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UP: लड़कियों को अवसाद में धकेल रहा लिवइन का छलावा, फिल्मों से प्रभावित होकर रिश्ते में रख रहीं कदम

मनीषा गोस्वामी, अमर उजाला, लखनऊ Published by: ishwar ashish Updated Wed, 20 Aug 2025 06:13 PM IST
सार

लड़कियां सोशल मीडिया और फिल्मों से प्रभावित होकर लिवइन रिलेशनशिप में कदम रख रही हैं। ऐसे में जब उनका भरोसा टूटता है तो वो गहरे अवसाद में चली जाती हैं।

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UP: The deception of live-in is pushing girls into depression
प्रतीकात्मक तस्वीर। - फोटो : adobe stock
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विस्तार
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शादी से पहले एक-दूसरे को जानने के लिए लिवइन रिलेशनशिप का चलन युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है। पर लिवइन रिलेशनशिप की चमक-दमक के पीछे छिपा है एक गहरा अंधेरा। सोशल मीडिया और फिल्मों से प्रभावित होकर किशोरियां और युवतियां इस रिश्ते में कदम तो रख लेती हैं, लेकिन जब भरोसा टूटता है तो उनकी मासूम जिंदगी ढह जाती है। अधिकतर मामले निचले तबके और मध्य वर्ग के हैं।

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15 साल की किशोरियों से लेकर 25 साल तक की युवतियां इस मायाजाल में सबसे ज्यादा फंस रही हैं। वीमेन पावर लाइन 1090 परामर्शदाता मनोचिकित्सक प्रो. रश्मि सोनी बताती हैं कि मनोविज्ञान के अनुसार महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक संवेदनशील होती हैं। ऐसे में जब उन्हें कोई धोखा देता है तो उनके मन को गहरा आघात पहुंचता है। हर दिन दो-तीन कॉल ऐसी आती हैं, जिनमें लड़कियां बताती हैं कि उन्हें छोड़ दिया गया, शोषित किया गया या फिर गर्भपात के लिए मजबूर किया गया। टूटे रिश्तों की सजा वे खुद को दोषी मानकर चुकाती हैं।
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यही कारण है कि अवसाद और आत्महत्या तक के विचार उनके मन में पनपने लगते हैं। महिला आयोग तक में भी रोजाना एक-दो ऐसे केस पहुंच रहे हैं, जिनमें पीड़िताएं अपनी आवाज तक खो बैठी हैं। बहुत सी लड़कियां परिवार को सच बताने से डरती हैं और चुपचाप दर्द सहती रहती हैं। इसके अलावा शहर से पांच-छह पीड़िताएं रोज उनके पास पहुंच रही हैं।

वीमेन पावर लाइन की परामर्शदाता मनोचिकित्सक प्रो. रश्मि सोनी का कहना है कि आज भी बहुत से लोग हैं जो मनोचिकित्सक के पास जाने से बचते हैं। वे इसे पागलपन की निशानी समझते हैं। लोगों को इस धारणा से बाहर निकलने की जरूरत है। जैसे शरीर में चोट के घाव भरने के लिए डॉक्टर की जरूरत होती है। वैसे ही मन के घाव भरने के लिए मनोचिकित्सक की।

एक दर्दनाक झलक

- अक्सर किशोरियां यह मानकर रिश्तों में जाती हैं कि सामने वाला साथी हमेशा साथ देगा। लेकिन कई बार उन्हें केवल इस्तेमाल कर छोड़ दिया जाता है। ये घटनाएं केवल आंकड़े नहीं, बल्कि समाज के उस चेहरे का आइना है जहां प्यार के नाम पर मासूमियत से खेला जा रहा है।

- एक 17 साल की किशोरी ने बताया कि वह तीन बार गर्भपात झेल चुकी है। रिश्ते में खटास आने के बाद उसका साथी उसे छोड़कर चला गया। अब वह पढ़ाई और परिवार दोनों से कटी हुई है।

- 17 साल की एक और किशोरी सोशल मीडिया पर बने रिश्ते में फंस गई। कुछ ही महीनों में जब रिश्ता टूट्टा, तो उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया और आत्महत्या का प्रयास किया।

- उत्तर प्रदेश महिला आयोग में शिकायत करने पहुंची 19 साल की युवती ने बताया कि दो साल पहले एक छोटे से शहर से राजधानी में मेडिकल की पढ़ाई करने आई थी। इसी दौरान वह रिश्तेदार के ही एक परिचित के साथ लिव-इन रिश्ते में पड़ गई। फरवरी में शादी की बात की तो उक्त व्यक्ति ने मना कर दिया। पिता के साथ न्याय के लिए आयोग और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अस्पताल के चक्कर लगा रही हूं।

अवसाद की गहराई

- लगातार उदासी और रोने की आदत
- पढ़ाई या काम में रुचि खत्म होना
- चिड़चिड़ापन और आत्मग्लानि
- आत्महत्या जैसे विचार

उम्मीद की रोशनी
- रोजमर्रा की निश्चित दिनचर्या बनाना।
- डिजिटल दुनिया से दूर रहकर असली रिश्तों को समय देना।
- किताबें, योग और माइंडफुलनेस व्यायाम अपनाना।
- परिवार और दोस्तों से खुलकर बात करना।
- मनोचिकित्सक से परामर्श लेने में हिचकिचाना नहीं।
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