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Lucknow:मेट्रो के कारण बदलनी पड़ी जगह, अब निशातगंज में बनेगा संस्कृत निदेशालय, सीएम योगी का है ड्रीम प्रोजेक्ट
अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ
Published by: ishwar ashish
Updated Thu, 06 Nov 2025 11:22 AM IST
सार
मामले में माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शासन को संशोधित प्रस्ताव भेज दिया है। वर्तमान में निदेशालय प्रयागराज में चल रहा है। परिषद का राजधानी स्थित भवन काफी जर्जर है। ऐसे में उसकी जमीन केजीएमयू को देने का निर्णय लिया गया था।
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नागर शैली में होगा निर्माण।
- फोटो : स्रोत - संस्कृत निदेशालय।
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विस्तार
राजधानी लखनऊ में मेट्रो के दूसरे चरण का काम स्वीकृत होने से संस्कृत निदेशालय व परिषद कार्यालय अब कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन (सीटीई) कैसरबाग परिसर में नहीं बनेगा। काफी जद्दोजहद के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए निशातगंज जीआईसी के पीछे की जगह तय की है। संशोधित प्रस्ताव शासन को स्वीकृति के लिए भेजा गया है।
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प्रदेश में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने व उसके कामकाज को सुचारु रखने के लिए राजधानी में संस्कृत निदेशालय व परिषद का नया भवन प्रस्तावित किया गया है। वर्तमान में निदेशालय प्रयागराज में चल रहा है। परिषद का राजधानी स्थित भवन काफी जर्जर है। ऐसे में उसकी जमीन केजीएमयू को देने का निर्णय लिया गया था।
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माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए आवश्यक बजट की पहली किस्त जारी करते हुए कार्यदायी संस्था भी नामित कर दी थी, लेकिन काम शुरू होने से पहले ही राजधानी में मेट्रो के दूसरे चरण के काम को मंजूरी मिल गई। इसके तहत सीटीई परिसर के एक हिस्से में मेट्रो स्टेशन बनना है। इससे यहां पर नया भवन बनाया जाना संभव नहीं था।
लंबी कवायद के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग ने निशातगंज जीआईसी में पीछे की तरफ खाली पड़ी जमीन पर इसके निर्माण का निर्णय लिया है। विभाग ने यहां की मिट्टी आदि की जांच-पड़ताल के बाद 42.42 करोड़ से बनने वाले चार मंजिला संस्कृत निदेशालय व संस्कृत परिषद भवन के निर्माण का संशोधित प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद जल्द ही इसका काम शुरू होगा। इससे प्रदेश में संस्कृत के पठन-पाठन को बढ़ावा देने के साथ ही 1200 से अधिक कॉलेजों के संचालन व देखरेख में भी काफी सहूलियत मिलेगी।
नागर शैली में बनेगा भवन
यह सीएम योगी आदित्यनाथ का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। शासन ने लंबी कवायद के बाद सीटीई कैसरबाग परिसर में निदेशालय व परिषद कार्यालय के निर्माण को हरी झंडी दी थी। सीएम ने खुद इसके भवन की डिजाइन फाइनल कर इसका भवन नागर शैली में बनाने के निर्देश दिए हैं। चार मंजिला (जी प्लस श्री) यह भवन मंदिर नुमा होगा और ऊपर शिखर भी बनाया जाएगा ताकि यहां आने वालों को संस्कृत से जुड़ाव महसूस हो।