंगे।
सेमेस्टर प्रणाली होगी लागू
बीडीएस के पाठ्यक्रम में बदलाव के बाद अब इसमें वार्षिक प्रणाली के बजाय सेमेस्टर सिस्टम लागू हो जाएगा। यह पाठ्यक्रम अब एमबीबीएस की तरह साढ़े पांच साल का होगा। पहले साढ़े चार साल पढ़ाई होगी और आखिर का एक साल इंटर्नशिप के लिए निर्धारित होगा। इसके साथ ही बीडीएस के पाठ्यक्रम मेें डेंटल के कोर विषयों के साथ ही फॉरेंसिक ऑडोंटोलॉजी जैसे विषय भी जुड़ जाएंगे। इससे डेंटल के स्टूडेंट्स का दायरा और भी बढ़ जाएगा। दांत संबंधी रोगों का इलाज करने के साथ ही ये डॉक्टर डिग्री के बाद फॉरेंसिक के क्षेत्र में भी काम कर सकेंगे।