UP: भांग की नई प्रजाति खोजी...चिकित्सा क्षेत्र के लिए गेमचेंजर, किसानों को तीन से पांच गुना होगा फायदा
दावा किया जा रहा है कि पारंपरिक फसलों की तुलना में किसानों की आय में इससे तीन से पांच गुना ज्यादा बढ़ोत्तरी होगी। यह कृषि और चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में गेम चेंजर साबित होगा।
विस्तार
राजधानी लखनऊ के केंद्रीय औषधीय व सुगंध पौध संस्थान (सीमैप) ने कम नशे और उच्च औषधीय गुणों वाली भांग की नई प्रजाति विकसित की है। विशेषज्ञों का दावा है कि भांग की यह नई किस्म, पारंपरिक फसलों की तुलना में किसानों की आय में तीन से पांच गुना वृद्धि कर सकेगी।
संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार, सीमैप का यह नवाचार कृषि और चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में गेम चेंजर साबित हो सकता है। इस शोध से भारतीय कृषि और फार्मा सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव आ सकते हैं। पौधे की पैदावार के सफल ट्रायल ने साबित कर दिया है कि भारत अब नियंत्रित और उच्च औषधीय मूल्य वाली भांग की खेती में वैश्विक स्तर पर बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयार है।
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आठ साल के शोध का परिणाम
सीमैप के आठ वैज्ञानिकों ने देश के विभिन्न राज्य जैसे, हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर आदि से भांग के जर्मप्लाज्म एकत्र किए। कई चरणों के हाइब्रिडाइजेशन, जेनेटिक मूल्यांकन और फील्ड ट्रायल के बाद यह प्रजाति तैयार की। इस शोध को अंतरराष्ट्रीय जर्नल फूड रिसर्च इंटरनेशनल में भी प्रकाशित किया गया है, जिससे इसे वैज्ञानिक समुदाय के बीच वैश्विक मान्यता भी मिली है।
अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप
प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिक डॉ. बीरेंद्र कुमार बताते हैं कि टीम ने कैनाबिस पौधे में मौजूद साइकोएक्टिव तत्त्व टीएचसी (टेट्राहाइड्रो-कैनाबिनोल) को 0.3% से नीचे लाने में सफलता हासिल की है। यह सीमा अंतरराष्ट्रीय नारकोटिक्स कानून और भारत के एनडीपीएस एक्ट के अनुरूप होने से यह किस्म औद्योगिक और औषधीय उपयोग के लिए सुरक्षित हो जाती है।
किसानों के लिए नया अवसर
विशेषज्ञों के अनुसार एक एकड़ में इस औद्योगिक भांग की खेती से किसान पारंपरिक फसलों की तुलना में तीन से पांच गुना अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं। अब तक भांग की खेती पर कड़ी पाबंदी थी। कम नशे वाली किस्म आने से किसान आबकारी विभाग से आसानी से लाइसेंस प्राप्त कर सकेंगे और इसका उत्पादन कर सकेंगे।
दुनिया भर में है मांग: विश्व औद्योगिक भांग (हेम्प) बाजार वर्ष 2024 में करीब आठ बिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर चुका है। वर्ष 2030 तक इसके दोगुना होने का अनुमान है। ऐसे में सीमैप की इस नवाचार से भारत के किसानों को एक उच्च मूल्य वाली नकदी फसल का नया विकल्प मिलेगा, जिसके उत्पाद फाइबर, बीज, तेल और औषधीय अर्क देश-विदेश में भारी मांग रखते हैं।
कैंसर और दर्द प्रबंधन में उपयोगी: भांग में पाया जाने वाला सीबीडी तत्व कैंसर से जुड़े दर्द, कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव, न्यूरोलॉजिकल दर्द, सूजन और मानसिक तनाव को कम करने में प्रभावी है। इसके तेल का उपयोग मुंहासे, एक्जिमा, सोरायसिस, भूख बढ़ाने वाली दवाओं में तेजी से बढ़ रहा है। फार्मा कंपनियों के लिए यह नई किस्म एक बड़ा अवसर बनेगी।
सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी का कहना है कि भारत सरकार के सहयोग से आने वाले समय में कैनबिस के इस नए किस्म के बीज किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे, जो आबकारी विभाग से लाइसेंस लेकर खेती कर सकते हैं। इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी।