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यूपी: केजीएमयू के डॉक्टरों ने चुंबक से बनाई पित्त की नली, पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल; जानें प्रोसेस

अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ Published by: आकाश द्विवेदी Updated Mon, 01 Dec 2025 06:38 PM IST
सार

केजीएमयू के डॉक्टरों ने पहली बार चुंबक की मदद से क्षतिग्रस्त पित्त नली को बिना बड़ी सर्जरी किए सफलतापूर्वक नया मार्ग बनाकर मरीज को राहत दी। यह तकनीक किसी सरकारी संस्थान में अपने तरह का पहला उदाहरण बताया जा रहा है।

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UP: KGMU doctors created a bile duct using a magnet, using this technique for the first time; learn the proces
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डॉक्टरों ने चुंबक का इस्तेमाल करके 32 वर्षीय महिला की पित्त की नली बनाने में सफलता हासिल की है। सुल्तानपुर निवासी इस महिला पित्त की नली निजी अस्पताल में पथरी के ऑपरेशन के दौरान क्षतिग्रस्त हो गई थी। दावा है कि किसी भी सरकारी संस्थान में इस तरह का यह पहला मामला है।

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केजीएमयू के मेडिसिन विभाग में हेपाटोबिलियरी डिवीजन के प्रमुख डॉक्टर डॉ. अजय कुमार पटवा ने बताया कि 32 वर्षीय महिला को पथरी की समस्या होने पर निजी अस्पताल में दिखाया गया था। वहां सर्जरी के दौरान पित्त की नली क्षतिग्रस्त हो गई थी। करीब पांच फीसदी मामलों में यह समस्या होने का खतरा रहता है। पित्त की नली क्षतिग्रस्त होने की वजह से पित्त पेट में फैलने लगा था। इसकी वजह से उसे पीलिया, पेट में संक्रमण और तेज दर्द की शिकायत थी। 
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समस्या बढ़ने पर घरवाले उसे लेकर केजीएमयू आए। जांच करने पर पता चला कि पित्त की नली पूरी तरह क्षतिग्रस्त और बंद हो चुकी थी। ऐसे में बड़ी सर्जरी करने का विकल्प था। इसमें भी यह समस्या बार-बार पैदा होने की आशंका रहती है।इसको देखते हुए रेडियोडायग्नोसिस विभाग के प्रमुख डॉ. अनित परिहार की निगरानी में इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. सौरभ कुमार के सहयोग से नई तकनीक अपनाते हुए मैग्नेट से नली जोड़ने का फैसला किया गया।

ऐसे बनी पित्त की नई नली

प्रो. पटवा ने बताया कि सबसे पहले एंडोस्कोप का इस्तेमाल करके एक चुंबक पित्त की नली में डाला गया। इसके बाद अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल करके दूसरा चुंबक लिवर में सुई से डाला गया। दोनों चुंबक एक दूसरे को खींख रहे थे। इसकी वजह से दो सप्ताह में दोनों चुंबक आपस में चिपक गए। 


चिपकने की क्रिया के दौरान ही प्राकृतिक रूप से पित्त की नई नली का निर्माण भी हो गया। मेडिसिन विभाग और संकाय के प्रमुख और डीन डॉ. वीरेंद्र आतम, रेडियोडायग्नोसिस विभाग के प्रमुख डॉ. अनित परिहार, केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. केके सिंह और विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने इस उपलिब्ध पर पूरी टीम को बधाई दी है।

 

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