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Lucknow: मुंह में दबाकर सोते थे सुपारी...फेफड़े में फंसी; डॉक्टरों ने जटिल प्रक्रिया करके निकाली

अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ Published by: आकाश द्विवेदी Updated Mon, 29 Dec 2025 05:57 PM IST
सार

लखनऊ के निजी अस्पताल में 70 वर्षीय महिला के फेफड़े से सुपारी का टुकड़ा जटिल ब्रोंकोस्कोपी प्रक्रिया से निकाला गया। मुंह में सुपारी दबाकर सोने की आदत से बार-बार निमोनिया हो रहा था। डॉक्टरों ने इसे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम बताया।

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Lucknow: They used to sleep with betel nut in their mouth...it got stuck in their lungs; doctors removed it th
प्रतीकात्मक फोटो - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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मुंह में लौंग, सुपारी जैसे पदार्थ दबाकर सोने की आदत खतरनाक साबित हो सकती है। कानपुर रोड स्थित निजी अस्पताल में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। सुपारी का टुकड़ा मरीज के फेफड़े में जाकर फंस गया, जिसे जटिल प्रक्रिया करके बाहर निकाला गया है।

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डॉ. शुभम अग्रवाल ने बताया कि अस्पताल में 70 वर्षीय महिला निमोनिया की समस्या के साथ आईं थीं। घरवालों ने बताया कि उनको बार-बार संक्रमण हो रहा है। हालत ज्यादा खराब होने की वजह से उन्हें आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा। एक्स-रे और सीटी स्कैन की जांच में फेफड़ों में निमोनिया पाया गया। मरीज को पहले से हृदय संबंधी समस्या के साथ ही हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी थी। निमोनिया की वजह समझने के लिए डॉक्टरों ने ब्रोंकोस्कोपी करने का निर्णय लिया। 
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इसमें देखा गया कि जिस हिस्से में निमोनिया था, वहां फेफड़े के अंदर कोई वस्तु फंसी हुई है। इसे निकालना बेहद जरूरी थी। घरवालों को बताकर मरीज को बेहोश करके जटिल प्रक्रिया के माध्यम से यह वस्तु निकाली गई। बाहर आने पर पता चला कि वह सुपारी का टुकड़ा था, जिसे वह रात में मुंह में दबाकर सोती थीं। इसकी वजह से उनको बार-बार संक्रमण हो रहा था। सुपारी का टुकड़ा निकलने के बाद हालत में तेजी से सुधार हुआ। पूरी तरह स्वस्थ होने पर उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

सांस के नली से होकर फेफड़े तक पहुंच जाती हैं वस्तुएं

डॉ. मयंक सोमानी ने बताया कि जब कोई बाहरी चीज सांस के रास्ते फेफड़ों में फंस जाती है, तो उसके आगे का पूरा हिस्सा संक्रमित हो जाता है और वहां मवाद बन सकता है। इस मामले में सुपारी सांस की नली से होते हुए फेफड़े तक पहुंची थी। खांसी की दवा या नेब्यूलाइजर के इस्तेमाल से कई बार ये लक्षण भी धीमे पड़ जाते हैं और एक्स रे से पता भी नहीं चल पाता कि फेफड़े में कुछ फंसा है। ऐसे में बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है।

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