सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Madhya Pradesh ›   Betul News ›   A unique tradition during Govardhan Puja, including laying children in cow dung, has raised concerns

Goverdhan Puja : गोवर्धन पूजा में अनोखी परंपरा, बच्चों को गोबर में लिटाने की मान्यता, डॉक्टरों ने जताई चिंता

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बैतूल Published by: बैतूल ब्यूरो Updated Thu, 23 Oct 2025 02:16 PM IST
विज्ञापन
A unique tradition during Govardhan Puja, including laying children in cow dung, has raised concerns
गोवर्धन पूजा में अनोखी परंपरा — बच्चों को गोबर में लिटाने की आस्था, डॉक्टरों ने जताई चिंता।
विज्ञापन
दीपावली के अगले दिन मनाई जाने वाली गोवर्धन पूजा के अवसर पर बैतूल में हर साल एक अनोखी परंपरा देखने को मिलती है। यहां के कई परिवार अपने छोटे बच्चों को गोबर से बने गोवर्धन पर लिटाते हैं। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि ऐसा करने से बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और वे सालभर निरोगी बने रहते हैं।
Trending Videos


यह परंपरा बैतूल के कृष्णपुरा वार्ड में लंबे समय से निभाई जा रही है। श्रद्धालुओं के अनुसार, जैसे भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर ग्वालों की रक्षा की थी, वैसे ही गोवर्धन पूजा से परिवार और बच्चों की सुरक्षा होती है। इसी आस्था के चलते पूजा के बाद बच्चों को गोबर से बने गोवर्धन पर लिटाया जाता है।
विज्ञापन
विज्ञापन


'यह परंपरा कई पीढ़ियों से चली आ रही'
स्थानीय निवासी कैलाश यादव बताते हैं कि यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। उनका मानना है कि गोबर में औषधीय गुण होते हैं, जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। वहीं बी.एल. यादव, जो ग्वाल समाज से हैं, कहते हैं कि हम इस परंपरा को वर्षों से निभा रहे हैं। हमारे पूर्वजों का विश्वास रहा है कि गोबर पवित्र और शुभ होता है।

ये भी पढ़ें- MP News: लाड़ली बहनों के खातों में आज आएंगे 250 रुपये!, सीएम बोले- भाई-बहन के अटूट स्नेह का प्रतीक है भाईदूज

बच्चों में संक्रमण फैला सकता ये तरीका-स्वास्थ्य विशेषज्ञ
हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस परंपरा को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि गोबर में कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस पाए जाते हैं, जो बच्चों में संक्रमण फैला सकते हैं। बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार, गोबर के संपर्क में आने से त्वचा रोग, स्क्रब टाइफस या अन्य संक्रमण होने का खतरा रहता है, जो कभी-कभी गंभीर रूप भी ले सकता है।

चिंता की बात यह है कि यह परंपरा अब केवल ग्रामीण इलाकों में ही नहीं, बल्कि शहरों में भी देखी जा रही है, जहां शिक्षित परिवार भी इसमें भाग ले रहे हैं। डॉक्टरों ने अपील की है कि आस्था का सम्मान करते हुए भी बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए, ताकि परंपरा और सावधानी दोनों साथ चल सकें।

 

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed