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आरटीई : 15 वर्षों से सिर्फ नोटिस, मनबढ़ हुए निजी स्कूल
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लखनऊ। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई एक्ट) 2009 में पास हुआ। वर्ष 2010 में इसकी चर्चा शुरू हुई और 2011 में ये अमल में आ गया। तब से लेकर आज तक राजधानी में हाई प्रोफाइल निजी स्कूल प्रबंधक आरटीई एक्ट का उल्लंघन करते रहे हैं, लेकिन इन पर कार्रवाई नहीं हुई। कई बार जिले व मंडल स्तर पर अधिकारियों ने कार्रवाई करना चाहा तो विभाग के बड़े अफसरों या सत्ता पक्ष के नेताओं के दबाव में नहीं कर पाए। यदि एक भी स्कूल पर कार्रवाई हो जाती तो आज 3000 हजार बच्चे पढ़ाई के समय में घर में बैठकर दाखिले का इंतजार नहीं कर रहे होते।
जुलाई शुरू, उद्देश्य पर फिरा पानी
पहली बार आरटीई के तहत नए सत्र में प्रवेश के लिए दिसंबर 2024 से ही आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई थी। इसका उद्देश्य था कि चार चरण की प्रवेश प्रक्रिया समय से पूरी कर लेंगे और 30 जून तक बच्चों को दाखिला मिल जाएगा, लेकिन शहर के पॉवरफुल स्कूल प्रबंधक अधिकारियों के नोटिसों को नजरअंदाज करते रहे और 3000 बच्चों को प्रवेश नहीं दिया गया।
एफआईआर के निर्देश पर लिए एडमिशन
आरटीई के तहत वर्ष 2023 से 2024 तक शहर के आधा दर्जन स्कूलों ने तब प्रवेश लिया जब एफआईआर के आदेश दिए जिलाधिकारी व मंडलायुक्त ने जारी किए।
मुरादाबाद की बच्ची को लखनऊ तक करना पड़ा सफर
ताजा उदाहरण मुख्यमंत्री योगी के जनता दरबार का है। आरटीई में चयनित बच्ची को प्रवेश के लिए मुरादाबाद से लखनऊ तक सफर करना पड़ा, तब उसको प्रवेश मिल सका। हालांकि, सिस्टम अभी तक स्कूल प्रबंधक पर कार्रवाई नहीं कर सका।
हर साल जारी इतने नोटिस
वर्ष 2013 में 265, 2014 में 209, 2015 में 250, 2016 में 180, 2017 में 200, 2018 में 155, 2019 में 126, 2022 में 180, 2023 में 140, 2024 में 162, 2025 में अभी तक 100 नोटिस जारी हुए हैं।
कोट-
शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों को सिर पर इतना चढ़ा लिया है कि वे मनबढ़ हो गए हैं। जब तक इसमें विभाग के उच्च अधिकारी सीधे नहीं शामिल होंगे तब तक हर साल इसी तरह से आरटीई में चयनित बच्चे परेशान होते रहेंगे।
-प्रदीप श्रीवास्तव, अध्यक्ष अभिभावक कल्याण संघ
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जुलाई शुरू, उद्देश्य पर फिरा पानी
पहली बार आरटीई के तहत नए सत्र में प्रवेश के लिए दिसंबर 2024 से ही आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई थी। इसका उद्देश्य था कि चार चरण की प्रवेश प्रक्रिया समय से पूरी कर लेंगे और 30 जून तक बच्चों को दाखिला मिल जाएगा, लेकिन शहर के पॉवरफुल स्कूल प्रबंधक अधिकारियों के नोटिसों को नजरअंदाज करते रहे और 3000 बच्चों को प्रवेश नहीं दिया गया।
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एफआईआर के निर्देश पर लिए एडमिशन
आरटीई के तहत वर्ष 2023 से 2024 तक शहर के आधा दर्जन स्कूलों ने तब प्रवेश लिया जब एफआईआर के आदेश दिए जिलाधिकारी व मंडलायुक्त ने जारी किए।
मुरादाबाद की बच्ची को लखनऊ तक करना पड़ा सफर
ताजा उदाहरण मुख्यमंत्री योगी के जनता दरबार का है। आरटीई में चयनित बच्ची को प्रवेश के लिए मुरादाबाद से लखनऊ तक सफर करना पड़ा, तब उसको प्रवेश मिल सका। हालांकि, सिस्टम अभी तक स्कूल प्रबंधक पर कार्रवाई नहीं कर सका।
हर साल जारी इतने नोटिस
वर्ष 2013 में 265, 2014 में 209, 2015 में 250, 2016 में 180, 2017 में 200, 2018 में 155, 2019 में 126, 2022 में 180, 2023 में 140, 2024 में 162, 2025 में अभी तक 100 नोटिस जारी हुए हैं।
कोट-
शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों को सिर पर इतना चढ़ा लिया है कि वे मनबढ़ हो गए हैं। जब तक इसमें विभाग के उच्च अधिकारी सीधे नहीं शामिल होंगे तब तक हर साल इसी तरह से आरटीई में चयनित बच्चे परेशान होते रहेंगे।
-प्रदीप श्रीवास्तव, अध्यक्ष अभिभावक कल्याण संघ