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UP: परिवार नियोजन के लिए अंतरा और छाया बनी पहली पसंद... अब कंडोम का प्रयोग कम कर रहे दंपती

चंद्रभान यादव, अमर उजाला, लखनऊ Published by: ishwar ashish Updated Tue, 04 Nov 2025 01:02 PM IST
सार

परिवार कल्याण विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अब दंपती नसबंदी से तौबा कर रहे हैं और कॉपर टी से भी मुंह मोड़ रहे हैं। वो बिना झंझट परिवार नियोजन अपनाने पर जोर दे रहे हैं।

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UP: Antara and Chaya have become the first choice for family planning
परिवार नियोजन (सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : ANI
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विस्तार
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उत्तर प्रदेश में परिवार नियोजन के साधनों को लेकर दंपती की सोच बदल रही है। पहले जहां कंडोम सर्वाधिक प्रयोग होता था वहीं अब अंतरा इंजेक्शन और छाया गोली पहली पसंद है। तमाम दंपति नसबंदी से तौबा करने के साथ ही कॉपर टी से भी दूरी बना रहे हैं। परिवार कल्याण विभाग के आंकड़ें कुछ ऐसा ही इशारा कर रहे हैं।

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प्रदेश में 2010 के आसपास सर्वाधिक खपत कंडोम की होती रही है। वर्ष 2010 से 2018 के बीच लक्ष्य के सापेक्ष यह करीब 80-85 फीसदी तक प्रयोग होता रहा है। इसी तरह पुरुष नसबंदी भले कम करा रहा है, लेकिन महिला नसबंदी की उपलब्धि 70 फीसदी रही है। माला एन या माला डी का ग्राफ भी 80 फीसदी से अधिक है। अब इसमें बड़ा बदलाव नजर आ रहा है। चिकित्सा विशेषज्ञ भी इसके पीछे नई पीढ़ी की बदली सोच मानते हैं। वर्ष 2025-26 के अक्तूबर तक के आंकड़ें कुछ अलग गवाही दे रहे हैं।
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छाया गोली लक्ष्य के सापेक्ष 64 फीसदी बांटी जा चुकी है। यह गोली एनीमिया से भी बचाती है। इसे मासिक धर्म शुरू होने के पहले दिन से लेना होता है। दूसरी गोली तीन दिन बाद लेना है। इसी तरह इंजेक्शन के रूप में प्रयोग होने वाली अंतरा का ग्राफ 54 फीसदी तक है। इस इंजेक्शन को 15 से 45 वर्ष की महिला प्रयोग कर सकती है। हर तीन माह में एक इंजेक्शन लेना होता है। यह अंडे निकलने से रोकता है। इसकी विफलता दर करीब एक हजार में तीन है। कंडोम वितरण की उपलब्धि 45 फीसदी और माला एन की 48 फीसदी है। सबसे खराब स्थिति नसबंदी के मामले में है।

लक्ष्य के सापेक्ष सिर्फ 14% नसबंदी: वित्तीय वर्ष में अभी तक महिला नसबंदी का ग्राफ 14 फीसदी तक पहुंचा है, जबकि पुरुष नसबंदी 17 फीसदी है। कॉपर टी का प्रयोग 44 फीसदी तक ही है। महिला रोग विशेषज्ञों का कहना है कि पहले अन्य साधन नहीं थे, इसलिए नसबंदी के केस ज्यादा होते रहे हैं। ग्रामीण इलाके में महिला नसबंदी सर्वाधिक होती थी, लेकिन अब महिलाओं में शिक्षा का ग्राफ बढ़ा है। वे नसबंदी के बजाय दूसरे साधन भी अपना रही हैं।

सरल और सुलभ होने से ज्यादा पसंद आ रही है

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुंदरिका का कहना है कि नई पीढ़ी पढ़ी लिखी है। अंतरा इंजेक्शन लेने के बाद तीन माह तक गर्भधारण से मुक्ति मिल जाती है। इसी तरह छाया की गोली खाने से महिलाओं को किसी तरह की समस्या नहीं होती है। जबकि माला एन और डी हार्मोनल हैं।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक डॉ. सूर्यांशु ओझा का कहना है कि महिलाओं को अंतरा व छाया ज्यादा पसंद आ रही है क्योंकि यह सरल है सुलभ है। इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं है। इस पर आशा को इंसेंटिव भी दिया जाता है। नसबंदी का लक्ष्य हासिल करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है।

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