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स्टार्टअप योद्धा: 80 करोड़ की वर्चुअल दुकानदार हैं वर्तिका पंजाबी, चिकनकारी को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाया

आशीष गुप्ता, अमर उजाला, लखनऊ Published by: ishwar ashish Updated Tue, 18 Nov 2025 11:29 AM IST
सार

युवा उद्यमी वर्तिका पंजाबी ने चिकनकारी को स्थानीय बाजारों से निकालकर दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचा दिया है। उनकी वेबसाइट हर साल 80 करोड़ रुपये का कारोबार कर रही है।

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UP: Vartika Punjabi is a virtual shopkeeper worth Rs 80 crore, has taken Chikankari to every corner of the wor
युवा उद्यमी वर्तिका पंजाबी - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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लखनऊ शहर की युवा उद्यमी वर्तिका पंजाबी ने लखनऊ की चिकनकारी को स्थानीय बाजारों से निकालकर दुनिया के हर कोने तक पहुंचा दिया है। उनकी ई-कॉमर्स वेबसाइट हर साल 80 करोड़ रुपये का कारोबार कर रही है। बदलते व्यापारिक दौर को देखते हुए अब वह क्विक कॉमर्स में भी कदम बढ़ा रही हैं, ताकि ग्राहक ऑर्डर करने के कुछ ही घंटों में चिकनकारी उत्पाद अपने घर पर पा सकें।

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वर्तिका बताती हैं कि कंपनी से 30 हजार कारीगर और 15 हजार अन्य स्टाफ जुड़े हैं, जिनकी मेहनत ने लखनऊ की इस पारंपरिक कला को वैश्विक पहचान दिलाई है। डाटा एनालिटिक्स के सहारे उन्होंने कई शहरों में वेयरहाउस तैयार किए हैं, जहां लोगों की पसंद के हिसाब से माल स्टॉक होता है।
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करीब 90 साल पुराने चिकनकारी व्यवसाय से जुड़े परिवार की बेटी वर्तिका (चौथी पीढ़ी) ने परंपरा से हटकर 2008 में ई-कॉमर्स की राह पकड़ी थी। वह कहती हैं कि जब मैंने शुरुआत की, तब मेरे सामने कोई मिसाल नहीं थी। आज भी इतनी बड़ी रेंज वाली चिकनकारी कलेक्शन कहीं दिखाई नहीं देती। 2018 में जब चिकनकारी को ओडीओपी के तहत शामिल किया गया, तो उनका कारोबार और तेजी से फैलने लगा। इससे असली और मशीन की कढ़ाई में फर्क समझना आसान हुआ और ग्राहकों का भरोसा भी बढ़ा।

नवाबी दौर से निकली चिकनकारी की कहानी: वर्तिका बताती हैं कि नवाबी सल्तनत में दरबारी कारीगर जरदोजी और चिकनकारी का काम करते थे। नवाबी शासन खत्म होने पर ये कारीगर लखनऊ में ही बस गए और छोटे-छोटे कपड़ों पर कढ़ाई कर बाजार में लाने लगे। यही परंपरा आज भी पीढ़ियों से चली आ रही है।

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