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Lucknow News: डाउन सिंड्रोम बच्चों के लिए स्पीच थेरेपी बेहद जरूरी
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डाउन सिंड्रोम पर कार्यक्रम।
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लखनऊ। बच्चे को डाउन सिंड्रोम हो तो अभिभावकों को कतई निराश नहीं होना चाहिए। ऐसे बच्चों का हौसला बढ़ाना चाहिए। बच्चे कुछ भी हासिल कर सकते हैं। जरूरत है सही प्रशिक्षण और मार्गदर्शन की। मैंने खुद अपनी परेशानी झेली, मगर कभी हार नहीं मानी। अपना मार्ग खुद बनाया है। ये बातें राज्य उपायुक्त दिव्यांगजन शैलेंद्र सोनकर ने कहीं।
वह डाउन सिंड्रोम फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से हुए इंडिया इंटरनेशनल डाउन सिंड्रोम सम्मेलन के आखिरी दिन मुख्य अतिथि रहे। दोस्ती स्टडी हाल के सहयोग से हो रहे इस आयोजन में बच्चों ने नाटक के जरिये रंगे-बिरंगे परिधानों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन भी किया। कार्यक्रम में अमर उजाला मीडिया पार्टनर रहा।
सम्मेलन में कर्मिका वोकेशनल इंस्टीट्यूट की संचालिका गायत्री ने कहा कि बच्चे बड़े हो रहे हैं, उन्हें नौकरी या रोजगार की खातिर तैयार करने के लिए बचपन से ट्रेनिंग दे सकते हैं, ताकि बड़े होकर वह अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक से कर सकें। स्पेशल एजुकेटर हेमा मालिनी, स्पीच थेरेपिस्ट शरन्या ने कहा बच्चों को बातचीत करने में थोड़ी दिक्कत होती है। इसके लिए स्पीच थेरेपी जरूरी है। घर में मां ही कई एक्सरसाइज करा सकती है, जिससे बच्चों में बातचीत करने में आसानी हो।
फेडरेशन की अध्यक्ष सुरेखा रामचंद्रन ने कहा कि कई दफा बच्चे समाज में अलग तरह से व्यवहार करते हैं। उनका प्रशिक्षण कराकर व्यवहार में बदलाव लाया जा सकता है।
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ये हुए सम्मानित
सेल्फ एडवोकेट शुभांशु महाराना, कर्मिका वोकेशनल इंस्टीट्यूट की संचालिका गायत्री, बेस्ट स्टेट का अवॉर्ड केरल को, जागरूकता के लिए श्वेता को सम्मानित किया गया।

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वह डाउन सिंड्रोम फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से हुए इंडिया इंटरनेशनल डाउन सिंड्रोम सम्मेलन के आखिरी दिन मुख्य अतिथि रहे। दोस्ती स्टडी हाल के सहयोग से हो रहे इस आयोजन में बच्चों ने नाटक के जरिये रंगे-बिरंगे परिधानों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन भी किया। कार्यक्रम में अमर उजाला मीडिया पार्टनर रहा।
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सम्मेलन में कर्मिका वोकेशनल इंस्टीट्यूट की संचालिका गायत्री ने कहा कि बच्चे बड़े हो रहे हैं, उन्हें नौकरी या रोजगार की खातिर तैयार करने के लिए बचपन से ट्रेनिंग दे सकते हैं, ताकि बड़े होकर वह अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक से कर सकें। स्पेशल एजुकेटर हेमा मालिनी, स्पीच थेरेपिस्ट शरन्या ने कहा बच्चों को बातचीत करने में थोड़ी दिक्कत होती है। इसके लिए स्पीच थेरेपी जरूरी है। घर में मां ही कई एक्सरसाइज करा सकती है, जिससे बच्चों में बातचीत करने में आसानी हो।
फेडरेशन की अध्यक्ष सुरेखा रामचंद्रन ने कहा कि कई दफा बच्चे समाज में अलग तरह से व्यवहार करते हैं। उनका प्रशिक्षण कराकर व्यवहार में बदलाव लाया जा सकता है।
ये हुए सम्मानित
सेल्फ एडवोकेट शुभांशु महाराना, कर्मिका वोकेशनल इंस्टीट्यूट की संचालिका गायत्री, बेस्ट स्टेट का अवॉर्ड केरल को, जागरूकता के लिए श्वेता को सम्मानित किया गया।
डाउन सिंड्रोम पर कार्यक्रम।