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UP: पिता को गोली मारकर उतारा था माैत के घाट, हत्यारोपी बेटा 10 साल बाद बरी; मां सहित पांच गवाह कोर्ट में मुकरे
संवाद न्यूज एजेंसी, आगरा
Published by: अरुन पाराशर
Updated Thu, 18 Dec 2025 10:18 PM IST
सार
पिता की हत्या में आरोपी बेटे को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। 10 साल बाद कोर्ट ने आरोपी को ठोस साक्ष्य के अभाव में बरी करने के आदेश दिए हैं।
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कोर्ट
- फोटो : ANI
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विस्तार
पिता की गोली मारकर हत्या करने के मामले में एडीजे-17 नितिन कुमार ठाकुर ने सुनवाई की। उन्होंने आरोपी बेटे उधम सिंह उर्फ उदल सिंह को ठोस साक्ष्य के अभाव में बरी करने के आदेश किए। सुनवाई के दौरान आरोपी की मां सहित पांच गवाह अपनी पूर्व गवाही से मुकर गए।
कागारौल थाने में दर्ज केस के अनुसार, गढ़ी बलजीत निवासी शीला देवी ने तहरीर दी थी। आरोप लगाया था कि उनके पति दयाल सिंह 5 जुलाई 2014 की रात घर के सामने स्थित भूरी सिंह के खेत पर सो रहे थे। देर रात अज्ञात युवक ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
पुलिस ने विवेचना के दौरान 30 जनवरी 2015 को दयाल सिंह के पुत्र उधम सिंह उर्फ उदल सिंह को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया। उसकी निशानदेही पर तमंचा बरामद किया। कोर्ट में पेश कर जेल भेजा गया।
अभियोजन की तरफ से मृतक की पत्नी (आरोपी की मां) सहित 14 गवाह अदालत में पेश किए गए। मृतक की पत्नी सहित पांच गवाहों ने अभियोजन कथन का समर्थन नहीं किया। तमंचा बरामदगी का कोई स्वतंत्र गवाह भी नहीं था। मृतक के शरीर से बरामद बुलेट और सिर के बालों को जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भी नहीं भेजा गया था।
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कागारौल थाने में दर्ज केस के अनुसार, गढ़ी बलजीत निवासी शीला देवी ने तहरीर दी थी। आरोप लगाया था कि उनके पति दयाल सिंह 5 जुलाई 2014 की रात घर के सामने स्थित भूरी सिंह के खेत पर सो रहे थे। देर रात अज्ञात युवक ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
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पुलिस ने विवेचना के दौरान 30 जनवरी 2015 को दयाल सिंह के पुत्र उधम सिंह उर्फ उदल सिंह को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया। उसकी निशानदेही पर तमंचा बरामद किया। कोर्ट में पेश कर जेल भेजा गया।
अभियोजन की तरफ से मृतक की पत्नी (आरोपी की मां) सहित 14 गवाह अदालत में पेश किए गए। मृतक की पत्नी सहित पांच गवाहों ने अभियोजन कथन का समर्थन नहीं किया। तमंचा बरामदगी का कोई स्वतंत्र गवाह भी नहीं था। मृतक के शरीर से बरामद बुलेट और सिर के बालों को जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भी नहीं भेजा गया था।

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