यूपी: सदन में अलग बैठेंगे सपा से निष्कासित विधायक, विधेयक पर कर सकेंगे वोटिंग; जानिए क्या-क्या रहेंगे अधिकार
MLAs expelled from SP: सपा ने निष्कासित किए गए तीनों विधायक सदन में अलग बैठेंगे। हालांकि वह स्वतंत्र रूप से किसी भी बिल पर वोटिंग कर सकेंगे।

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सपा से निष्कासित तीन विधायकों मनोज पांडेय, राकेश सिंह व अभय सिंह अब विधानसभा मंडप में असंबद्ध विधायक की हैसियत से बैठेंगे। इनको विधानसभा मंडप में अब सपा सदस्यों से अलग सीट आवंटित की जाएगी। विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने बृहस्पतिवार को तीनों विधायकों को असंबद्ध किए जाने की अधिसूचना जारी कर दी है।

प्रमुख सचिव के मुताबिक इन विधायकों को सदन में किसी भी प्रस्ताव पर मतदान करने से लेकर वे सभी अधिकार यथावत रहेंगे, जो दलगत विधायकों के पास हैं। तीनों विधायकों के निष्कासन के बारे में सपा अध्यक्ष द्वारा दी गई सूचना के आधार पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इन सभी को असबंद्ध सदस्य घोषित करने को मंजूरी दी है।
बता दें, राज्यसभा चुनाव के दौरान सपा के करीब 7 विधायकों ने पार्टी के खिलाफ भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया था। इसके कई महीने बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीती 23 जून को सिर्फ तीन विधायकों ऊंचाहार (रायबरेली) के विधायक मनोज पांडेय, गौरीगंज (अमेठी) के विधायक राकेश प्रताप सिंह और गोसाईगंज (अयोध्या) के विधायक अभय सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इसके बाद सपा अध्यक्ष ने 5 जुलाई को तीनों विधायकों को पार्टी से निष्कासित किए जाने का पत्र विधानसभा अध्यक्ष को भेजा था।
अखिलेश ने ब्रजेश पाठक पर साधा निशाना
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनकी नजर अपने विभाग के बजाय मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। इसीलिए स्वास्थ्य विभाग में हर तरफ मनमानी और बदहाली है। आरोप लगाया कि उनकी सरकार में बिना खून निकाले रिपोर्ट देने का तरीका खोज लिया गया है। कानपुर में दो सीएमओ एक कुर्सी पर झगड़ पड़े तो पुलिस बुलानी पड़ गई।
अखिलेश ने बृहस्पतिवार को जारी बयान में कहा कि पिछले दिनों डिप्टी सीएम गोंडा के मेडिकल कॉलेज गए जहां हर तरफ अव्यवस्था थी। अस्पताल में डॉक्टर जींस टीशर्ट में थे। तीमारदारों ने बताया कि अस्पताल में भर्ती मरीजों को चादर भी नहीं मिलती है। घर की शाल और कंबल बिछाकर मरीज लेटे दिखे। उन्होंने फटकार तो बहुत लगाई, लेकिन उनके 37 मिनट के दौरे के बाद भी कुछ नहीं बदला।