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Lucknow News: घुटना प्रत्यारोपण के बाद हुआ संक्रमण, चौथे ऑपरेशन में मिली राहत
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केजीएमयू में संक्रमण का ऑपरेशन करने वाली टीम
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किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में घुटना प्रत्यारोपण के बाद हुए संक्रमण का मामला आया है। क़ुशीनगर निवासी 65 वर्षीय महिला का घुटना प्रत्यारोपित करने के बाद करीब साल भर पहले संक्रमण हुआ था। इसके बाद तीन सर्जरी करने के बावजूद उसे राहत नहीं मिल। केजीएमयू के डॉक्टरों ने चौथी सर्जरी करके उसे दर्द से राहत दी है।
केजीएमयू के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र सिंह कुशवाहा ने बताया कि कुशीनगर निवासी इस महिला का प्रत्यारोपण और संक्रमण के बाद सर्जरी दोनों निजी अस्पताल में हुए थे। संक्रमण की वजह से घाव से बराबर मवाद निकल रहा था। इसकी वजह से महिला चलना-फिरना भी बंद हो गया था। प्रत्यारोपण के बाद पहली सर्जरी कुशीनगर में और इसके बाद दो सर्जरी गोरखुपर में हुईं। राहत न मिलने पर मरीज को लेकर घरवाले केजीएमयू आए। डॉक्टरों ने यहां पहले चरण में संक्रमित इम्प्लांट हटाकर एंटीबायोटिक सीमेंट स्पेसर लगाया गया। एंटीबायोटिक सीमेंट स्पेसर एक अस्थायी उपकरण है जो संक्रमण को कम करने के लिए लगाया जाता है। संक्रमण काबू में आने के बाद दोबारा घुटना प्रत्यारोपित किया गया। अब महिला बिना सहारे के भी चल पा रहीं हैं।
संक्रमण से बचाव है बेहद जरूरी
डॉ. नरेंद्र के मुताबिक घुटना प्रत्यारोपण के बाद संक्रमण एक गंभीर जटिलता है। इसलिए प्रत्यारोपण के बाद साफ-सफाई बेहद जरूरी है। अस्पताल के बाद घर भी घाव पर गंदगी न आने दें। संक्रमण होने पर लगातार दर्द, सूजन, लालिमा और पस रहता है।
ऑपरेशन टीम के सदस्य
डॉ. नरेंद्र सिंह कुशवाहा, एनस्थीसिया विभाग की डॉ. हेमलता समेत अन्य डॉक्टर शामिल हुए।
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केजीएमयू के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र सिंह कुशवाहा ने बताया कि कुशीनगर निवासी इस महिला का प्रत्यारोपण और संक्रमण के बाद सर्जरी दोनों निजी अस्पताल में हुए थे। संक्रमण की वजह से घाव से बराबर मवाद निकल रहा था। इसकी वजह से महिला चलना-फिरना भी बंद हो गया था। प्रत्यारोपण के बाद पहली सर्जरी कुशीनगर में और इसके बाद दो सर्जरी गोरखुपर में हुईं। राहत न मिलने पर मरीज को लेकर घरवाले केजीएमयू आए। डॉक्टरों ने यहां पहले चरण में संक्रमित इम्प्लांट हटाकर एंटीबायोटिक सीमेंट स्पेसर लगाया गया। एंटीबायोटिक सीमेंट स्पेसर एक अस्थायी उपकरण है जो संक्रमण को कम करने के लिए लगाया जाता है। संक्रमण काबू में आने के बाद दोबारा घुटना प्रत्यारोपित किया गया। अब महिला बिना सहारे के भी चल पा रहीं हैं।
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संक्रमण से बचाव है बेहद जरूरी
डॉ. नरेंद्र के मुताबिक घुटना प्रत्यारोपण के बाद संक्रमण एक गंभीर जटिलता है। इसलिए प्रत्यारोपण के बाद साफ-सफाई बेहद जरूरी है। अस्पताल के बाद घर भी घाव पर गंदगी न आने दें। संक्रमण होने पर लगातार दर्द, सूजन, लालिमा और पस रहता है।
ऑपरेशन टीम के सदस्य
डॉ. नरेंद्र सिंह कुशवाहा, एनस्थीसिया विभाग की डॉ. हेमलता समेत अन्य डॉक्टर शामिल हुए।